बीआर आंबेडकर जन्मस्थली स्मारक के भगवाकरण की राजनीति

भीम जन्मभूमि स्मारक, महू
विकीमीडिया कॉमन्स
भीम जन्मभूमि स्मारक, महू
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21 अप्रैल 2022 को इंदौर के महू में स्थित डॉ. आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में संगीतमय “आंबेडकर कथा” का आयोजन किया गया. इस कथा का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा विश्व हिंदू परिषद ने मध्य प्रदेश प्रशासन, संस्कृति विभाग और स्वराज संस्थान संचालनालय के साथ मिल कर किया था. आयोजन विश्वविद्यालय के बुद्ध हॉल में हुआ जिसमें विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार कथावाचक की मुख्य भूमिका थी और इसमें विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक एवं छात्र मौजूद थे. विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस कार्यक्रम के आयोजन में उसकी कोई भूमिका नहीं है. कार्यक्रम वाले दिन विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार छुट्टी पर थे.

संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद के साथ भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा को दी गई थी. अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेष गिरजे कहते हैं, “कथावाचक ने अपने संबोधन में डॉ. आंबेडकर के संघर्षों के बारे में बताया. साथ ही यह जानकारी दी कि बाबा साहब को आगे बढ़ाने में किस तरह बड़ौदा महाराज, छत्रपति साहूजी महाराज जैसे सवर्णों ने सहयोग किया और उन्हें बाहर पढ़ने भेजा, बैरिस्टर बनाया और संविधान सभा का अध्यक्ष चुना. आंबेडकर कथा का उद्देश्य यह बताना था कि बाबा साहब के जीवन में सवर्ण जातियों का कितना योगदान रहा है. महू की बीजेपी विधायक ऊषा ठाकुर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुईं. उनके साथ बीजेपी के कई कार्यकर्ता भी मौजूद थे.”

आरएसएस और बीजेपी के पास स्वीकार्य राष्ट्रीय नेताओं की कमी है, यह बात हर कोई जानता है, संघ भी इसको जानता है. 100 साल की उम्र पूरी कर रहे संघ के पास देशभर में स्वीकार्य नेताओं की कमी होना उसकी सबसे बड़ी परेशानी है.

अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष गिरजे कहते हैं, “इस कथा का आयोजन समाज को सच्चाई बताने के लिए किया गया है और इस तरह के आयोजन आगे भी होते रहेंगे. यह सही है कि कथावाचन के तरीके से आंबेडकर का धार्मिकीकरण हो रहा है. लेकिन यह गलत नहीं है, जिस तरह से हिंदू समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है, उसे रोकना होगा. ये सारे प्रयास लोगों को वापस हिंदू संस्कृति से जोड़ने के लिए किए जा रहे हैं.”

आंबेडकर के भगवाकरण की कोशिशों के चलते ऐसी ही एक घटना बीते 13 मार्च, बाबा साहब के जन्मदिवस (14 अप्रैल) से ठीक एक महीने पहले भी हुई जो अपने आप में पहली और अनोखी थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा विश्व हिंदू परिषद ने स्वराज का 75वां अमृत महोत्सव मनाते हुए इंदौर से लेकर महू (डॉक्टर आंबेडकर नगर) के बीच करीब पच्चीस किलोमीटर की मोटर साइकिल यात्रा निकाली. इंदौर के चिमनबाग मैदान से बाबा साहब की जन्मस्थली महू तक की इस यात्रा को संविधान सम्मान यात्रा का नाम दिया गया. पूरी यात्रा के दौरान खुली जीप पर संविधान की दो प्रतियां (एक हिंदी में और एक अंग्रेजी में) रखी थीं जिसे चारों ओर से राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की पहचान वाले भगवा झंडों से सजाया गया था. इस जीप में कुछ लोग बैठे हुए थे, जो संविधान की प्रतियों पर फूल-माला चढ़ा रहे थे. जीप के पीछे हजारों मोटरसाइकिल सवारों की भीड़ थी जो संघ द्वारा बजाए जाने वाले देशभक्ति के गानों के साथ आगे बढ़ रही थी.

अमन गुप्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं.

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