2017-18 का 93 प्रतिशत चंदा बीजेपी के खाते में

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के 20 हजार रुपए से अधिक के सभी चंदों की जानकारी देना पार्टियों के लिए अनिवार्य है. मनन वात्स्यायन/एएफपी/गैटी इमेजिस

वित्त वर्ष 2017-18 में 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे का विश्लेषण करने से पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी को अन्य छह पार्टियों- कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी- को मिले कुल चंदे से 13 गुना अधिक है. एडीआर यानि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने निर्वाचन आयोग से प्राप्त जानकारी के आधार पर राष्ट्रीय दलों को प्राप्त 20 हजार रुपए से अधिक के सभी चंदों का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के अनुसार, कुल घोषित 469 करोड़ 89 लाख रुपए चंदा का 93 प्रतिशत यानी 437 करोड़ 4 लाख बीजेपी को मिला है. बसपा ने घोषणा की है कि उसे 20 हजार रुपए से अधिक का एक भी चंदा नहीं मिला है. बसपा पिछले 12 सालों से यही दावा कर रही है.

बीजेपी के बाद सबसे अधिक चंदा कांग्रेस पार्टी को प्राप्त हुआ है. उसे कुल 26 करोड़ 65 लाख रुपए इस वित्त वर्ष में मिला है. सीपीआई (एम) को दो करोड़ 75 लाख रुपए और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 2 करोड़ 8 हजार रुपए चंदा मिला है.जबकि तृणमूल कांग्रेस को 20 लाख रुपए चंदा मिला है. एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच के अध्यक्ष अनिल वर्मा कहते हैं, “बीजेपी को अन्य दलों के मुकाबले अधिक चंदा प्राप्त हुआ है, आंकड़े इस बात को साबित करते हैं.” वो आगे कहते हैं, “जो ट्रेंड दिखाई दे रहा है, उससे लगता है कि आम चुनावों से पहले इसमें वृद्धि होगी.”

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स

क्षेत्रवार विशलेषण करने से पता चलता है कि दिल्ली से सबसे अधिक 208 करोड़ 56 लाख रुपए चंदा गया है.जबकि महाराष्ट्र से 71 करोड़ 93 लाख, गुजरात से 44 करोड़ 2 लाख, और कर्नाटक से 43 करोड़ 67 लाख रुपए चंदा राजनीतिक दलों को प्राप्त हुआ है. राजनीतिक दलों ने जो जानकारी निर्वाचन आयोग दी है, उसके आधार पर चंदा देने वालों के पतों की जानकारी से यह आंकड़ा निकाला गया है. उपरोक्त जानकारी लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत आती है. इस कानून के अंतर्गत 20 हजार रुपए से अधिक के सभी चंदों की जानकारी देना पार्टियों के लिए अनिवार्य है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स

चंदे के स्रोतों के अध्ययन से पता चलता है कि तकरीबन 90 प्रतिशत चंदा अथवा 422 करोड़ 4 लाख रुपया कारपोरेट संस्थाओं का, जबकि बाकी का 10 प्रतिशत अथवा 47 करोड़ 12 लाख रुपया चंदा व्यक्तिगत है. बीजेपी की अग्रता या उपरोक्त ट्रेंड यहां भी देखा जा सकता हैं. बीजेपी को 400 करोड़ 23 लाख रुपए कारपोरेट चंदा और 36 करोड़ 71 लाख रुपए व्यक्तिगत चंदा मिला है. जबकि कांग्रेस को कारपोरेट से 19 करोड़ 29 लाख रुपए और 7 करोड़ 36 लाख व्यक्तिगत चंदा प्राप्त हुआ है.

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बीजेपी को चंदा देने वालों की सूची में शीर्ष स्थान पर प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट है. खबरों के मुताबिक इस ट्रस्ट का संचालन भारती इंटरप्राइजेज करती है. इस ट्रस्ट ने बीजेपी को 154.3 करोड रुपए चंदा दिया है. इस सूची में दूसरे स्थान पर ए बी जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट है जिसने बीजेपी को 12.5 करोड़ रुपए चंदा दिया है. बीजेपी केअन्य शीर्ष दाता क्रमशः - कैडिला हेल्थकेयर 10 करोड़ रुपए, सिप्ला लिमिटेड 9 करोड़ रुपए, उत्सव प्राइवेट लिमिटेड 9 करोड़ रुपए, माइक्रो लैब लिमिटेड 9 करोड़ रुपए, मैसर्स प्रगति ग्रुप 8.75 करोड़ रुपए, रेयर इंटरप्राइजेस 8 करोड़ रुपए, महावीर मेडिकेयर 6 करोड़ रुपए और एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल 6 करोड़ रुपए हैं.

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट कांग्रेस पार्टी को चंदा देने वालों में भी शीर्ष है. इसने कांग्रस को 10 करोड़ रुपए चंदा दिया है. कैडिला हेल्थकेयर 2 करोड़ रुपए, एब जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारतीय सोशलिस्ट रिपब्लिकन. इलेक्टोरल ट्रस्ट, निरमा लिमिटेड और ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट ने एक-एक करोड़ रुपए का चंदा कांग्रेस को दिया है. कांग्रेस पार्टी के अन्य शीर्षदाता- गायत्री प्रोजेक्ट्स लिमिटेड 92 लाख रुपए, पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड और जायडस हेल्थकेयर लिमिटेड ने 50-50 लाख रुपए और पवन अनिल बेकरी 25 लाख रुपए हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को चंदा देने वालों में रियल एस्टेट और ढांचागत क्षेत्र की कंपनियां है. साथ ही इस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले का नाम भी चंदा देने वालों की सूची में है. सीपीआई के दानदाताओं में केरल राज्य परिषद है जिसने पार्टी को 23 लाख 84 हजार रुपए का चंदा दिया है. साथ ही पार्टी को राज्यसभा सदस्य डी राजा, पार्टी के महासचिव सुधाकर रेड्डी और सीपीआई की राष्ट्रीय परिषद के सचिव शमीम फैजी ने भी चंदा दिया है. तृणमूल कांग्रेस की सूची में किसी भी कारपोरेट संस्था का नाम नहीं है, उसे व्यक्तिगत चंदा ही मिला है. इस पार्टी को चंदा देने वालों में पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी, डेरिक ओ ब्रायन, सुवेंदु अधिकारी और इदरीश अली शामिल हैं.

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एडीआर के सहसंस्थापक जगदीप छोकर का कहना है कि ताजा आंकड़ों से प्राप्त जानकारी को इलेक्टोरल बॉन्ड से अलग कर नहीं देखा जा सकता. 2017 के बजट में इसकी घोषणा की गई थी और यह राजनीतिक दलों को पहचान का उल्लेख किए बिना चंदा देने का साधन है. बीजेपी के वार्षिक लेखा विवरण और भारतीय स्टेट बैंक से सूचना का अधिकार कानून के तहत ली गई जानकारी से पता चलता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त करने के मामले में भी बीजेपी अव्वल है. वित्त वर्ष 2017-18 बॉन्ड के माध्यम से दिए गए कुल चंदे 222 करोड़ रुपए का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा बीजेपी को प्राप्त हुआ है.

छोकर कहते हैं, “बॉन्ड का सबसे भयावह पहलू यह है कि इसमें विपक्षी दलों के चंदे से वंचित हो जाने की बड़ी आशंका है. अप्रत्यक्ष तौर पर यह साबित भी हो रहा है.” उन्होंने आगे कहा, “मेरे विचार में घोषित चंदा कुल चंदे का बहुत छोटा हिस्सा है.”


तुषार धारा कारवां में रिपोर्टिंग फेलो हैं. तुषार ने ब्लूमबर्ग न्यूज, इंडियन एक्सप्रेस और फर्स्टपोस्ट के साथ काम किया है और राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथ रहे हैं.