अब आंदोलन में शामिल होंगे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान, बोले, “जो सरकार अहंकारी हुई, वह सत्ता से गई”  

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि 3 दिसंबर को वे आंदोलन में शामिल होंगे. कारवां के लिए शाहिद तांत्रे

84 साल के गुलाम मोहम्मद मुजफ्फरनगर के किसान नेता हैं. गुलाम मोहम्मद किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के सभी आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे हैं. इस उम्र में भी गुलाम मोहम्मद दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में एक सक्रिय भूमिका अदा कर रहे है. इस समय वह गांव-गांव में पंचायत कर रहे हैं और लोगो से दिल्ली चलने का आह्वान कर रहे है. इसकी योजना के बारे में मैंने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने बताया, “कल 3 दिसंबर को हम लोग शामली, मुज्जफरनगर और बागपत के किसान बागपत और गजियाबाद की सीमा खेकड़ा पाठशाला पर हजारों की संख्या में इकट्ठा हो कर दिल्ली की ओर कूच करेंगे. अगर सरकार हमें कहीं बीच में रोकती है तो हम उसी जगह से अपना धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे.”

मैंने आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई किसान नेताओं से बात की. इन नेताओं ने मुझे बताया कि कल गाजीपुर बॉर्डर पर एक महापंचायत बुलाई गई है जहां सभी संगठन आगे की रणनीति पर भी बात करेंगे.

मोहम्मद ने मुझसे कहा कि वर्तमान सरकार किसान-मजदूरों को पूरी तरह बर्बाद कर देना चाहती है. “यह राम राज लेकर आने वाली थी लेकिन यह सरकार रावण राज ले आई. हम किसान इनकी नीति को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेंगे. यह हमको धर्म और जाति में लड़ाना चाहती है. हम किसान अपने पूरे समर्थन के साथ इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं और जब तक जान है इसको आगे बढ़ाते रहेंगे.”

मोहम्मद का मानना है कि “यह सेठों के पेट भरने वाली सरकार है जिसको गरीबों से कुछ भी लेना देना नहीं है.” उन्होंने कहा, “जो भी सरकार अंहकारी हुई है वह अपनी कुर्सी से गई है. यह अहंकारी सरकार है.”

मुजफ्फरनगर के नासिरपुर गांव के किसान नेता पूरन सिंह, जो भारतीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष हैं, ने कहा कि किसान इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे. उन्होंने कहा, “पूरे उत्तर प्रदेश के लोगों का साथ हम लोगों को मिल रहा है. हम लोग 26 नवंबर से ही गांव-गांव में अपनी पंचायतें कर रहे हैं और लोगों का आह्वान कर रहे हैं कि वे इस आंदोलन का हिस्सा बने.” उन्होंने भी बताया कि कल बागपत और गजियाबाद की सीमा पर कई किसान संगठनों ने अपने लोगों को बुलाया है. उनका कहना था, “सभी जिलों में पंचायत चल रही है. कल भारी तादाद में लोग आएंगे. हम लोग अपने काफिले को लेकर दिल्ली कूच करेंगे और अपने साथियों का समर्थन करेंगे.”

पूरन सिंह ने कहा कि सरकार किसानों को बदनाम कर रही है और रोज नए-नए प्रोपगेंडा कर रही है. “अगर सरकार को लगता है कि ये किसान खालिस्तानी हैं तो उनको गिरफ्तार क्यों नहीं करती. वह फिर हम किसानों से बात ही क्यों करना चाहती है. यह सरकार पिछले महीनों से ही हम किसानों को पराली के नाम पर भी बदनाम करती रही है और खुद को साफ-सुथरा दिखाना चाहती है. सारी गंदगी इसको किसानों में ही नजर आ रही है.”

ये नेता भी भारतीय मीडिया के एक हिस्से से इस बात पर नाराज दिखे कि वह सरकार की बातों का समर्थन कर रहा है. पूरन सिंह ने कहा, “वह मीडिया ही नहीं हो सकती या उसने किसान का पैदा किया अन्न नहीं खाया है. उसे याद रखना चाहिए कि जिस अन्न को वह खाता है उसको किसान अपनी मेहनत से पैदा करता है.”

मुरादाबाद में भारतीय किसान यूनियन (असली-अराजनैतिक) के अध्यक्ष हरपाल सिंह बिलारी भी किसानों के साथ सिंघू सीमा में जारी आंदोलन में शामिल हैं. मेरी बातचीत में उन्होंने बताया, “हमने अपने संगठन की ओर से 26 नवंबर को ही किसानों से यहां पहुंचने की अपील की थी और अपने साथ हजारों किसानों लेकर आए हैं.” उन्होंने वर्तमान सरकार की मंशा की तुलना ब्रिटिश राज से करते हुए कहा, “सरकारों की नीति हर आंदोलन को बदनाम करने की होती है. अंग्रेजों ने भगत सिंह के साथ जो किया था वही आज यह सरकार हम किसानों के साथ कर रही है और आंदोलन में विघ्न डालने के लिए अपने लोगों को भेज कर नारे लगवा रही है.” बिलारी उस घटना का उल्लेख कर रहे थे जिसमें आंदोलनकारी किसानों ने आरोप लगाया है कि 100-200 मोटर साइकिलों पर सवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन के सदस्यों ने सिंघू सीमा पर आकर आंदोलनकारियों के विरोध में नारेबाजी की थी. उन्होंने कहा, “यहां सभी लोग शांति से बैठे हैं. गांव वाले खाना भेज रहे है. रात में इन्हीं सड़कों पर लौट रहे हैं. मच्छर काट रहे हैं. ये अगर आतंकवादी हैं तो सरकार फिर इनसे बात क्यों कर रही है?” उन्होंने यह भी कहा कि “मीडिया मोदी मीडिया हो गया है और वह चाहे जो दिखाए हम किसानों को कोई फिक्र नहीं है. हम चाहते हैं कि यह सरकार तीनों काले कानूनों वापस ले.”

बिलारी ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा, “इस पार्टी ने मुजफ्फरनगर दंगे कराकर किसान की एकता को तोड़ा और उसका फायदा उठा कर सरकार बना ली. अब किसान इस बात को समझ रहा है. यह हमेशा किसानों को जाति-धर्म में विभाजित करते रहे हैं. जब बाबा टिकैत (महेंद्र सिंह टिकैत) थे, उन्होंने ऐसा नहीं होने दिया.”

बागपत के किसान नेता नाहर सिंह ने भी बताया कि वहां के किसान कई दिनों से अपने-अपने गांवों में पंचायतें कर रहे हैं और कल शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत और हरियाणा के बहुत से किसान नेता, जिनमें गुरमुख सिंह भी होंगे, खेकड़ा से दिल्ली की ओर कूच करेंगे. उन्होंने कहा, “अगर प्रशासन ने हमें रोकने की कोशिश की तो हम वहीं से अपना धरना शुरू कर देंगे. रास्ते जाम कर दिए जाएंगे.”

इस रिपोर्ट को लिखे जाते वक्त खबर मिली है कि बागपत में होने वाले किसान आंदोलन के नेता नरेंद्र राणा के घर रात 8 बजे के करीब दोघट थाना पुलिस पहुंची और उनसे कल होने वाले आंदोलन में शामिल न होने को कहा है.

नरेंद्र राणा किसान नेता हैं और लंबे समय से किसानों के हितों की आवाज उठाते रहे हैं. उन्होंने बागपत से मुझे फोन पर बताया कि जब शाम 8 बजे वह गांव में पंचायत करके घर लौटे तो इनके घर पर पुलिस की एक गाड़ी मौजूद थी और पुलिस वाले कल होने वाले प्रदर्शन में शामिल न होने को कह रहे थे.”

उन्होंने अंदेशा जताया कि हो सकता है जब वह कल बागपत के लिए घर से निकलें तो उनको गिरफ्तार कर लिया जाए. राणा ने कल के आंदोलन के लिए किसानों और कई किसान संगठनों से खेकड़ा पाठशाला पर इकट्ठा होने की अपील की है. उन्होंने कहा, “हम लोग गांव-गांव घूमे हैं और किसान आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हो गया है. किसान कल अपने गन्ने की छिलाई और गेहूं की बुआई और विवाह-शादियों को  छोड़ कर पहले इस झूठी और मक्कार सरकार से लड़ने की तैयारी में है.” उन्होंने कहा, “आरएसएस और बीजेपी को लगता है वे ही सच्चे देशभक्त हैं और अपने हुकूक की बात करने वाले बाकी सब देशद्रोही, खालिस्तानी, पाकिस्तनी और आंतकवादी हैं. कल इसका जवाब हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दे देंगे.”

उत्तर प्रदेश के किसानों के बारे में जब मैंने पूरन सिंह से पूछा तो उन्होंने बताया, “हम लोग इस इंतजार में थे कि सरकार के साथ वार्ता हो जाए और सरकार अपने कदम पीछे ले ले पर हमें नहीं लगता कि यह सरकार मानने वाली है. अब हम पूरे इरादे से आंदोलन के मूड में हैं और लड़ाई आर-पार की होगी.” उन्होंने आगे बताया, “जो किसान दिल्ली नहीं जा पाएंगे, वे अब अपने गांवों में ही आंदोलन करेंगे और अब दस दिन के अंदर किसान भारत बंद करके रहेंगे.”

उन्होंने मोदी को सबसे बड़ा झूठा व्यक्ति बताते हुए कहा, “वह कह रहे हैं कि कुछ लोग किसानों को बरगला रहे हैं. सही बात तो यह है कि यह प्रधानमंत्री किसानों को बरगला रहा है. बीजेपी का कोई भी नेता किसानों से मीटिंग नहीं कर पाया. यह पार्टी झूठों की पार्टी है. यह बनियों की पार्टी है और ये बिल बनियों के ही हित में हैं.” उन्होंने कहा, “इस सरकार ने एक कृषि प्रधान देश को कुर्सी प्रधान देश बना दिया और कुर्सी पाने के लिए ये लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.”

पूरन सिंह ने बताया, “अगर यह सरकार नहीं मानती है तो हम पीछे नहीं हटेंगे फिर चाहे अब यह हम पर गोली ही क्यों न चला दे. जब तक इन तीन विधयकों को वापस नहीं लिया जाता तब तक हम किसान इस सरकार से कोई समझौता नहीं करेंगे.”