किसान आंदोलन के समर्थन में महाराष्ट्र के किसानों का प्रदर्शन, अडानी-अंबानी समूह के कारपोरेट दफ्तरों तक निकाला मार्च

22 दिसंबर को महाराष्ट्र के सैकड़ों किसान हाल ही में पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए बाद्रा के इलाके में जुटे.
एएनआई
22 दिसंबर को महाराष्ट्र के सैकड़ों किसान हाल ही में पारित तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए बाद्रा के इलाके में जुटे.
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22 दिसंबर को महाराष्ट्र के विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े किसान मुंबई के पूर्वी बांद्रा इलाके में जिला कलेक्टर मिलिंद बोरिकर के कार्यालय के बाहर एकत्रित हुए. किसान हाल ही में लागू किए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुए थे. वहां से, उन्होंने पास के सार्वजनिक पार्क डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर उद्यान तक मार्च किया. भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हजारों प्रदर्शनकारियों का यह कारवां चला. 17 दिसंबर को कोल्हापुर जिले में स्थित किसान संघ स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने घोषणा की थी कि किसान बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में रिलायंस इंडस्ट्रीज और अदानी समूह के कारपोरेट कार्यालयों तक मार्च करेंगे. “हम अंबानी और अडानी से पूछेंगे कि हे भगवान, तुम लोग कितने लालची हो?" विरोध के दो दिन पहले अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए वीडियो में शेट्टी ने उद्योगपतियों मुकेश अंबानी और गौतम अडानी का जिक्र करते हुए कहा कि आपको और कितना चाहिए?

बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में कारपोरेट कार्यालयों की ओर मार्च करने से पहले प्रदर्शनकारी लगभग दो घंटे तक उद्यान में रहे. हालांकि, शेट्टी ने मुझे बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कारपोरेट कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन करने से रोक दिया. शेट्टी ने कहा, "पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर सड़क को बंद कर दिया था."

उन्होंने बताया, ''पुलिस ने कहा कि आगे का मार्ग बहुत संकरा है जिसके चलते हंगामा हो सकता है. उनका दूसरा बिंदु यह था कि वहां विदेशी कारपोरेट कार्यालय हैं. उन्होंने कहा कि आप इसलिए नहीं जा सकते क्योंकि कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है. मैंने पूछा कि क्या अंबानी और अडानी को कोई विशेष सुरक्षा दी गई है. उनकी हैसियत क्या है?"

इसके बाद रिलायंस दफ्तर से दो किलोमीटर दूर पुर्वी बांद्रा में अस्थाई रूप से तैयार किए गए एक मंच के सामने किसान बैठ गए और शामिल होने वाले संगठनों के नेताओं ने आंदोलनकारियों को संबोधित किया. नागरिक अधिकार संगठन, लोक संघर्ष मोर्चा की महासचिव प्रतिभा शिंदे ने किसानों से कहा कि “पुलिस ने हमें अंबानी और अडानी के कार्यालयों तक जाने से रोक दिया है.” और पुलिस पर सरकार के एजेंटों के साथ सहानुभूति रखने का आरोप लगाया. उन्होंने फिर किसान आंदोलन के साथ एकजुटता जाहिर करने की आवाज बुलंद करने को कहा,''जिसकी गूंज सिंघू बॉर्डर तक पहुंच सके."

26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर विभिन्न मांगों को लेकर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए दोनों कॉरपोरेट दिग्गजों के दफ्तरों तक मार्च निकाला गया. प्रदर्शनकारी किसानों का मानना ​​है कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों से उद्योपतियों को फायदा होगा. दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा जमाए किसानों ने रिलायंस और अडानी के उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया. मुंबई में प्रदर्शनकारियों ने भी इस नारे के साथ बहिष्कार का समर्थन किया कि “अंबानी का जियो सिम जला दो, जला दो. अंबानी की जिओ सिम तोड़ दो, तोड़ दो." महाराष्ट्र के जलगांव जिले के एक किसान ताराचंद पावरा ने मुझे बताया, “वे पूंजीवादी हैं. वे हमसे फसल खरीदेंगे और फिर इसे सोने के भाव बेचेंगे. हम उनकी दया पर रहेंगे." जो सरकार चला रहे हैं वह वास्तव में अंबानी और अडानी हैं, जो चुनाव के लिए फंडिंग करते हैं. उन्होंने देश पर कब्जा कर लिया है."

आतिरा कोनिक्करा कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

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