30 नवंबर को दोपहर में हरियाणा के किसानों का एक समूह दिल्ली-हरियाणा सीमा पर स्थित टिकरी में पुलिस द्वारा लगाए गए सीमेंट के ब्लॉकों और कंटीले तारों वाले बैरिकेडों के करीब जा कर बैठ गया. ये किसान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के किसान विरोधी बयान से नाराज थे. अपने बयान में खट्टर ने दावा किया था कि उनकी सरकार के पास किसानों के आंदोलन में खालिस्तानी अलगाववादियों के शामिल होने की जानकारी है. हरियाणा के झज्जर जिले के रैया गांव के किसान जतिन सिंह धनखड़ ने मुझे बताया, “खट्टर सरकार किसानों को पंजाब के खालिस्तानियों के रूप में देख रही है लेकिन आप देखिए हम हरियाणा से हैं. हमारे आधार कार्ड देखिए. सरकार को हमें विभाजित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. यहां मौजूद सभी किसान एक हैं."
हरियाणा के ये किसान पंजाब के लगभग 30 किसान संगठनों की अगुवाई में हो रही "दिल्ली चलो" रैली में शामिल हैं. इन संगठनों ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ अनिश्चितकालीन विरोध के लिए 26 और 27 नवंबर को देश भर के किसानों को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने का आह्वान किया था. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के 300 से अधिक किसान संगठन इस रैली का समर्थन कर रहे हैं. हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर पुलिस ने किसानों को राजधानी तक पहुंचने से रोकने के लिए प्रमुख सड़कों पर बैरिकेडिंग कर दी है. इन बैरिकेडों पर हजारों किसानों ने धावा बोल दिया और पुलिस ने उन पर आंसू गैस और पानी की बौछार कर दी. किसान हरियाणा-दिल्ली सीमा पर विभिन्न जगहों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. 27 नवंबर को टिकरी सीमा पर दिल्ली पुलिस ने पंजाब और हरियाणा के हजारों किसानों को रोका लिया था.
अपनी रिपोर्टिंग के दौरान हमने प्रदर्शन में पंजाब और हरियाणा के किसानों की एकजुटता देखी. हरियाणा के रैया और आसपास के गांवों के किसानों ने इस स्थान पर 30 ट्रैक्टर और ट्रॉलियों में कंबल और दूध जैसी जरूरी चीजें भिजवाई थीं. धनखड़ ने मुझे बताया कि हरियाणा के किसान पंजाब से दिल्ली-हरियाणा सीमा पहुंचीं "बहनों और माताओं" को अपने घरों में नहाने और कपड़े धोने की जगह दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसानों का यह कर्तव्य था कि वे पंजाब से आए अपने भाइयों की देखभाल करें.
हरियाणा के तीन किसान समूह मुख्य रूप से विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं. इनमें इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय किसान सभा, गुरनाम सिंह चढूनी की भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) और मनदीप नथवान के नेतृत्व वाली किसान संघर्ष समिति हैं. इसके अलावा किसी भी संगठन के साथ काम नहीं करने वाले स्वतंत्र किसानों के समूहों भी टिकरी और सिंघू हरियाणा-दिल्ली सीमाओं पर धरने में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं.
इंद्रजीत ने मुझे बताया कि 29 नवंबर को हरियाणा के रोहतक जिले के टिटोली और आसपास के अन्य गांवों के ग्रामीणों ने 25 हजार लीटर दूध टिकरी सीमा पर पहुंचाया जहां पंजाब के किसान पहुंचे थे. वह खुद हरियाणा से 300 ट्रैक्टर ट्रॉलियों की एक टुकड़ी लेकर 28 नवंबर को टिकरी सीमा पर पहुंचे थे.
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