जारी किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने योगेंद्र यादव और वीएम सिंह के प्रदर्शन स्थल को दिल्ली के राज्य मार्गों से हटाकर बुराड़ी मैदान ले जाने के प्रयासों को ठुकरा दिया है. यादव स्वराज अभियान संगठन के शीर्ष नेता हैं और सिंह पूर्व विधायक और ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉआर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष हैं.
जारी आंदोलन को पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा सहित देश भर के 300 से ज्यादा किसान संगठनों का समर्थन है. इस आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से पंजाब के किसान संगठन कर रहे हैं.
27 नवंबर को ये संगठन मौजूदा परिस्थिति की समीक्षा कर रहे थे जब वीएम सिंह दिल्ली पुलिस के साथ वहां आए और घोषणा करने लगे कि किसान रामलीला मैदान की जगह बुराड़ी मैदान पहुंचें. लेकिन आंदोलनकारी किसानों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. वहां मौजूद किसानों ने कहा कि बुराड़ी के मैदान से आंदोलन का असर नहीं होगा और नरेन्द्र मोदी सरकार को उनकी मांगों को नजरअंदाज करने का मौका मिल जाएगा. किसानों के ऐसा कहने के बाद पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे और तभी से गतिरोध जारी है.
एक किसान नेता के अनुसार, जो आंदोलन में शामिल एक संगठन के शीर्ष नेता भी हैं और उस समीक्षा बैठक में मौजूद थे, यादव 27 नवंबर की बैठक में मौजूद थे लेकिन सिर्फ 10 मिनट के लिए. नेता ने बताया कि यादव ने खुद के लिए तब मुसीबत खड़ी कर ली जब उन्होंने सुझाव दिया कि आंदोलनकारियों को आंदोलन का स्थान बदलने के केंद्र सरकार के सुझाव को मान लेना चाहिए. किसान नेता ने हमें बताया कि मौजूद नेताओं ने यादव की जमकर आलोचना की और उन्हें ऐसा सुझाव देने के लिए वहां से चले जाने को कहा क्योंकि “वह सुझाव सुनते ही हमें गुस्सा आ गया था.”
सितंबर से ही जब से ये कानून पास हुए हैं यादव किसान नेता के रूप में इन बिलों के संबंध में सार्वजनिक वक्तव्य दे रहे हैं और मीडिया से बात कर रहे हैं. यादव ने किसान नेताओं को बुराड़ी मैदान जाने के लिए मनाने की कोशिश की क्योंकि उनका कहना था कि बुराड़ी मैदान पहुंचना किसानों की जीत होगी क्योंकि इससे वे दिल्ली के भीतर आ जाएंगे.
उस किसान नेता ने हमें बताया कि वहां मौजूद एक अन्य नेता ने यादव से कहा, “आप कितनी ट्रॉलियों में किसान लाए हैं. आप पांच किसान लेकर नहीं आए और आप हमें सरकार के निर्देश मान लेने का सुझाव दे रहे हैं.” दूसरे दिन यादव फिर कुंडली पहुंचे और बैरिकेड पार करने के बाद मंच से कुछ मीटर दूर ठहर गए. आंदोलनकारियों ने उन्हें भाषण देने के लिए आमंत्रित नहीं किया. अंततः यादव वहां मौजूद मीडिया से बात करने लगे. यादव ने एनडीटीवी से कहा, “यह फैसला हुआ है कि आज रात को हम यही रहेंगे, कारण है कि पीछे से हमारे जत्थे आ रहे हैं. कल सुबह हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है.” यादव ने इस बात का जवाब देने से इनकार कर दिया कि उन्हें पिछली रात को मीटिंग से चले जाने को कहा गया था बल्कि उन्होंने ऐसा जताने की कोशिश की कि वह फैसला लेने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं.
29 नवंबर को यादव पंजाब के किसानों द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस की जगह से 50 मीटर की दूरी पर मौजूद थे. वह अपने फोन पर मीडिया ब्रीफिंग का सीधा प्रसारण देख रहे थे. कीर्ति किसान यूनियन के शीर्ष नेता और एक प्रमुख किसान नेता निर्भय सिंह धूडिके ने बैठक से यादव को बाहर कर दिए जाने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया, “वह हमें बुराड़ी ले जाने के लिए मीटिंग में आए थे लेकिन हमने उन्हें ही वापस भेज दिया. निर्भय सिंह धूडिके ने ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉआर्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष वीएम सिंह के कार्यों की यह कहते हुए निंदा की कि वह बार-बार अपना स्टैंड बदल रहे हैं.
वीएम सिंह उत्तर प्रदेश के बड़े चीनी कारोबारी हैं और उन्होंने देश भर के किसानों से पहले अपील की थी कि वे नवंबर का अपना आंदोलन वापस ले लें. 21 नवंबर को सिंह ने, जो हाल ही में कोविड-19 से ठीक हुए हैं, कहा था कि उन्हें डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि वह क्वारंटीन में रहें और फिलहाल दिल्ली न जाएं. उन्होंने अन्य लोगों को भी दिल्ली जाने से रोकने की कोशिश यह कहते हुए की कि दिल्ली में कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं. सोशल मीडिया में एक वीडियो जारी कर सिंह ने कहा था, “आप लोग कहां रहेंगे? क्या आप लोग ट्रैक्टर की ट्रॉलियों में, कारों में रहेंगे? यह सर्दियों का मौसम है.” उन्होंने सलाह दी कि इन कानूनों के खिलाफ मोदी सरकार और आंदोलनकारी अपनी कुश्ती को छह महीनों के लिए टाल दें.”
23 नवंबर को उन्होंने अपनी यही बात दोहराई और लोगों को सलाह दी कि वे अपने-अपने इलाकों में प्रदर्शन करें. उन्होंने कहा, “अब मैं कोविड से ठीक हो गया हूं तो मैं यह पूछना चाहता हूं कि आप लोग कहां रहेंगे, कहां पर प्रदर्शन करेंगे, क्या खाएंगे, कौन लोग टेंट लगाएंगे और इसीलिए मैंने कहा था कि अगर आप लोग आ रहे हैं तो अपने आप आएं क्योंकि वीएम सिंह आपकी मदद नहीं कर पाएगा क्योंकि मेरे डॉक्टरों ने मुझे मना किया है. अगर किसी को कोरोना हो गया तो उसका शमशान जाना तय है. लेकिन पंजाब के किसान भी अपने स्टैंड पर सही है क्योंकि वे कृषि संकट का सामना कर रहे हैं.”
चार दिन बाद सिंह अपनी बात से मुकर गए. वह कुंडली सीमा पहुंचे. वहां वह पुलिस की जिप्सी पर सवार हो कर आए थे और लोगों से अपील कर रहे थे कि वे लोग बुराड़ी मैदान चले जाएं. उन्होंने कहा, “भाइयों सरकार ने हमें दिल्ली में जगह दे दी है. बुराड़ी चलो.” उन्होंने ऐसा दिल्ली पुलिस के माइक्रोफोन से कहा. लेकिन हरियाणा की ओर खड़ें किसानों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया जिसके बाद सुरक्षाबलों ने किसानों पर आंसू गैस चलाए.
दो दिन बाद सिंह बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने लगे. सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर उन्होंने अन्य किसानों से भी बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की. उन्होंने कहा, “जैसी मेरी आदत है मैंने व्यवस्था कर दी है. आप लोगों के लिए यहां शौचालयों का प्रबंध है, लंगर भी होगा. जो लोग यहां आना चाहते हैं उनके लिए हर तरह की व्यवस्था कर दी गई है.”
कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष धूडिके ने हमसे कहा, “यह आदमी जो वीडियो बना रहा है वह हमें कोरोना का हवाला देकर दिल्ली न आने को कह रहा था और अब खुद बुराड़ी जा कर बैठ गया है. पुलिस वाहन में यहां आना और सरकार के साथ मिलीभगत करना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है. यह बहुत दुख की बात है. हम इसकी निंदा करते हैं और हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.” धूडिके ने कहा, “जो सरकारी लीडर हैं वे बुराड़ी जा रहे हैं और जो सरकार विरोधी नेता है वे मोर्चे पर हैं और दिल्ली को घेरना चाहते हैं जबकि दूसरे लीडर दिल्ली से घिरना चाहते हैं. जिनके पास एक ट्रॉली नहीं है, जिनके पास कोई किसान नहीं है, वे कैसे किसान के नेता बन सकते हैं?”
जब हमने सिंह से बात की तो उन्होंने कहा, “जो लोग बुराड़ी आना चाहते हैं वे बुराड़ी आ जाएं” और हमारा फोन काट दिया. हमने उन्हें दोबारा फोन किया तो उन्होंने बस इतना कहा कि “मैं किसानों के आंदोलन में हूं और हम गुरु नानक जयंती मना रहे हैं.” हमने योगेंद्र यादव से भी केंद्र सरकार के बुराड़ी प्रस्ताव के बारे में उनकी राय और उन्हें बैठक से बाहर कर दिए जाने के बारे में पूछने के लिए फोन किया था लेकिन उन्होंने हमारे संदेशों या फोन कॉलों का जवाब नहीं दिया.
शाम को यादव ने आरएसएस के पूर्व सहयोगी और राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ से संयोजक शिवकुमार कक्का, हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चढूनी और राज्य के एक खाप नेता के साथ प्रेस वार्ता की. उन्होंने कुंडली में डटे रहने के किसानों के फैसले को दोहराया लेकिन ये तीनों ही समूह उन 30 पंजाबी संगठनों में से नहीं हैं जो इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.