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कल राजस्थान के सीकर की कृषि उपज मंडी मैदान में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ हुई महापंचायत में 20 हजार से अधिक किसान शामिल हुए. इस महापंचायत का आयोजन संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था.
इस महापंचायत में सीकर के आसपास स्थित लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग शामिल हुए. किसान नेता राकेश टिकैत ने वहां मौजूद किसानों से जल्द ही दिल्ली की ओर कूच करने का आह्वान किया और सभी को ट्रैक्टर और ट्रॉलियां तैयार रखने के लिए कहा. टिकैत के अलावा वहां समाजिक कार्यकर्ता और नेता योगेंद्र यादव, किसान नेता अमरा राम, जाट नेता राजाराम मील और युधवीर सिंह भी मौजूद थे. अमरा राम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के किसान मोर्चा अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष हैं. सिंह भारतीय किसान यूनियन के टिकैत गुट के महासचिव हैं.
महापंचायत से पहले टिकैत ने सीकर से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित सरदार शहर में भी ऐसी ही एक बैठक को संबोधित किया था. किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले नेता अब इस आंदोलन को गांव-गांव तक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. सीकर में हुई महापंचायत राजस्थान में हाल के हफ्तों में आयोजित की गई पंचायतों में से एक थी. ये पंचायतें राज्य के कृषि बहुल क्षेत्र गंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, चूरू, झुंझुनू और सीकर में आयोजित हुई हैं.
अपने-अपने इलाकों में आंदोलन के समर्थन में पंचायतों का आयोजन करने वाले कई स्थानीय प्रतिनिधियों ने क्षेत्रों के टोल बूथों को बंद करने के लिए कहा. यादव ने कृषि कानूनों के बारे में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इससे फसल पर कारपोरेट का एकाधिकार हो जाएगा और छोटे किसान बर्बाद हो जाएंगे. मंच से बोलने वाले सभी वक्ताओं ने अडाणी-अंबानी समूहों और सरकार के साथ उनकी नजदीकी का जिक्र किया. साथ ही पानीपत में बनाए जा रहे अडाणी के गोदामों और जिओ द्वारा किए गए झूठे वादों की भी बात की.
कैलाश गांव के रहने वाले 71 साल के बजरंग लाल ने कहा कि उनके परिवार में कुल 25 सदस्य हैं. उन्होंने कहा, "नौकरियां कहां हैं? किसी के पास नौकरी नहीं है इसलिए परिवार में सभी किसानी करते हैं." वह अपनी 30 बीघा जमीन, जो लगभग 18 एकड़ के बराबर है, पर गेहूं, चना, सरसों, मेथी और प्याज उगाते हैं. जब इन कृषि कानूनों में मौजूद खामियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास बताने के लिए बहुत सारी कमियां हैं. उन्होंने कहा, "इससे खेती भी पेट्रोल और डीजल की तरह ही तिगड़म लगाकर की जाएगी. कारपोरेट हमसे 33 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदेंगे और बाद में लोगों और किसानों को 100 रुपए प्रति किलो पर बेचेंगे.”
महापंचायत में बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं. 40 वर्षीय दो महिलाएं विमला देवी और मंगली देवी मंडेता गांव से सभा में शामिल होने आई थीं. उन्होंने कहा कि मंडेता से कम से कम 100 और महिलाएं आई हैं. दोनों के पास लगभग दो से तीन एकड़ जमीन है. वे भी जमीन पर गेहूं, चना, सरसों और मेथी उगाती हैं. विमला ने कहा कि "इन कानूनों को बिना किसी टाल-मटोल के तुरंत वापस लिया जाना चाहिए लेकिन सिर्फ इतना ही काफी नहीं होगा." मंगली ने कहा, "हम सरकार से उचित एमएसपी की मांग कर रहे हैं. हम अडाणी के गुलाम नहीं बनेंगे."
महापंचायत लगभग दोपहर में शुरू हुई और पांच घंटे तक चली. सभा समाप्त करते हुए टिकैत ने भीड़ से कहा कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लंबे समय तक चलेगी. उन्होंने कहा, "हम सभी को अपने घरों से बाहर निकलना होगा." सिंह ने महिलाओं को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, "हम महिलाओं को अपने घरों में बंद नहीं कर सकते, ये हमारी आधी ताकत हैं." उन्होंने महिला दर्शकों को टिकरी बॉर्डर पर आने के लिए कहा जहां महीनों से हजारों महिलाएं इन कानूनों के विरोध में बैठी हैं.
टिकैत, सिंह और अमरा राम ने प्रसिद्ध ऐतिहासिक किसान नेताओं छोटू राम और चरण सिंह को याद किया और वहां मौजूद हर किसी ने सरकार के खिलाफ एक लंबी लड़ाई की बात की. उन्होंने 27 फरवरी को राजस्थान की सीमा पर स्थित शाहजहांपुर में बड़ी संख्या में आंदोलन में एकत्रित होने का भी आह्वान किया जहां पहले से ही आंदोलन चल रहा है. सिंह ने लोगों से कहा, "हम यहां सिर्फ भाषण देने के लिए नहीं आए हैं. हम यहां सभी को निमंत्रण देने आए हैं. अगर हमें यह लड़ाई जीतनी है तो हर किसी को इस आंदोलन का हिस्सा बनना होगा."