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संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में आयोजित की जा रही महापंचायतों के तहत इस हफ्ते मीणाओं का गढ़ माने जाने वाले राजस्थान के करीरी जिले में एक महापंचायत आयोजित की गई. इसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए. किसान नेता राकेश टिकैत को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पूरे दिन तेज धूप में बैठे रहे. एक पहाड़ी की ढलान पर जगह बनाकर बैठी हुई भीड़ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, "हमारी लड़ाई एमएसपी को लेकर है. यह किसानों की लड़ाई है. इसका आपकी जाति से कोई लेना-देना नहीं है." राजस्थान में मीणा समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया है और इस सभा ने यह संकेत दिया कि कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन में राज्य की सभी जातियों के लोग समान रूप से भाग ले रहे हैं.
पंजाब और हरियाणा से सटे हुए जाट बहुल जिलों में आयोजित की गई महापंचायतें आंदोलन में राजस्थान के जाट समुदाय के समर्थन का संकेत देती हैं. इस बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट द्वारा राजस्थान के दौसा में की गई विशाल रैली में गुर्जरों ने भी आंदोलन को लेकर अपना समर्थन व्यक्त किया. 2011 की भारत की जनगणना के अनुसार करीरी गांव की आबादी 2288 है, जिसमें 72 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजाति के लोग हैं लेकिन महापंचायत में बड़े पैमाने पर लोगों की उपस्तिथि इस इलाके की कुल जनसंख्या से कई गुना अधिक दिखाई पड़ी.
किसान नेताओं- टिकैत, योगेंद्र यादव और युधवीर सिंह ने उपस्थित जनता से राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर स्थित शाहजहापुर में होने वाले किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए तैयार रहने के लिए कहा. पूरी दोपहर महापंचायत में मंच का संचालक सीमाओं पर बैठे किसानों की मदद के लिए मिलने वाली 1100 रुपए से लेकर 151000 तक की कम से कम एक दर्जन सहयोग राशियों की घोषणा करता रहा. टिकैत ने कहा, "हम आपका स्वागत करेंगे और आपकी देखभाल भी करेंगे लेकिन जब हम आपको वहां बुलाएं तब हर परिवार से एक ही व्यक्ति को आना होगा."
महापंचायत में शामिल होने वाले करारी के निवासी रामलाल मीणा ने मुझे पंचायत खत्म होने पर बताया. "आप लिख सकते हैं कि हम पूरी तरह से राकेश टिकैत के साथ हैं और आप यह भी लिखिए कि अब हम मोदी का चेहरा नहीं देखना चाहते. हम यहां के विधायकों को अगले चुनाव में गांव में घुसने नहीं देंगें.”
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