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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 8 नवंबर, 2025 को अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, ‘बिहार में वर्ष 2005 से पहले महिलाओं के उत्थान के लिए कोई काम नहीं होता था. महिलाएं घर की चहारदीवारी से बाहर नहीं निकल पाती थीं. शाम 6 बजे के बाद सड़कों पर महिलाओं का निकलना बिल्कुल असुरक्षित था. सत्ता संरक्षित अपराधी इतने बेखौफ़ हो चुके थे कि लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाने में भी डरती थीं. अगर कोई बेटी स्कूल जाती थी तो उनके माता-पिता तब तक परेशान रहते थे, जब तक बेटी वापस घर नहीं लौट जाती थी. लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई विशेष इंतज़ाम नहीं था तथा बहुत कम संख्या में बेटियां पढ़ पाती थीं. राज्य के अधिकांश हिस्सों में ख़ासकर ग्रामीण इलाकों की होनहार बच्चियां प्रारंभिक शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाती थीं. सरकार को राज्य की आधी आबादी की कोई चिंता नहीं थी और न ही उन्हें समाज में उचित प्रतिनिधित्व तथा मान-सम्मान मिलता था.’
बिहार चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण से तीन दिन पहले की गई इस पोस्ट के ज़रिए कुमार महिला मतदाताओं को सरकार की कोशिशों और काम की याद दिलाते नज़र आए. ऐसा इसलिए भी था कि दूसरे चरण में महिला वोटरों की संख्या पुरुष वोटरों से अधिक थी. इस चरण में कुल मतदाताओं की संख्या 3.70 करोड़ थी. जिसमें से 1.74 करोड़ केवल महिलाएं थीं. इस बार के विधान सभा चुनाव में 71.6 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोट दिया, जबकि केवल 62.8 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
उस पोस्ट में कुमार ने आगे लिखा, ‘24 नवंबर, 2005 को राज्य में जब नई सरकार का गठन हुआ, तब से हम लोग महिला शिक्षा एवं उनके विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं. महिलाओं को रोज़गार देने एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. अब राज्य की महिलाएं अपनी मेहनत से न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मज़बूत कर रही हैं बल्कि वे प्रदेश की प्रगति में भी अपना योगदान दे रही हैं.’
कुमार ने यह भी लिखा कि उनकी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण कदम 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में और 2007 में नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करना था. उन्होंने लिखा, ‘अब तक चार चुनाव हो चुके हैं. बड़ी संख्या में महिलाएं मुखिया, सरपंच, पंच, जिला परिषद अध्यक्ष, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, नगर निगम मेयर, नगर परिषद तथा नगर पंचायत अध्यक्ष जैसे पदों पर चुनी जा रही हैं. इससे समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है. इसके अलावा, 2013 से पुलिस नियुक्ति में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया. 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. राज्य के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए लड़कियों को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी आज देश के किसी भी राज्य से अधिक है.’
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