सीएनबीसी आवाज के एंकर हेमंत घई पर सेबी ने लगाया प्रतिबंध, परिवार के लोग जिन शेयरों को खरीदते उन्हें लेने की सिफारिश दर्शकों से करते थे

28 January, 2021

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13 जनवरी को भारत में बाजार नियामक एजेंसी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सीएनबीसी आवाज में काम करने वाले एंकर हेमंत घई और उनके परिवार के दो अन्य सदस्यों को अग्रिम सूचना के आधार पर लेन-देन के मामले में धोखाधड़ी करने पर दोषी करार दिया. सेबी के एक आदेश ने हेमंत को प्रतिभूतियों का सौदा करने, निवेश की सलाह देने या बेचने और खरीदने की सिफारिश करने पर रोक लगा दी. हेमंत स्टॉक 20-20 नाम के एक कार्यक्रम में एंकर थे, जो बाजार खुलने से पहले सुबह 7.20 बजे प्रसारित होता था.

सेबी ने जांच में हेमंत, उनकी पत्नी जया घई और उसकी मां श्याम मोहिनी घई को बड़ी संख्या में बीटीएसटी ट्रेड कहे जाने वाले 'आज खरीदो, कल बेचों कारोबार' में लिप्त पाया गया. जिसमें घई ने एक दिन पहले शेयर खरीदे थे और उन्हें खरीदने की सिफारिशें अगले दिन के अपने कार्यक्रम में दी औए जब शेयर की कीमत बढ़ जाती, तब लाभ के लिए उन्हें बेचा जाता. इन कारोबार को एक वित्तीय सेवा कंपनी एमएएस कंसल्टेंसी के माध्यम से निष्पादित किया गया था.

सेबी ने जांच में पाया कि इन ट्रेडों से घई को 2.95 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था. अभी तक, हेमंत या एमएएस सलाहकारों के खिलाफ पुलिस ने कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. हेमंत घई को सीएनबीसी आवाज की मूल कंपनी नेटवर्क18 समूह से निकाल दिया गया है.

सेबी की जांच में 1 जनवरी 2019 से 31 मई 2020 के बीच जया और श्याम मोहिनी के व्यापारिक पैटर्न पर ध्यान दिया गया और पाया कि दोनों ने हिंदी भाषा में सुबह प्रसारित होने वाले हेमंत घई के कार्यक्रम के दौरान हेमंत द्वारा की गई सिफारिशों के साथ तालमेल बनाकर बड़ी संख्या में बीटीएसटी कारोबार को अंजाम दिया. सेबी के आदेश में कहा गया कि शेयर पिछले दिन जया और श्याम मोहिनी के व्यापारिक खातों के माध्यम से खरीदे गए थे और अगले दिन हेमंत द्वारा अपने कार्यक्रम में उन्हीं शेयरों को खरीदने और बेचने की सिफारिश करने के तुरंत बाद बेच दिए गए.

गुजरात के मेहसाणा में स्थित मोतीलाल ओसवाल समूह की एक इकाई एमएएस कंसल्टेंसी के माध्यम से कारोबार को निष्पादित किया गया था. सेबी के आदेश में कहा गया है, “कॉल रिकॉर्ड्स के आधार पर यह देखा गया है कि श्री हेमंत घई जांच की अवधि के दौरान एमएएस के इक्विटी रिसर्च हेड श्री पार्थ अनिल कुमार रावल से नियमित रूप से संपर्क में थे. श्री हेमंत घई कुछ समय के लिए रावल की मैनेजमेंट टीम का हिस्सा रहे श्री भावेश कुमार पटेल के साथ भी संपर्क में थे.”

रावल ने मेरे कई संदेशों और फोन कॉलों का जवाब नहीं दिया. पटेल ने फोन का जवाब दिया और जब मैंने उनसे एमएएस की भूमिका के बारे में पूछा, तो उन्होंने "कोई समस्या नहीं" बोलकर फोन काट दिया. सेबी ने अपने आदेश में एमएएस कंसल्टेंसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की और कर्रवाई न करने का कारण स्पष्ट नहीं है. आदेश को पारित करने वाले सेबी के बोर्ड की स्थाई सदस्य माधवी पुरी बुच ने एमएएस परामर्शदाताओं के खिलाफ कार्रवाई न करने के कारण को लेकर पूछे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया.

दिल्ली स्थित ब्रोकरेज के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, “एंकर सिफारिश देने से पहले शेयरों में अपनी स्थिति मजबूत करता था. जैसे ही एंकर अपने कार्यक्रम में शेयरों को लेकर सिफारिश करता, तब सामान्य निवेशक जो एंकर का अनुसरण करते थे, वे उन शेयरों को भारी मात्रा में खरीदते, जिससे कीमत बढ़ जाती और उस समय वह अपने शेयर बेचेता था. यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसे फ्रंट ट्रेडिंग कहा जाता है, जहां आप सिफारिश करने से पहले अपने लिए शेयर खरीदते हैं, जो सेबी के नियमों के अनुसार गैरकानूनी है क्योंकि आप व्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं."

अपने आदेश में सेबी ने यह भी उल्लेख किया कि बीटीएसटी ट्रेडों ने कैसे काम किया. "श्री हेमंत घई यह जानते हैं कि कुछ शेयरों की खरीदारी की सिफारिश सुबह बाजार खुलने से पहले उनके द्वारा होस्ट किए जाने वाले कार्यक्रम में दी जाएगी."

आदेश में आगे कहा गया, “यह एक तर्कसंगत अपेक्षा है कि जैसे ही बाजार खुलता है, पहले दिन हुए बंद के मुकाबले शेयरों की कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.
यह भी एक उचित अपेक्षा है कि सिफारिश किए गए दिन के दौरान व्यापार की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. यदि एक दिन पहले एंकर जानता है कि किन शेयरों को खरीदने की सिफारिशें अगले दिन दी जानी हैं, तो वह यह भी जानता है कि सिफारिश के पहले दिन उन शेयरों को खरीदना और सिफारिश करने वाले दिन उन्हें बेचना फायदेमंद हो सकता है." नियामक ने जांच के दौरान हेमंत द्वारा 100 करोड़ रुपए के शेयरों की सिफारिशों से तालमेल किए गए कम से कम नब्बे बीटीएसटी ट्रेडों का पता चला.

उदाहरण के लिए 8 जनवरी 2020 को जया घई ने एक शिक्षा कंपनी, एप्टेक लिमिटेड के 159.15 रुपए प्रति शेयर पर 82.76 लाख रुपए के कुल 52000 शेयर खरीदे. अगले दिन हेमंत ने शेयरों को खरीदने सिफारिश दी, जिसके बाद शेयर 9.15 बजे से 9.22 बजे के बीच 183.19 रुपए प्रति शेयर के बीच बेचे गए. इस सौदे से उन्हें 12.5 लाख रुपए का लाभ हुआ था. इसी तरह से 19 फरवरी 2020 को श्याम मोहिनी घई के व्यापारिक खाते से चेन्नई स्थित एक कागज निर्माता कंपनी, जेके पेपर लिमिटेड के 2 लाख शेयर 125.73 में रुपए में खरीदे गए और उन्हें अगले दिन 131.79 रुपए प्रति शेयर पर बेचा गया. जिससे उन्हें 12.12 लाख रुपए का फायदा हुआ.

सेबी ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि भले ही हेमंत घई अपने परिवार में एक बाजार विशेषज्ञ हों लेकिन व्यापार जया हेमंत घई और श्याम मोहिनी घई के व्यापारिक खातों से किया गया था. शायद ऐसा प्रत्यक्ष रूप से जांच से बचने के लिए किया गया हो. इस आदेश में यह भी कहा गया कि हेमंत निवेशकों को यह बताने में विफल रहा कि उसने और उसके रिश्तेदारों ने शेयरों की खरीद को नियंत्रण में कर लिया था और सिफारिश के दिन बेचे गए शेयरों में उन्हें कई गुना मुनाफा हुआ. नियामक के अनुसार ऐसा करना, 1992 के सेबी अधिनियम और सेबी प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध अधिनियम 2003 का उल्लंघन है.

सेबी की जांच में हेमंत और उसके परिवार द्वारा की गई धोखाधड़ी से किए लेन-देन से केवल 2.95 करोड़ रुपए का खुलासा हुआ है. स्वतंत्र लेखक विवेक कौल, जिन्होंने ऑनलाइन समाचार प्लेटफॉर्म न्यूजलांड्री के लिए लिखे अपने लेख में वित्त व्यवस्था के बारे में तर्क दिया है कि व्यापार पत्रकारिता करने वालों में 'फ्रंट ट्रेडिंग' एक आम बात है और घई से जितने पैसों का खुलासा हुआ वह बेहद कम थे.”

नेटवर्क18 की प्रवक्ता सुप्रिया सक्सेना ने मुझे एक ईमेल में लिखा, "नेटवर्क18 समूह ने तत्काल प्रभाव से हमारे हिंदी व्यापार चैनल सीएनबीसी आवाज के एक कार्यक्रम के संचालक और एंकर को निष्कासित कर दिया है." यह पूछे जाने पर कि क्या चैनल के पास इस तरह के उल्लंघन को रोकने के लिए कोई व्यवस्था है, सक्सेना ने केवल एक आचार संहिता के बारे में बताया, जिस पर सभी कर्मचारियों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं. उन्होंने लिखा, "नेटवर्क18 के सभी कर्मचारियों को खुद को एक आचार संहिता की प्रतिज्ञा लेनी होती है, जिसमें बाकी अन्य नियमों के अलावा, सूचीबद्ध प्रतिभूतियों की कीमतों के हेरफेर को स्पष्ट रूप से निषेध किया गया है. श्री घई भी इस आचार संहिता के हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल थे."

सेबी के आदेश में सीएनबीसी आवाज को हेमंत घई द्वारा होस्ट किए गए कार्यक्रम के दर्शकों को इस बात की सूचना देने के लिए कहा गया कि सेबी ने घई के खिलाफ प्रथम दृष्टया, सेबी (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध) अधिनियम 2003 के उल्लंघन को लेकर आदेश पारित किया है. सक्सेना ने कहा कि नेटवर्क ने अपने दर्शकों और सेबी को ऐसी धोखाधड़ी होने की सूचना दी थी.

हालांकि यह सीधे तौर पर फ्रंट ट्रेडिंग से संबंधित नहीं है. 2010 में सेबी और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें मीडिया कंपनियों को कारपोरेट क्षेत्र में अपने दांवों का खुलासा करने के लिए कहा गया था. मीडिया कंपनियां सूचीबद्ध कंपनियों या सार्वजनिक रूप से प्रस्ताव देने वालों से शेयरों को खरीदती हैं जिसके बदले वह विज्ञापन, समाचार रिपोर्टों और संपादकीय के माध्यम से उन्हें मीडिया कवरेज प्रदान करती हैं. इसे निजी समझौते कहा जाता है, जिससे कंपनी के ब्रैंड का निर्माण करने में मदद मिलती है.

दिशानिर्देशों में सेबी ने चिंता व्यक्त की कि निजी समझौते न केवल आपसी हितों के टकरावों का कारण बन सकते हैं, बल्कि इससे मीडिया की स्वतंत्रता का भी हनन होता है. हरियाणा स्थित जिंदल समूह द्वारा चलाए जाने वाले पत्रकारिता और संचार स्कूल में प्रोफेसर सुकुमार मुरलीधरन ने कहा, "यह सिर्फ एक सिफारिश थी और प्रेस काउंसिल की बाकी सभी सिफारिशों की तरह इसे भी मीडिया द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था."

2008 में दिशानिर्देशों के प्रकाशित होने से पहले, तत्कालीन सेबी अध्यक्ष मेलेवेथिल दामोदरन ने व्यापार चैनलों के एंकरों के शेयरों के मूल्यों को कम और अधिक करने के चलन पर सवाल उठाए थे. उस साल दामोदरन ने इंडियन एक्सप्रेस से हुई अपनी बातचीत में कहा, “पहले जब हमने एंकर निवेशक शब्द सुना, तो मुझे लगा कि एंकर निवेशक वह व्यक्ति है जो शुरू में बहुत सारे पैसे एक ऐसी परियोजना में लगता है जिसकी प्रतिष्ठा को देखकर आसपास के अन्य लोग निवेश करते हैं. मुझे अपने तीन साल के कार्यकाल के अंत में यह समझ आ गया है कि एक एंकर निवेशक वह है जो एक एंकर होने के साथ एक निवेशक भी है. मैं उन लोगों के लिए चिंतित हूं जो इसके जिम्मेदार हैं. जो एक अरब से अधिक लोगों को संदेश देते हैं, जिनकी उम्मीद हैं कि एक दिन बाजार में दिलचस्पी लेंगे. यदि वह संदेश गलत साबित हो जाता है, तो क्या होता है? "

मुरलीधरन ने रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्नब गोस्वामी और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच लीक हुए संदेशों का जिक्र करते हुए कहा, "हेमंत घई की यह घटना और कुछ अर्नब की चैट का सामने आना भारतीय मीडिया की अच्छी छवि प्रस्तुत नहीं करता है. विश्वसनीयता को लेकर यह एक बड़ा संकट है लेकिन आप इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं हो सकते कि इसको लेकर कोई कार्रवाई की जाएगी क्योंकि सभी बड़े निगमों की मीडिया कंपनी में भारी हिस्सेदारी है और इसके बारे में कोई पारदर्शिता नहीं है. सेबी और प्रेस परिषद ने ऐसे भंडाफोड़ के मानदंडों को लेकर कुछ सुझावों पर काम किया था लेकिन प्रेस परिषद की बाकी सभी सिफारिशों की तरह इसे भी मीडिया द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था."

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Tushar Dhara is a reporting fellow with The Caravan. He has previously worked with Bloomberg News, Indian Express and Firstpost and as a mazdoor with the Mazdoor Kisan Shakti Sangathan in Rajasthan.