कोरोना लॉकडाउन ने तोड़ी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूध उत्पादक किसानों की कमर

लॉकडाउन के चलते गांवों में दूध के दाम गिर गए लेकिन चारा महंगा हुआ है. अजीत सोलंकी/एपी फोटो

देश में दूध का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है. देश के लाखों लोग दूध व्यवसाय से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं लेकिन जब से 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा हुई है तब से प्रदेश के गांवों में दूध व्यवसाय चरमरा गया है. दूध बेचकर गुजारा करने वाले लोगों को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं और लोग 15 रुपए से 20 रुपए लीटर दूध बेचने को मजबूर हैं. लॉकडाउन से पहले दूध 40 से 50 रुपए लीटर बिक रहा था.

यहां के लोगों को लॉकडाउन के साथ-साथ बेमौसम बारिश की मार भी झेलनी पड़ रही है. गांवों में यह वक्त गेहूं कटाई का है मगर इस बार बारिश अधिक होने की वजह से गेहूं की कटाई समय से नहीं हो पा रही है. आमतौर पर इस वक्त तक लोगों के पास जनवरों को खिलाने वाला भूसा खत्म हो जाता है या बहुत कम बचता है और गेहूं कि कटाई से नया भूसा बाजार में आ जाता है लेकिन इस बार चारे की समस्या खड़ी हो गई है. भूसे का दाम आसमान छू रहा है और सौ किलो भूसे की कीमत 500 से 1000 रुपए तक बढ़ गई है.

लॉकडाउन का असर इन किसानों पर कैसे पड़ रहा है यह जानने के लिए मैंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत और शामली जिलों के किसानों और खेत मजदूरों से बात की.

बागपत जिले के धनौरा सिल्वर नगर गांव के अनुज कश्यप ने 2014-15 में गांव का सर्वे किया था. उस सर्वे के आधार पर उन्होंने मुझे बताया कि उनके गांव में करीब 1800 परिवार रहते हैं और गांव के अधिकतर लोग दूध बेचने के काम से जुड़े हैं. उनके गांव में दूध की 8 डेरियां हैं और दस दूध की भट्टी हैं. ये भट्टियां भी गांववालों से दूध खरीदती हैं. अनुज ने बताया कि फिलहाल दूध का बड़ा बुरा हाल है क्योंकि कोई दूध नहीं खरीद रहा. उन्होंने बताया कि गांव के करीब 1000 लोग मजदूरी करके जीवनयापन करते हैं क्योंकि उनके पास खुद की खेती नहीं है. इन लोगों के घरों में औरतें भैंसे पालती हैं.

धनौरा सिल्वर नगर गांव में दूध भट्टी के मालिक अरशद से मैंने फोन पर बात की और पूछा कि भट्टियों ने दूध खरीदना क्यों कम कर दिया है. अरशद खोवा बनाते हैं और दिल्ली सप्लाई करते हैं. अरशद ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उनके यहां से रोजाना 200 लीटर दूध की खपत होती थी जिसे वह 40 रुपए से 50 रुपए प्रति लीटर की दर से गांववालों से खरीदते थे लेकिन “जब से लॉकडाउन हुआ है तब से हमारा माल बाहर नहीं जा रहा है.” उन्होंने मुझे बताया, “अब बस हम 60 लीटर दूध खरीद रहे हैं जिसकी कीमत अब 30 रुपए प्रति लीटर दे रहे हैं. इसमें हमारा और मजदूरों, दोनों का बड़ा नुकसान हो रहा है.”

दिहाड़ी मजदूरी करने वाले बड़ौत के तेजपाल की मजदूरी लॉकडाउन से ही बंद है. तेजपाल ने मुझे बताया कि उनके घर पर एक दूधारू भैंस है मगर कोई दूध लेने वाला नही है. “मजदूरी भी खत्म हो गई. एक गांव से हमलोग कम से कम 100 मजदूर बड़ौत दिहाड़ी करने जाते थे मगर अब सभी की हालत खराब है. जानवरों का चारा, खली-चुरी और अन्य चीजें महंगी होती जा रही हैं और दूध कोई ले नहीं रहा है. ऐसे में हमलोग क्या करें और अपनी परेशानी किसको बताएं?” तेजपाल ने मुझे बताया कि उनके गांव में आज सरकार की ओर से राशन आने वाला है लेकिन उनको पता नहीं कि किसे मिलेगा और किसे नहीं. तेजपाल ने यह भी कहा कि पहले उनका नाम मनरेगा में था लेकिन अब हट गया है.

उसी गांव के पोविंद्र राणा के घर पर तीन भैंसे हैं और वह खेती भी करते हैं. उन्होंने बताया कि फिलहाल गांव में दूध 20 से 25 रुपए लीटर बिक रहा है लेकिन कोई लेने वाला नहीं है. उन्होंने कहा, “किसान-मजदूर के सामने गहरा संकट आ गया है.

बागपत जिले के बुढेडा गांव के दूध किसानों का यही हाल है. बागपत जिला अदालत में वकालत करने वाले अजय गुज्जर ने मुझे बताया कि उनके गांव से करीब तीन गाड़ी दूध रोज दिल्ली सप्लाई होता था लेकिन आज दिल्ली का उनका खरीददार लेने से मना कर रहा है.” उन्होंने कहा, “आज गांव के लोग दूध की गाड़ी लेकर बड़ौत गए थे. वहां दूध का दाम 25 रुपए लीटर सुनकर वापस ले आए.”  गुज्जर ने बताया कि उनके आस-पास 7-8 गांव गुज्जरों के हैं जो दिल्ली में दूध की सप्लाई करते हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते दूध लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा, “लॉकडाउन से किसान तो थोड़ा-बहुत बच भी जाएगा मगर मजदूर नहीं बचेंगे. उनके जानवरों को चारा तक नहीं मिलेगा और हालत और खराब हो जाएगी.”

पड़ोसी जिले शामली के गंगेरू गांव के अजय कुमार को जब मैंने फोन किया तो वह बाजार से भैंसों के लिए खल खरीद कर लौट रहे थे. उन्होंने मुझसे शिकायत भरे अंदाज में कहा, “अचानक दुकानदार ने खल का दाम बढ़ा दिया है और दूध को पूछने वाला कोई नहीं है. कोई मांगता भी तो 20 रुपए या 25 रुपए लीटर दे रहा है. पिछले सप्ताह तक दूध की कीमत 45 रुपए लीटर थी.”