We’re glad this article found its way to you. If you’re not a subscriber, we’d love for you to consider subscribing—your support helps make this journalism possible. Either way, we hope you enjoy the read. Click to subscribe: subscribing
27 सितंबर को होमशॉप18 के 30 विक्रेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस कंपनी पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया. होमशॉप18 दिन भर चलने वाला टेली शॉपिंग चैनल और ई-कॉमर्स पोर्टल चलाती है. विक्रेताओं के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि कंपनी के ऊपर 200 से ज्यादा विक्रेताओं का 150 करोड़ से 200 करोड रुपए बकाया है. इन विक्रेताओं ने सबसे पहले जून के आखिर में तब एतराज जताना शुरू किया जब होमशॉप18 के मालिकाने में बदलाव हुआ. पहले यह कंपनी मुकेश अंबानी के रिलायंस समूह की नेटवर्क मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड की थी लेकिन बाद में इस पर स्काईब्लू बिल्डवेल का अधिकार हो गया. विक्रेताओं ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2018 में इस 305 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति वाली कंपनी को “धोखाधड़ी” के जरिए शैल कंपनी को बेच दिया गया. कारवां ने स्काईब्लू बिल्डवेल द्वारा कारपोरेट मंत्रालय में दायर वार्षिक रिटर्न का अध्ययन किया. रिटर्न में कंपनी ने अपनी संपत्ति 7 लाख 57 हजार रुपए बताई. कारवां ने पूर्व प्रकाशित रिपोर्ट में बताया था कि स्काईब्लू बिल्डवेल अंबानी के नजदीकी व्यापार सहयोगी महेंद्र नाहटा की है.
6 जून को विक्रेताओं ने पहली बार कंपनी के टेकओवर की बात सुनी थी. प्रसाधन सामग्री की निर्माता कॉस्मेटिक वर्ल्ड के मालिक राजेश सचदेवा ने मुझे बताया कि होमशॉप18 में उनके संपर्क ने व्हाट्सएप में एक प्रेस विज्ञप्ति भेज कर यह जानकारी दी थी. टीवी18 शॉपिंग नेटवर्क लिमिटेड जो नेटवर्क18 की सहायक कंपनी है ने अदल-बदल की फाइल राष्ट्रीय शेयर सूचकांक और बॉबे स्टॉक एक्सचेंज को भेजी है. उसमें लिखा है :
टीवी18 होम शॉपिंग नेटवर्क लिमिटेड ने नए निवेशक स्काईब्लू बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड से निधिबंधन किया है. इस चरण में कंपनी के वर्तमान शेयरधारकों ने (नेटवर्क18 मीडिया एंड इन्वेस्टमेंट्स, एसएआईएफ पार्टनर्स, जीएस होम शॉपिंग साउथ कोरिया, ओसीपी एशिया, सीजीओ शॉपिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड और प्रोविडेंस इक्विटी पार्टनर्स) भाग नहीं लिया. निवेश के बाद स्काईब्लू होमशॉप18 में 82.64 प्रतिशत की मालिक बन गई है. वह होल्डिंग कंपनी और प्रमोटर है. इस निवेश के साथ होमशॉप18 एनडब्लू18 एचएसएन होल्डिंग्स पब्लिक लिमिटेड (पीएलसी) और सहयोगी कंपनी नेटवर्क मीडिया एंड प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी नहीं रह गई हैं. कंपनी अपना कॉर्पोरेट और ब्रांड नाम बदलने की प्रक्रिया में है.
दूसरी प्रसाधन निर्माता कंपनी एसएस कॉस्मेटिक्स के मालिक हिमांशु खट्टर को भी ऐसी ही प्रेस विज्ञप्ति प्राप्त हुई थी. दोनों जीजा-साले हैं और खबर मिलने से उन्हें एक तरह की राहत मिली. सचदेवा ने मुझे बताया कि दोनों को लगा था कि “चलो अब हमें हमारा बकाया मिल जाएगा. हमें क्या पता था कि जो हम पिछले तीन-चार महीनों से झेल रहे हैं वह जारी रहेगा.”
खट्टर ने मुझे बताया कि फरवरी या मार्च में पहली बार होमशॉप18 बकाया का भुगतान करने से चूकने लगी. हालांकि जून में ईटी प्राइम में प्रकाशित रिपोर्ट में विक्रेताओं के हवाले से बताया गया है कि कंपनी पर दिसंबर 2018 से बकाया था. खट्टर ने बताया कि कंपनी के ऊपर उसका अप्रैल और सितंबर का डेढ़ करोड़ रुपए बकाया है और सचदेवा ने कहा कि उसे कंपनी से 50 लाख रुपए लेने हैं. पानीपत के विक्रेता गिरीश गुप्ता जो होम फर्निशिंग की आपूर्ति करते हैं, उन्हें कंपनी से 2 करोड़ 80 लाख रुपए वसूलने हैं. अप्रैल में जब विक्रेताओं ने अपने बकाए के बारे में कंपनी के प्रबंधन से बात की थी तो उन्हें बताया गया कि नकदी की अस्थाई समस्या चल रही है और यह मामला जल्द निपट जाएगा. गिरीश कहते हैं, “हमें लगा था कि यह मुकेश अंबानी की कंपनी है और इसलिए हमारा भुगतान कर दिया जाएगा. अंबानी की अच्छी गुडविल है.”
2008 में टीवी18 ने होमशॉप18 शुरू की थी. यह साइप्रस की कंपनी एनडब्ल्यू18 होल्डिंग्स पीएलसी कंपनी थी. 2011 में इसने ई-कॉमर्स में कदम रखा और दो साल के भीतर यह भारत की पांचवी सबसे लोकप्रिय वेबसाइट बन गई. यह विक्रेताओं के प्रोडक्ट का विज्ञापन कर मीडिया के माध्यम से बेचती थी. इस मॉडल में कैश ऑन डिलीवरी भुगतान अधिक होता था और कंपनी प्रत्येक बिक्री पर 30 से 40 प्रतिशत कमीशन लेती थी. स्काईब्लू बिल्डवेल द्वारा अधिग्रहण किए जाने के वक्त तक कंपनी ने, ज्वैलरी, कपड़े, होम फर्निशिंग, फुटवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की आपूर्ति के लिए 200 से अधिक विक्रेताओं से अनुबंध किया था. खट्टर सितंबर 2018 में इस कंपनी के विक्रेता बने थे. वह कहते हैं, “इससे हमारी पहुंच बढ़ गई.”
2014 में अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नेटवर्क18 समूह को खरीद लिया. ईटी प्राइम की रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2010 और 2015 के बीच कंपनी का विकास 52.6 प्रतिशत की दर से हुआ लेकिन 2015 से इसमें गिरावट आने लगी. वित्त वर्ष 2015 में कंपनी का राजस्व 459 करोड़ रुपए था जो 2018 में 28 प्रतिशत गिरावट के साथ 166 करोड रुपए हो गया. 2015 में कंपनी ने बेंगलुरु का अपना ई-कॉमर्स विभाग बंद कर दिया. अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से इसको प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही थी. साथ ही, नोटबंदी की वजह से कैश ऑन डिलीवरी भुगतान व्यवस्था में असर पड़ा. 2017 में कंपनी ने स्टाफ में कटौती की.
कंपनी में गिरावट के बावजूद अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी ने विक्रताओं का भुगतान क्यों रोक दिया. होमशॉप18 कंपनी की सचिव मीनाक्षी बहल ने इस संबंध में पूछे गए सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया.
स्काईब्लू बिल्डवेल द्वारा होमशॉप18 के अधिग्रहण के बाद कुछ विक्रेता कंपनी के नए प्रबंधन से मिलने गए तो उन्हें उनके बकाया के बारे में अलग अलग जवाब दिए गए. खट्टर के अनुसार 27 मई तक स्काईब्लू बिल्डवेल के निदेशक रहे सुनील बत्रा ने उनसे कहा था, “भुगतान के बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि सरकार की अनुमति लेनी है. लेकिन मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनीष कालरा ने बताया कि वह फंड के लिए मुंबई जा रहे हैं.” इसके बाद कालरा ने इस्तीफा दे दिया. 17 जून को पानीपत के कुछ विक्रेताओं ने मुख्य वित्त अधिकारी गुरविंदर सिंह से नोएडा कार्यालय में मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो पाए.
3 दिन बाद विक्रेताओं ने ऑफिस के बाहर नारेबाजी करनी शुरू कर दी. इसी समय दिल्ली, सूरत, पानीपत, इंदौर और चेन्नई के 30 विक्रेताओं ने संगठित होकर होमशॉप18 विक्रेता एसोसिएशन की स्थापना की और 23 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा. खट्टर एसोसिएशन की गतिविधियां देख रहे हैं. पीएमओ को लिखे पत्र में कुल बकाया राशि 200 करोड़ रुपए बताई गई है. जब मैंने खट्टर से पूछा कि इस रकम का आंकलन कैसे किया तो उनका जवाब था उन्हें कंपनी में काम करने वाले व्यक्ति ने बताया है. जब भुगतान को लेकर आश्वासन की कोशिशें बार-बार नाकाम हो गईं तो विक्रेता घबरा गए और उन्होंने नए मालिक की पड़ताल शुरू की.
एसोसिएशन ने कारपोरेट मंत्रालय से जानकारी निकाली और पाया कि स्काईब्लू बिल्डवेल की शुद्ध संपत्ति 7 लाख 57 हजार रुपए है. सचदेवा पूछते हैं, “स्काईब्लू खुद से 40 गुना बड़ी कंपनी का अधिग्रहण कैसे कर सकती है.” कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि वह रियल एस्टेट कंपनी के बतौर सूचित है और 2015-16 में इसका रिटर्न एक लाख रुपए था जो 2018-19 में घटकर शून्य रह गया था. 2018-19 के वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी ने “कर्मचारी खर्च” शून्य बताया है. ईटी प्राइम की खबर के मुताबिक एचएसएटी में “इसकी दिलचस्पी का कारण अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन यह व्यापार की बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकती है.”
8 जुलाई को कारपोरेट मंत्रालय के आंकड़ों के साथ एसोसिएशन ने होमशॉप18 और नेटवर्क18 नोएडा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. फिर 10 दिन बाद इन लोगों ने दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन किया. 29 जुलाई को एसोसिएशन ने कारपोरेट मंत्रालय को पत्र भेजा. इस पत्र में एसोसिएशन ने लिखा है कि स्काईब्लू बिल्डवेल द्वारा होमशॉप18 का अधिग्रहण “धोखाधड़ी जैसा” मामला है और “इसका कुल मकसद विक्रेता/वेंडरों के करोड़ों रुपयों का गबन करना है जिसे एचएस18 ने विक्रेताओं के लिए ग्राहकों से वसूले हैं.”
विक्रेताओं के एक अन्य समूह में 10 जुलाई को नोएडा के वरिष्ठ पुलिस महानिरीक्षक से शिकायत की. जुलाई के आखिर में विक्रेताओं ने आर्थिक अपराध शाखा से संपर्क किया. खट्टर ने बताया, “नोएडा पुलिस या आर्थिक अपराध शाखा किसी ने भी एफआईआर दर्ज नहीं की. आर्थिक अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त विरेंद्र कुमार के समक्ष एसोसिएशन ने अपनी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की. इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक विरेंद्र कुमार ने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया था.
विक्रेता एसोसिएशन को कानूनी सहायता दे रहीं तमोहरा पार्टनर्स की ऋतु सिंह मान ने मुझे बताया, “शिकायत दर्ज करने के चरण में पुलिस यह तय नहीं कर सकती कि मामला बनता है या नहीं. उन्हें पड़ताल करनी होगी. समस्या यह है कि अधिकारी जांच करने को राजी नहीं हैं और जब तक जांच नहीं की जाती कैसे पता चलेगा कि स्काईब्लू के पीछे कौन है?” जब मैंने उनसे पूछा कि विक्रेताओं का दावा है कि स्काईब्लू एक शैल कंपनी है इतना सही है तो उनका कहना था, “विक्रेताओं ने अपनी पड़ताल की है और यह उनका निष्कर्ष है लेकिन किसी भी प्रकार का आधिकारिक वक्तव्य देने के लिए जांच की आवश्यकता है.”
दिल्ली के बेडशीट के सप्लायर विक्रम गुप्ता ने मुझे होमशॉप18 के साथ अपने अनुबंध की कॉपी दिखाई. इस कॉपी में गुप्ता की साझेदारी कंपनी शुभ शॉप और टीवी18 होम शॉपिंग नेटवर्क की ओर से हस्ताक्षर हैं. मान ने बताया कि टीवी18 होम शॉपिंग नेटवर्क वह कंपनी है जिसके साथ विक्रेताओं ने अनुबंध किया था और जिसके नाम पर बिल बनाया और भुगतान लिया जाता था. कारपोरेट मालिकाना में परिवर्तन के बाद इस कंपनी का अस्तित्व नहीं रह गया है. “इसके असली प्रमोटरों ने निवेश वापस ले लिया है और चले गए हैं. इसके नए प्रमोटर स्काईब्लू के पास कुछ नहीं है.” मान कहती हैं, “जब एक कानूनी इकाई दूसरी कानूनी इकाई का अधिग्रहण करती है तो पुरानी कानूनी इकाई का दायित्व नई के ऊपर आ जाता है. लेकिन नई इकाई के पास दायित्वों का भुगतान करने की क्षमता होनी चाहिए जबकि स्काईब्लू के पास यह क्षमता नहीं है.”
मान के अनुसार, “स्काईब्लू की वित्तीय स्थिति के मद्देनजर यदि ये लोग रसूखदार नहीं हैं तो इनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, एफआईआर दर्ज करने में क्या समस्या है.” वह बताती हैं कि कोई भी अधिकारी इस मामले में हाथ डालना नहीं चाहता.
25 अप्रैल 2012 से 19 जुलाई 2019 तक स्काईब्लू बिल्डवेल के निदेशक रहे सुरेंद्र लुनीया की लिंकडइन प्रोफाइल के मुताबिक लुनीया अंबानी के सहयोगी महेंद्र नाहटा की कंपनी हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे. फिलहाल लुनीया इंफोटेल समूह के प्रबंध निदेशक हैं. थ्रीजी स्पेक्ट्रम नीलामी बोली में लुनीया की विवादास्पद भूमिका थी जिसमें अंततः रिलायंस जिओ को फायदा मिला.
मान ने बताया की इस मामले के दो पक्ष हैं. “पहला है, आपराधिक जालसाजी. विक्रेताओं ने होमशॉप18 को अपनी ओर से धन संकलित करने और उन्हें सौंपने का हक दिया था. यह भारतीय दंड संहिता की धारा 409 का स्पष्ट मामला बनता है. पुलिस इसमें एफआईआर दर्ज कर सकती है. दूसरा पक्ष अधिग्रहण से संबंधित है. एक कंपनी जिसकी कोई संपत्ति नहीं है वह कैसे करोड़ों की कंपनी को ले सकती है. इसके लिए कंपनी रजिस्ट्रार की अनुमति चाहिए. हमें नहीं पता कि अनुमति दी गई है या नहीं और क्या लेनदारों को इसकी जानकारी दी गई क्योंकि हमें रिकॉर्ड नहीं दिखाए गए. यह तभी सामने आएगा जब गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय पड़ताल करेगा.”
मैंने नोएडा के वरिष्ठ पुलिस महानिरीक्षक और अपराध के लिए पुलिस महानिरीक्षक से संपर्क करने की कोशिश की. एसएसपी के यहां काम करने वाले व्यक्ति ने मुझे बताया कि “साहब” फोन पर किसी से बात नहीं कर रहे हैं जबकि एसपी ने कहा कि वह छुट्टी पर हैं और फोन काट दिया. मैंने कारपोरेट मंत्रालय के संयुक्त निदेशक को फोन लगाया जिन्हें विक्रेताओं ने पत्र दिया था. नाम न छापने की शर्त पर उस निदेशक ने बताया कि शिकायत को संबंधित कार्यालय में भेज दिया गया है. होमशॉप18 के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी गुरविंदर सिंह ने भी कुछ कहने से इनकार कर दिया. 24 जून को मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने हार्दिक शाह ने मेरा फोन नहीं उठाया. इन लोगों का जवाब मिलते ही रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
Thanks for reading till the end. If you valued this piece, and you're already a subscriber, consider contributing to keep us afloat—so more readers can access work like this. Click to make a contribution: Contribute