8 सितंबर को गोरखपुर जिले के कुशमौल गांव के सोनू जाटव ने फेसबुक पर एक पोस्टर जारी कर घोषणा की कि वह गांव का प्रधानी चुनाव लड़ेगा. वर्तमान में गांव के प्रधान ठाकुर जाति के विवेक शाही हैं. पोस्ट लिखते ही सोनू के कमेंट बॉक्स पर गालियों की बोछार शुरु हो गई और लोग फोन पर भी उसे गालियां देने लगे.
सोनू को मिल रही धमकियों के खिलाफ गोरखपुर के जाति विरोधी संगठन पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप भारती ने 14 सितंबर को गोरखपुर के जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर के सामने धरना दिया और चेतावनी दी कि यदि प्रधान को गिरफ्तारी नहीं किया गया तो वह आंदोलन करेंगे. लेकिन चार दिन बाद 18 सितंबर को रात करीब 2 बजे पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष भारती और उनके छोटे भाई योगेंद्र को पुलिस ने घर से गिरफ्तार कर लिया.
पूर्वांचल सेना का निर्माण 2006 में हुआ था. सेना के छात्र संगठन का नाम आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन फॉर राइट्स (असुर) है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के दलित नौजवाजों के बीच इसका मजबूत आधार है.
धीरेंद्र की गिरफ्तारी के बारे में मैंने गोरखपुर और अन्य जगहों के सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों से बात की. सभी का मानना है कि उनकी गिरफ्तारी राज्य में ठाकुरों के आधिपत्य की बानगी है.
धीरेंद्र ने साल 2006 में पूर्वांचल सेना का गठन किया था. वह और उनके छोटे भाई योगेंद्र जूडो चैंम्पियन हैं और गोरखपुर में जूडो शिक्षक हैं. बहन पिंकी मुक्केबाजी की राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं. धीरेंद्र के सबसे छोटे भाई सतेंद्र प्रताप भारती ने मुझे बताया, “मेरे बड़े भाई हमेशा दलितों और बहुजनों की आवाज बुलंद करते हैं. गोरखपुर में जब कोई दलित विरोधी घटना होती है वह पूरी ताकत से उसका विरोध करते हैं.” सतेंद्र फिलहाल डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में एमए (अर्थशास्त्र) के अंतिम वर्ष में हैं.
गिरफ्तारी के बारे में भारती भाइयों के पिता राम गुलाम भारती ने मुझसे कहा, “हम लोग समाचार देख कर रात 12 बजे सो गए थे. घर में उस वक्त योगेंद्र, धीरेंद्र और बेटी पिंकी थे. घर का दरवाजा अंदर से बंद कर मेरी पत्नी और मैं बरामदे में सोए हुए थे.” पिता भारती ने बताया कि पुलिस बिना दरवाजे पर दस्तक दिए घर के अंदर घुस गई. “किसी ने आवाज भी नहीं दी. एक पुलिस वाला दरवाजे पर चढ़ कर अंदर आ गया और कुंडी खोल दी. सब अंदर आ गए.”
पिता भारती के अनुसार, उनको और पत्नी को समझ नहीं आया कि घर में घुसने वाले लोग कौन हैं क्योंकि “जो लोग अंदर आए थे वे बिना वर्दी के थे.” उन्होंने आरोप लगाया कि “करीब 25 लोग थे और उनमें से कई लोग शराब पिए हुए थे.” उन्होंने आगे कहा, “हमनें पूछा कि क्या बात है? आप लोग कौन हैं? तो उन्होंने कहा, ‘हम पुलिस हैं.”
पिता भारती ने बताया कि पुलिस परिवार वालों को मां-बहन की गालियां देने लगी. “मेरी पत्नी ने जब उनसे कहा कि तमीज से बात करें. आपलोग मेरे बच्चों के सामने गाली देकर बात नहीं कर सकते.” पिता भारती ने बताया कि पुलिस वाले योगेंद्र के कमरे में घुस गए और वह घबरा कर जागा. “मेरी बेटी पिंकी भी उठ गई और वीडियो बनाने लगी लेकिन चार-पांच पुलिस वालों ने उसका मोबाइल छीन लिया.” उन्होंने आगे बताया कि पुलिस वालों ने योगेंद्र और धीरेंद्र के फोन भी छीन लिए. जब धीरेंद्र ने पूछा कि क्या उनलोगों के पास वॉरेंट है तो पुलिस वालों ने कहा, “तुम नेतागिरी करते हो. अब तुम्हारी पूरी नेतागिरी निकाल देंगे.”
पिता भारती के मुताबिक पुलिस वालों ने उनके दोनों बेटों को गाड़ी में बैठा लिया लेकिन यह नहीं बताया कि उनके घर में किसलिए छापेमारी की गई. पुलिस वालों ने उनसे पूछा कि डेविड कहां है? उन्होंने कहा, “मैंने उलटा पूछा कि डेविड कौन है? क्योंकि हमलोग किसी डेविड को नहीं जानते. जब उन लोगों ने कहा कि रोहित डेविड तो हमने बताया कि वह हमारा दूर का रिश्तेदार है लेकिन हमारा उसके साथ कोई संपर्क नहीं हैं.” भारती के मुताबिक पुलिस ने उन्हें आगे कुछ नहीं बताया और उनके बेटों को लेकर चली गई.
भाइयों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में डेविड के नाम का जिक्र एक बार है लेकिन वह बिल्कुल अगल परिस्थितयों से संबंधित है. रिपोर्ट के अनुसार, देर रात के कुछ बाद पुलिस को मुखबीर से पता चला कि विक्की हरिजन उर्फ डेविड नाम का “शातिर अपराधी” दो आदमियों के साथ हनुमान मंदिर के समीप खड़ा है और जब पुलिस वहां पहुंची तो उनकी पहचान विक्की, धीरेंद्र और योगेंद्र के रूप में की. पुलिस के अनुसार, विक्की के पास तमंचा था जिससे उसने पुलिस पर गोली चला दी. पुलिस ने तीनों के खिलाफ धारा 353, 307 और 332 के तहत मामला दर्ज कर लिया. धीरेंद्र के परिवार के अनुसार उन्हें फंसाया गया है.
अगले दिन परिवार वाले योगेंद्र और धीरेंद्र से मिलने सुबह 9 बजे गोरखपुर के कैंट थाने गए तो उन्हें बताया गया कि वहां उन नामों के किसी व्यक्ति को नहीं लाया गया है. पिता ने कहा, “यह सुनकर मेरे पैरों के नीचे से तो जैसे जमीन खिसक गई. मेरे बेटे दलितों, गरीबों, मजलूमों की लड़ाई लड़ते रहे हैं और अभी हाल ही में सोनू जाटव को जब ठाकुर जाति के प्रधान ने गाली दी थी तो उसको लेकर मेरे बेटों ने डीएम के यहां धरना प्रदर्शन दिया था. मैं डर गया कि कहीं मेरे बेटों के साथ कुछ गलत तो नहीं कर दिया गया.”
पिता भारती ने बताया कि पहले उन्होंने इस मामले में पुलिस अधीक्षक से मिलने की कोशिश की लेकिन जब वह नहीं मिल सके तो जिला मजिस्ट्रेट विजेंद्र पांडिया से भेंट की. पांडिया ने बताया कि दोनों भाइयों को क्राइम ब्रांच वालों ने पकड़ा है. पुर्वांचल सेना के जिला प्रमुख सुरेंद्र वाल्मीकि ने मुझे बताया कि धीरेंद्र और योगेंद्र कोरोना क्वारंटीन सेंटर में 14 दिनों के लिए बंद हैं. इसके बाद दोनों को गोरखपुर केंद्रीय कारावास शिफ्ट कर दिया जाएगा.
गोरखपुर स्थित निषाद आर्मी के प्रदेशाध्यक्ष राजा निषाद ने मुझे बताया कि वह धीरेंद्र को निजी रूप से जानते हैं और उनकी गिरफ्तारी “गैर वाजिब” है. उन्होंने कहा, “पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेंद्र हमेशा कमजोरों के लिए संघर्ष करते हैं. वह संविधान की रक्षा की लड़ाई लड़ते हैं.” उन्होंने बताया कि वह और धीरेंद्र प्रताप बाबा साहब (आंबेडकर) को मानने वाले लोग हैं.
जिस तरह से धीरेंद्र को गिरफ्तार किया गया उस पर राजा निषाद सवाल उठाते हैं, “उन्हें ऐसे गिरफ्तार किया गया जैसे वह कोई बड़े क्रिमिनल हैं. ऐसा लग रहा है जैसे राजशाही चल रही है. ये लोग बहुजनों और दलितों की आवाज को दबा रहे हैं.”
अंततः 26 सितंबर को प्रधान शाही को गिरफ्तार कर लिया गया. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए मैंने बांसगांव पुलिस स्टेशन के अधिकारी नीतीश कुमार से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने बात करने के लिए गोरखपुर आने को कह कर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. नीतीश ने ठाकुरों के जुल्मों वाली अगस्त की रिपोर्ट के संबंध में यही जवाब दिया था. मैंने गोरखपुर कैंट पुलिस स्टेशन के इंचार्ज मनोज राय को भी फोन किया लेकिन उन्होंने कहा कि मैं धीरेंद्र के पिता से बात करूं और फोन काट दिया. बाद में मैंने कई बार उन्हें फोन लगाने की कोशिश की लेकिन राय ने फोन नहीं उठाया.
राज्य में दलित राजनीति के दमन के बारे में, जिसकी एक मिसाल धीरेंद्र और योगेंद्र की गिरफ्तारी है, मैंने जानेमाने बहुजन लेखक सिद्धार्थ से बात की जो गोरखपुर से हैं और लंबे वक्त से दिल्ली में रह रहे हैं. उन्होंने बताया, “2014 के बाद भारत की राजनीति में कई परिवर्तन हुए और 2017 में उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद प्रदेश में दलितों पर हमले तेज हो गए.” उन्होंने कहा कि वर्तमान हिंदुत्ववादी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पुर्वांचल सेना जैसी विचारधारा है इसलिए धीरेंद्र प्रताप जैसे लोग जो हिंदुत्व विचारधारा को चुनौती देते हैं वे सरकार की हिटलिस्ट में हैं.”