ऐसा लगता है कि नरेन्द्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनावों को कराने के लिए कदम उठा रही है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र ने पहले ही पिछले दरवाजे से इस बाबत वार्ता शुरू कर दी है और अगर सब कुछ ठीक रहा तो जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों को औपचारिक बातचीत के लिए दिल्ली आमंत्रित किया जा सकता है.
केंद्र सरकार इस कदम का यह कह कर बचाव कर सकती है कि वह हमेशा से ही “उचित समय” पर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध थी. लेकिन इसके पीछे का प्रमुख कारण बाहरी दबाव हो सकता है क्योंकि अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर की स्वायत्तता छीनने और इसके विभाजन को अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है.
अमेरिका भारत पर जम्मू और कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः आरंभ करने और पाकिस्तान के साथ बातचीत करने का दबाव डाल रहा है. 12 जून को दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी कार्यवाहक सहायक सचिव डीन थॉम्पसन ने कांग्रेस की सुनवाई में कहा है कि "भारत सरकार की कुछ कार्रवाइयों से चिंताएं पैदा हुई हैं जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों से मेल नहीं खाती हैं." थॉम्पसन ने सुनवाई में बताया कि इन चिंताओं के बीच "कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमने भारत से जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का आग्रह किया है. इसके लिए भारत ने कुछ प्रयास भी किए हैं जैसे, कैदियों की रिहाई, 4जी इंटरनेट की बहाली और इसी तरह की अन्य चीजें. हम उन्हें चुनाव जैसे अन्य कदम भी उठाते देखना चाहते हैं और हमने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा है और आगे भी कहते रहेंगे.
हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन की चिंता मानवाधिकारों और लोकतंत्र की चिंताओं से बड़ी है. अमेरिका 11 सितंबर 2021 से पहले अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध है. संभवतः जुलाई के मध्य तक. इसलिए उसे पाकिस्तान को यह संकेत देना है कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंध के बावजूद वह पाकिस्तान के हितों के प्रति सचेत है. उसे अफगान शांति वार्ता के लिए और सेना की वापसी के बाद अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान के सक्रिय सहयोग की आवश्यकता है. इसलिए कम से कम शिष्टाचारवश जम्मू और कश्मीर के घटनाक्रम पर पाकिस्तान की चिंताओं को अमेरिका द्वारा स्वीकार किया जाना ही होगा.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 4 जून को कहा था कि अगर भारत जम्मू और कश्मीर पर कोई रोडमैप पेश करता है तो भारत के साथ बातचीत फिर शुरू हो सकती है. इस बात ने अमेरिका को आगे बढ़ने का अवसर दिया है क्योंकि यह पाकिस्तान की पहले की स्थिति से अलग है. उसने पहले और हाल में 30 मई को भी कहा था कि जब तक भारत अगस्त 2019 के अपने फैसलों को उलट नहीं देता स्थिति सामान्य नहीं हो सकती. इस साल अप्रैल में पाकिस्तान की कैबिनेट ने भारत के साथ व्यापार को फिर शुरू करने के प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी.
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