लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में मारे गए युवा पत्रकार रमन कश्यप के अधूरे सपने

12 जनवरी 2022
रमन कश्यप क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल साधना प्लस न्यूज में तहसील संवाददाता थे.
एलस्ट्रेशन : अनीस वानी
रमन कश्यप क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल साधना प्लस न्यूज में तहसील संवाददाता थे.
एलस्ट्रेशन : अनीस वानी

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को गाड़ियों से रौंदने की घटना में जिन आठ लोगों की मौत हुई उनमें 33 वर्षीय पत्रकार रमन कश्यप भी थे. घटनास्थल पर मौजूद एक अन्य पत्रकार अनिल कुमार मौर्य ने कारवां को बताया कि वह और रमन उस वक्त एक दूसरे को अपना विजिटिंग कार्ड दे रहे थे कि तभी एक काली एसयूवी आई और रमन को टक्कर मारती हुई आगे निकल गई. यह गाड़ी केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा “टेनी” के काफिले की थी. मौर्य ने बताया कि पहले तो वह घटनास्थल से भाग गए लेकिन बाकी पूरे दिन वह रमन को ढूंढते रहे और सुबह 3 बजे घर लौटे. ठीक इसी समय रमन के पिता राम दुलारे को स्थानीय मुर्दाघर से एक फोन आया कि उन्हें अपने बेटे के शव की पहचान करने के लिए आना है. 

रमन क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल साधना प्लस न्यूज में तहसील संवाददाता थे. समाचार चैनल न्यूज वन इंडिया के पत्रकार सुरजीत चानी रमन के परिवार को सालों से जानते हैं. वह इस घटना में खुद भी घायल हुए थे. उन्होंने बताया कि रमन एक पढ़ा-लिखे समझदार युवा थे. चानी ने मुझे बताया, “अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया था. वह शादीशुदा थे और उन पर बहुत सारी जिम्मेदारियां थीं. रमन अपने पीछे पत्नी अनुराधा और दो बच्चों- 11 वर्षीय वैष्णवी और दो वर्षीय अभिनव- माता-पिता, एक बड़ी बहन और दो छोटे भाई छोड़ गए हैं.

चानी ने बताया कि रमन का छोटा सा पत्रकारिता करियर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. पिता राम दुलारे किसान हैं जिनके पास करीब तीन हेक्टेयर जमीन है. चानी ने कहा, "करीब डेढ़ साल पहले रमन स्थानीय खनन माफिया के साथ एक भूमि विवाद में उलझ गए थे." उन्होंने बताया कि खनन माफिया के तार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे और स्थानीय विधायक और तथाकथित पत्रकारों के साथ माफिया का उठना-बैठना था. रमन के भाई पवन ने मुझे बताया कि पत्रकारिता में आकर रमन को स्थानीय प्रशासन के बीच पहुंच बना लेने की उम्मीद थी ताकि परिवार को विवाद के कारण होने वाले उत्पीड़न से सुरक्षा दिला सकें.

हिंदी अखबार दैनिक भास्कर और ठोस खबर के पत्रकार जसप्रीत सिंह ने मुझे बताया, "रमन को पत्रकारिता का शौक था." उन्होंने कहा कि रमन को वह बचपन से जानते थे और अक्सर रमन उनसे इस पेशे में कैसे आ सकते हैं पूछा करते थे. साधना प्लस न्यूज में नौकरी की पेशकश 2021 में पहले जसप्रीत को ही की गई थी. चूंकि उनके पास पहले से ही नौकरी थी इसलिए उन्होंने रमन से कहा कि वह यह काम कर लें. और वह तुरंत राजी हो गए.  

ऐसा करते ही रमन भारत के छोटे शहरों के पत्रकारों की उस बिरादरी में आ गए जिनके लिए पत्रकारिता निश्चित आजीविका और खर्चा चलाने की गारंटी नहीं होती. उन्होंने अपने गृहनगर निघासन के एक निजी स्कूल गुरुकुल मॉडर्न एकेडमी में पढ़ाना जारी रखा. स्कूल से उन्हें हर महीने सात हजार रुपए मिलते थे. जसप्रीत ने कहा, "उनके कई छात्र विदेश में हैं और कई विदेश जाने की तैयारी कर रहे हैं." रमन को प्रकाशित होने वाली हर रिपोर्ट के लिए महज 500 रुपए मिलते थे. यह रकम भी दो से तीन महीने में ही हाथ में आती थी.

पारिजात कारवां में अनुवादक हैं.

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