पलवल की बधिर बेटी के नाम पत्र

10 अक्टूबर 2020
सांकेतिक भाषा में STOP या स्टाप. मूक-बधिर लोगों के खिलाफ अपराध और खास कर मूक-बधिर बच्चों के खिलाफ यौन अपराध भारत में बड़े पैमाने पर होते हैं.
चित्र : सुकृति अनाह स्टेनली
सांकेतिक भाषा में STOP या स्टाप. मूक-बधिर लोगों के खिलाफ अपराध और खास कर मूक-बधिर बच्चों के खिलाफ यौन अपराध भारत में बड़े पैमाने पर होते हैं.
चित्र : सुकृति अनाह स्टेनली

25 अगस्त को हरियाणा के पलवल जिले में दस साल की बधिर बच्ची का अपहरण कर बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी गई. उस बच्ची की मां, बहन और भाई भी सुन नहीं सकते. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब उसके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें भगा दिया गया. मूक-बधिर लोगों के खिलाफ अपराध और खास कर मूक-बधिर बच्चों के खिलाफ यौन अपराध भारत में बड़े पैमाने पर होते हैं. पिछले एक साल में ऐसे अपरोधों के कई मामले झारखंड, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर में सामने आए हैं. बधिर और मूक अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों को विशेष शिक्षण तकनीक प्रदान करने में सरकार की विफलता उन्हें प्रभावी संवाद करने और ऐसे अपराधों को रोकने में असमर्थ बनाती है. सौदामिनी पेठे  भारत की पहली बधिर महिला हैं जो कानून की पढ़ाई कर रही हैं. वह मूक एवं बधिर लोगों के लिए काम करती हैं. हरियाणा में उस नाबालिग की हत्या के खिलाफ उन्होंने यह खुला पत्र लिखा है. 

मेरी प्यारी बेटी,

तुम जैसी मासूम जान के बलात्कार और हत्या की क्रूर घटना के बाद मेरे भीतर एक बेबस गुस्से और गहरे संताप के अलावा और कुछ नहीं बचा है. 

खुद एक सशक्त बधिर औरत होने के नाते मैं उन दरिंदों द्वारा तुम्हारा बलात्कार और हत्या को मंजूर नहीं कर सकती. मैं तुम्हारी कमजोर स्थिति, आत्मरक्षा कर पाने की तुम्हारी अक्षमता को समझती हूं, जिसका फायदा पितृसत्तात्मक और आपराधिक मानसिकता का प्रदर्शन करने वाले उन बलात्कारियों ने उठाया जो समझते हैं कि ऐसा करने के बावजूद वे बच निकल सकते हैं. एक बधिर बच्ची जो खुद को अभिव्यक्त नहीं कर सकती या अपनी बात नहीं कह सकती, उन लोगों के लिए बलात्कार और हत्या का आसान शिकार थी. ऐसा करने वाले फिर भी सही सलामत खुले घूम रहे हैं. 

जब भी मैं इस बारे में सोचने की कोशिश करती हूं कि क्या किया जा सकता है और क्या होना चाहिए तो इन मामलों के पीछे की परिस्थितियों को याद कर दहल जाती हूं. मेरा मन कैसे, क्यों और आगे इस तरह की घटना कभी न हो इसे रोकने के तरीकों से जुड़े अनगिनत अनसुलझे सवालों से भर जाता है. मैं इस खत को इस उम्मीद के साथ लिख रही हूं कि सभी संबंधित पक्ष यानी माता-पिता, शिक्षक, स्थानीय प्रशासन, पुलिस अधिकारी और बड़े पैमाने पर भारतीय समाज, लैंगिक सीमाओं को किनारे रख, एक बधिर बच्ची के लिए तत्कालीन हस्तक्षेप, रोकथाम और सशक्तिकरण की जरूरत को समझेंगे. 

सौदामिनी पेठे कानून की पढ़ाई कर रहीं भारत की पहली बधिर महिला हैं.

Keywords: deaf Indian Sign Language sign language rape murder National Education Policy
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