घास पर बैठना वर्जित है!

मयस्सर नहीं बेंगलुरु के पार्कों में किताबें पढ़ना

बेंगलुरु के कब्बन पार्क में किताबें पढ़ते लोग. कब्बन रीड्स
11 September, 2023

मई की एक गर्म दोपहरी को बेंगलुरु की दिव्या हस्ती को ख्याल आया कि शहर में कोई पार्क ढूंढा जाए जहां घनी घास हो और जिस पर वह और दोस्त पसर कर किताबें पढ़ सकें. मुख्य शहर से लगभग बीस किलोमीटर दूर येलहंका इलाके की सड़कों पर हस्ती अपने स्कूटर पर इस मिशन को पूरा करने निकल पड़ी. उसे कहां पता था कि पढ़ने के लिए सार्वजनिक पार्क शहर में अब होते ही नहीं हैं.

24 साल की हस्ती फाइनेंस प्रोफेशनल है. एक दिन वह बेंगलुरु के कब्बन पार्क की रीडिंग सोसायटी “कब्बन रीड्स” आई. हस्ती ने हमें बताया कि वह येलहंका में हमारी सोसायटी की शाखा शुरू करना चाहती है. आपको बता दें कि दुनिया के 60 शहरों में हमारी शाखाएं हैं. हर वीकेंड सार्वजनिक पार्कों पर चुपचाप किताबें पढ़ते पाठकों का कब्जा हो जाता है. ये पेंटिंग भी करते हैं, क्रॉशिया बनाते हैं, लिखते हैं या ओरिगेमी बनाते हैं. वॉलिंटियरों के जरिए चलने वाली पांच शाखाएं- “लालबाग रीड्स”, “व्हाइटफील्ड रीड्स”, “सैंकी रीड्स”, “होसुर सरजापुरा रोड रीड्स” और “भारतीय सिटी रीड्स”- बेंगलुरु में स्थापित हुई हैं.

समस्या यह नहीं है कि येलहंका में सार्वजनिक पार्कों की कमी है. यहां हरे-भरे टुकड़ों से घिरी झीलें हैं और बेंगलुरु महानगरपालिका के बनाए ढेरों पार्क हैं. लेकिन उन सब में एक अनोखा किंतु अलिखित नियम लागू है: घास पर बैठना वर्जित है. हस्ती ने हमें बताया कि एक पार्क में एक गार्ड ने उसे फेंसिंग के सामने वाली बेंचों पर बैठने के लिए कहा. जब उसने पूछा कि क्यों, तो वहां के गार्ड और साथ ही दूसरे पार्कों के गार्ड ने कहा कि उनको उच्च अधिकारियों का निर्देश मिला है. इसी तरह पश्चिम बेंगलुरु में बनी झील सैंकी में स्थापित “सैंकी रीड्स” के संरक्षक अरुण पेट्रे को कंक्रीट के बने वॉकिंग ट्रैक पर रीडिंग सोसायटी चलानी पड़ रही है.

पढ़ने के लिए घास पर बैठने की इजाजत जरूरी है क्योंकि मसला सार्वजनिक जगह के सार्वजनिक इस्तेमाल है. दूसरी जहगें, चाहे वे कैफे हों या पुस्तकालय, बहुत औपचारिक होती हैं और मौज-मस्ती करने का मन नहीं करता. कर भी नहीं सकते. पार्क सभी किस्म की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए सुलभ हैं. इनमें कोई पैसा भी खर्च नहीं होता. कब्बन रीड्स की रैग्युलर, अभिनेत्री फराख नरगिस ने हमसे कहा, "किसी पार्क में घास पर बैठ कर, अक्सर लेट कर, पढ़ने का मजा ही कुछ और है. आप वहां न सिर्फ किताब पढ़ रहे होते हैं, बल्कि नेचर से भी रूबरू हो रहे होते हैं." वह कहती हैं, "कैफे की प्लास्टिसिटी या लाइब्रेरी के कमर तोड़ अनुशासन में वह पार्क वाली बात कहां."

“एचएसआर रीड्स” की संचालक रिया जैन को भी 22ए मेन ट्री पार्क के संचालकों की लगाई बाधाओं का सामना करना पड़ा. बीबीएमपी के एक स्थानीय अधिकारी एचएस सुब्रमणि ने उनसे कहा था कि, “आपको घास पर बैठने की इजाजत नहीं है. यह पार्क सिर्फ दौड़ने के लिए है. बेंचें हैं और आप उन पर बैठ सकती हैं.'' बातचीत तीखी हो गई. भाषा की दिक्कत के चलते मामला और भी बदतर हो गया. बाद में एक कन्नड़ के जानकार की मदद से हमने सुब्रमणि से फोन पर संपर्क किया. हमने पूछा कि क्या उन्होंने जैन को घास पर बैठने और पढ़ने से मना किया था. उन्होंने कहा, "मेरे बच्चे भी पढ़ते हैं लेकिन वे पढ़ने के लिए लाइब्रेरी में जाते हैं, पार्क में नहीं. आप लोग भी किसी लाइब्रेरी में जा कर पढ़ो."

हमने बीबीएमपी की विशेष आयुक्त प्रीति गहलोत से बात की. उन्होंने दावा किया कि वह पार्कों के रखरखाव का काम देखती हैं और हमें राज्य के बागवानी विभाग से संपर्क करने के लिए कहा. हालांकि, विभाग के एक अधिकारी ने हमें बताया कि बेंगलुरु में केवल कब्बन पार्क और लालबाग ही उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. और यहां घास में बैठने की इजाजत पहले से ही है. दूसरे सभी सार्वजनिक पार्क सभी बीबीएमपी के अंतर्गत थे.

मुंबई में जून की एक और उमस भरी शाम को "जुहू रीड्स" के 15 रीडर्स कैफी आजमी पार्क की घास पर चटाई बिछा कर लेटे हुए कि तभी एक अधिकारी आ धमके और चटाई बिछा कर घास खराब करने को लेकर डांटने लगे. "जुहू री​ड्स" की एक संचालक दीया सेनगुप्ता ने अपना फोन निकाला और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक ट्वीट दिखाया जिसमें "कब्बन रीड्स" को "पढ़ने की खुशियां फैलाने का सराहनीय प्रयास" कहा गया था. यह देख पार्क प्रशासक लौट गए.

इंसानों के कुछ घंटों तक घास पर बैठने से घास के बर्बाद होने की संभावना की कहानी को समझने के लिए हमने बेंगलुरु के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थान के शोधकर्ता लालदुहसंगा को घास की तस्वीरें दिखाईं. उन्होंने हमें बताया, "यहां की घास पास्पलम है जो टूट-फूट सहन करने और छायादार स्थिति में उगने की क्षमता के लिए जानी जाती है. रगड़ और लोगों की चहलकदमी ने घास को नुकसान होने के लिए कम से कम तीन-चार महीने तक भारी कदमताल की जरूरत होगी. और उसके बाद भी घास गायब नहीं होगी बल्कि थोड़ी खराब हो जाएगी. लॉन पर जगह-जगह गायब घास से धब्बे बनने शुरू हो जाएंगे... लेकिन थोड़ी सी देखभाल के साथ दो से तीन महीनों में फिर से उग सकती है."

नागरिक मीडिया मंच सिटीजन मैटर्स और शहरी-डेटा प्लेटफॉर्म ओपन सिटी की सह-संस्थापक मीरा के ने हमसे कहा, "हमारे सार्वजनिक स्थानों को सामान्य उद्यानों और बुनियादी ढांचे के रखरखाव के साथ-साथ सुरक्षा और संरक्षण बजट और संसाधनों की व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. समस्याओं से निपटने का हमारा तरीका मूल कारणों को हल करने के बजाए प्रतिबंध लगाना है." उन्होंने कहा, "इससे निपटने का एक बेहतर तरीका ऐसी पार्क नीति विकसित करना है जो आनंद और कल्याण लक्ष्यों, सामुदायिक भागीदारी और समावेशन को ध्यान में रखे. बजट तैयार करने और फंडिंग स्रोतों और प्रशिक्षण की पहचान करने के लिए इसका उपयोग किया जाना चाहिए."

जुलाई में हस्ती ने हमें संदेश भेजा कि बीबीएमपी से इजाजत पाने में उनके पास विकल्प और संपर्क खत्म हो गए हैं. हस्ती की खोज तब तक जारी रही जब तक उसे येलहंका के पास एक उजड़ा और मानव रहित जंगल नहीं मिला. गूगल मैप्स पर इसे "द वुड्स" नाम दिया गया है. वहां पहुंच कर उसने खूब तस्वीरें और वीडियो ली. सड़क लगभग आधा किलोमीटर पहले ही खत्म हो जाने के बावजूद खुले घास के मैदान को देख कर उसका उत्साह साफ झलक रहा था.

जब हस्ती ने 10 जून को "द वुड्स" में पहला रीडिंग सेशन चलाया, तो खराब नेटवर्क सिग्नल की समस्या थी और जगह तक पहुंचने के लिए पगडंडी पर चलना पड़ रहा था. रीडर्स ने कहा भी कि जगह बहुत दूर है. जब वह गेट पर उनका इंतजार कर रही थी तभी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने उसे बताया कि जगह खतरनाक है, खासकर अकेली लड़की के लिए. वही पहला और आखिरी सेशन था क्योंकि हस्ती अपने रीडर्स को "खरतनाक" "द वुड्स" में फंसाना नहीं चाहती थी.


Harsh Snehanshu is the co-founder of YourQuote, a social writing app. He co-founded Cubbon Reads, a silent reading community, with chapters in over sixty cities worldwide. His writings have appeared in The Caravan, The Hindu, Tehelka and DNA.
Shruti Sah is a brand marketing specialist based in Bengaluru. She co-founded Cubbon Reads, a silent reading community, with chapters in over sixty cities worldwide. She runs a weekend bakery, specialising in sugar-free cakes.