आज़ादी का इज़हार

गंगटोक का स्केटबोर्डिंग कल्चर

गंगटोक में लाल बाजार की छत पर स्केटबोर्डिंग करने के बाद अपने फटे जूतों के साथ आराम करती एक स्केटर.
तस्वीरें और आलेख कुंगा ताशी लेप्चा
01 July, 2024

We’re glad this article found its way to you. If you’re not a subscriber, we’d love for you to consider subscribing—your support helps make this journalism possible. Either way, we hope you enjoy the read. Click to subscribe: subscribing

सितंबर 2018 में गंगटोक में स्केटबोर्डिंग ग्रुप के एक मेंबर ने मुझे एक कार्यक्रम की तस्वीर लेने का बुलावा भेजा. शहर में इस छोटी बिरादरी और स्केटबोर्डिंग संस्कृति से यह मेरी पहली मुलाकात थी. बाद के महीनों में मैं ग्रुप के साथ और अधिक जुड़ने लगा और 2019 में मैंने इस पर एक फोटोग्राफी प्रोजेक्ट के रूप में काम करने का फैसला किया. 

अपने फोटोग्राफी के काम में, मुझे विषय के साथ निजी संबंध महसूस करना बहुत जरूरी लगता है- यही चीज मुझे किसी काम को करने के लिए आकर्षित करती है. मैंने गंगटोक में स्केटबोर्डरों की रोजमर्रे की जिंदगी को देखा. मुझे अपनी जवानी के संघर्षों की गूंज इसमें सुनाई दी. मैंने पाया कि मैं इस शहर में पलने-बढ़ने के उनके अनुभवों से जुड़ सकता हूं. गंगटोक में युवाओं के लिए सुविधाओं और खुली जगहों की बेहद कमी है. उत्पादक या रचनात्मक तरीकों पर अपनी ऊर्जा को दिशा देने के लिए उनके पास बहुत सीमित मौके हैं. सार्वजनिक जगहें, जहां वे अपने खाली समय में मिल सकते हैं, मुश्किल से मिलती हैं. कई युवा नशे में डूब जाते हैं. मैं इसी तरह बड़ा हुआ. मैंने खुद लोगों को ड्रग्स की ओवरडोज लेते देखा है और दोस्तों को खोते देखा है. सिक्किम में पूरे देश के मुकाबले आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा है- प्रति एक लाख लोगों पर 37.5- जो भारतीय औसत 10.6 से बहुत आगे है.

जब मैं स्केटबोर्डिंग संस्कृति से परिचित हो गया, तो मुझे एहसास हुआ कि यह शहर के गहरे अंधेरे बीच उजाले की तरह है. यह एक नई जगह को बढ़ावा देने और अपनी बाधाओं के बावजूद शहर में कुछ सकारात्मक करने की कोशिश है. गंगटोक एक छोटा पहाड़ी शहर है. समय के साथ यह बड़ा और घना हो गया है. यहां आम जनता के लिए मुश्किल से ही कोई जगह बची है. यह शहर सुपरमार्केट, दफ्तरी इमारतों, होटलों और पर्यटकों के खानपान की जगहों का एक कंक्रीट का जंगल है क्योंकि यह पर्यटन पर बहुत निर्भर है. जनता के लिए गंगटोक मुख्य शहर में एकमात्र संभावित खुली जगह लाल बाजार क्षेत्र में एक सुपरमार्केट के ऊपर एक छत है, जिसे एलबी टेरेस के नाम से जाना जाता है. यहीं पर गंगटोक के कई युवा आते हैं और अपना समय बिताते हैं.

यहीं पर स्केटबोर्डिंग की छोटी सी बिरादरी मिलती रही है और स्केट करने की कोशिश करती है. जब मैंने देखा कि ये युवा हर दिन अभ्यास करने आते हैं, तो मुझे यह किसी आशावाद से कम नहीं लगा. वे कुछ नया बनाने के लिए अपने सीमित विकल्पों का उपयोग कर रहे हैं. मैं इस बात पर रोशनी डालना चाहता हूं कि नौजवान अपने जीवन के साथ जो करते हैं, उसे बदलने के लिए इस एक जगह ने कैसे शुरुआत की. तीन सालों के दौरान, मैंने एलबी टेरेस पर जाकर स्केटबोर्डरों से बात करते हुए और उनकी तस्वीरें खींचते हुए कई दिन बिताए. धीरे-धीरे हम दोस्त बने और मैं उनकी बिरादरी का हिस्सा बन गया. इस परियोजना के माध्यम से, मुझे उम्मीद है कि उन्हें अधिक लोगों तक पहुंचने में मदद मिलेगी और किसी दिन एक उचित स्केटिंग पार्क होने के उनके सपने को साकार करने में मदद मिलेगी.

Thanks for reading till the end. If you valued this piece, and you're already a subscriber, consider contributing to keep us afloat—so more readers can access work like this. Click to make a contribution: Contribute