शरणार्थी शिविरों से लोगों को उठाती दिल्ली पुलिस, खौफ में रोहिंग्या शरणार्थी

06 अप्रैल 2021
31 मार्च को, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में कालिंदी कुंज शरणार्थी शिविर से एक रोहिंग्या परिवार के चार सदस्यों को हिरासत में लिया. यह घटना रोहिंग्या शरणार्थियों के शिविरों से उठाए जाने की पहली घटना नहीं है और पुलिस अधिकारियों ने यह बताने से इनकार कर दिया है कि परिवारों को क्यों हिरासत में लिया जा रहा है.
कारवां/सीके विजयकुमार
31 मार्च को, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में कालिंदी कुंज शरणार्थी शिविर से एक रोहिंग्या परिवार के चार सदस्यों को हिरासत में लिया. यह घटना रोहिंग्या शरणार्थियों के शिविरों से उठाए जाने की पहली घटना नहीं है और पुलिस अधिकारियों ने यह बताने से इनकार कर दिया है कि परिवारों को क्यों हिरासत में लिया जा रहा है.
कारवां/सीके विजयकुमार

31 मार्च की सुबह दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने दिल्ली के कालिंदी कुंज शरणार्थी शिविर से एक रोहिंग्या परिवार के चार लोगों को उठा लिया. इनमें 70 वर्षीय सुल्तान अहमद, उनकी 45 वर्षीय पत्नी हलीमा और उनके दो बेटे, 28 वर्षीय नूर मोहम्मद और 19 वर्षीय उस्मान, थे. एक हफ्ते पहले पुलिस ने इसी तरह छह लोगों के एक परिवार को हिरासत में ले लिया था. कालिंदी कुंज शिविर के एक 33 वर्षीय सामुदायिक नेता अनवर शाह आलम ने मुझे बताया कि दोनों परिवारों को पश्चिम दिल्ली के इंद्रपुरी इलाके में केंद्र सरकार के विदेश क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय द्वारा संचालित एक डिटेंसन ​केंद्र में ले जाया गया था. आलम और शिविर के अन्य निवासियों ने कहा कि पुलिस यह बताने से इनकार करती है कि परिवारों को क्यों हिरासत में लिया गया है. शिविर के एक अन्य सामुदायिक नेता मीनारा ने कहा, "हम पुलिस के पास गए, उनसे पूछा कि वे परिवार को क्यों ले गए हैं? पुलिस ने कहा, 'बीच में न पड़ो नहीं तो अगला नंबर तुम्हारा होगा."'

मीनारा ने बताया कि मदद के लिए रोते-चिल्लाते अपने पड़ोसियों की आवाज से वह सुबह 8 बजे जगीं. "मुझे बताया गया था कि वह मेरी चाची और परिवार को ले जा रहे हैं," उन्होंने कहा. "हम मौके पर पहुंचे और एक महिला पुलिस अधिकारी सहित लगभग पांच पुलिसकर्मी थे." इस 35 वर्षीय नेता ने मुझे बताया कि उनके परिवार को शिविर से बाहर निकालने से पहले उन्हें अपना सामान पैक करने तक का समय नहीं दिया गया था. "मेरी चाची बीमार थी. वह पिछले दस दिनों से पेट में दर्द की दवा खा रही थीं. उन्होंने उसे अपनी दवाएं भी लेने नहीं दीं."

मानवाधिकार वकील फजल अब्दाली पिछले दस वर्षों से भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ काम कर रहे हैं. जब पुलिस 31 मार्च को वह शिविर में ही थे. अब्दाली ने मुझे बताया कि वह पुलिस के पीछे-पीछे कालिंदी कुंज पुलिस स्टेशन तक गए और पूछताछ की कि उन्होंने परिवार को क्यों उठाया है. अब्दाली ने कहा, "एसएचओ ने मुझे बताया कि उनके पास केंद्र से आदेश हैं और वह केवल उनका पालन कर रहे हैं."

उस शाम स्टेशन हाउस अधिकारी सुखदेव सिंह मान से मिलने के लिए मैं कालिंदी कुंज पुलिस स्टेशन गई, जिन्होंने सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया. “इस मामले पर बोलने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं. आपको उच्च अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए. यह मामला पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर है,” मान ने कहा. हिरासत में लिए लोगों को दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त राजेन्द्र प्रसाद मीणा के पास भेजे जाने के बारे में पूछे गए प्रश्नों का भी को​ई जवाब नहीं मिला.

कालिंदी कुंज शरणार्थी शिविर की एक 35 वर्षीय रोहिंग्या समुदाय की नेता मीनारा ने कहा, पुलिस ने 31 मार्च को उनकी चाची हलीमा और उनके परिवार को उठा लिया. जब उन्होंने पुलिस से पूछा कि उन्हें क्यों हिरासत में लिया जा रहा है, "पुलिस ने कहा, बीच में न पड़ो वरना अगला नंबर तुम्हारा होगा.". कारवां/सीके विजयकुमार कालिंदी कुंज शरणार्थी शिविर की एक 35 वर्षीय रोहिंग्या समुदाय की नेता मीनारा ने कहा, पुलिस ने 31 मार्च को उनकी चाची हलीमा और उनके परिवार को उठा लिया. जब उन्होंने पुलिस से पूछा कि उन्हें क्यों हिरासत में लिया जा रहा है, "पुलिस ने कहा, बीच में न पड़ो वरना अगला नंबर तुम्हारा होगा.". कारवां/सीके विजयकुमार
कालिंदी कुंज शरणार्थी शिविर की एक 35 वर्षीय रोहिंग्या समुदाय की नेता मीनारा ने कहा, पुलिस ने 31 मार्च को उनकी चाची हलीमा और उनके परिवार को उठा लिया. जब उन्होंने पुलिस से पूछा कि उन्हें क्यों हिरासत में लिया जा रहा है, "पुलिस ने कहा, बीच में न पड़ो वरना अगला नंबर तुम्हारा होगा."
कारवां/सीके विजयकुमार

चाहत राणा कारवां में​ रिपोर्टिंग फेलो हैं.

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