क्या बीजेपी को चुनावी फायदा देने के लिए था भारतीय रेलवे का रोहिंग्या अलर्ट?

09 दिसंबर 2019
28 सितंबर 2018 को रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक धर्मेंद्र कुमार ने भारतीय रेलवे के सभी जोनों के गोपनीय नोट जारी किए थे.
उत्पल बरुआ/रॉयटर्स
28 सितंबर 2018 को रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक धर्मेंद्र कुमार ने भारतीय रेलवे के सभी जोनों के गोपनीय नोट जारी किए थे.
उत्पल बरुआ/रॉयटर्स

28 सितंबर 2018 को रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक धर्मेंद्र कुमार ने भारतीय रेलवे के सभी जोनों के गोपनीय नोट जारी किए. भारतीय रेलवे को संचालन सुविधा को ध्यान में रखकर 16 जोनों में विभाजित किया गया है और इन जोनों में 68 डिवीजन हैं. आरपीएफ एक केंद्रीय निकाय है जो इन क्षेत्रों में रेल यात्रियों और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है. महानिदेशक के नोट के अनुसार, "इनपुट" मिला है कि "बड़ी संख्या में" रोहिंग्या अपने परिजनों के साथ यात्रा कर रहे हैं. रोहिंग्या म्यांमार के मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं जिन्हें इस बौद्ध-बहुल देश ने नस्लीय सफाई कर राज्यविहीन कर दिया गया है.

महानिदेशक के नोट में कहा गया है कि रोहिंग्या समुदाय के सदस्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के "हर कोने" से दक्षिण की ओर जाने वाली ट्रेनों में सवार हो रहे हैं ताकि केरल पहुंच सकें. नोट में जोनों को सलाह दी गई है कि "किसी भी अप्रिय घटना" से बचने के लिए कानून-प्रवर्तन अधिकारियों के साथ मिलकर "एहतियाती उपाय" किए जाएं. नोट में इस इनपुट के संबंध में आरपीएफ और रेलवे कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने और उन्हें "अधिकतम सतर्क" रहने के लिए कहा गया है. जैसे ही यह नोट मीडिया तक पहुंचा समाचारों में "रोहिंग्या शरणार्थियों की बाढ़", "केरल की ओर पलायन", और "दक्षिण की ओर बड़ी संख्या में बढ़ते कदम" जैसी सुर्खियां छा गईं.

26 सितंबर 2018 से 20 नवंबर 2018 के बीच भारतीय रेलवे ने अपने जोनल शाखाओं के लिए चार ऐसे परामर्श जारी किए थे. उसी दौरान पांच राज्यों में चुनाव भी होने थे. इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ शामिल थे - हिंदी भाषी तीन प्रमुख राज्यों में उस समय भारतीय जनता पार्टी का शासन था.

चुनाव अभियान के दौरान तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, जो फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्री हैं, ने अवैध अप्रवासियों के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. 22 सितंबर 2018 को राजस्थान में एक रैली में उन्होंने पहली बार कहा था कि भारत में अवैध प्रवासी "दीमक" की तरह हैं. उन्होंने तर्क दिया कि "ये लोग अनाज को खा रहे हैं जो गरीबों को​मिलना चाहिए. ये हमारी नौकरियां ले रहे हैं." इस दौरान अप्रवासियों के खिलाफ शाब्दिक हमलों की, जिन्हें शाह घुसपैठिए कहते हैं, संख्या और आक्रामकता में बढ़ोतरी होती गई है.

एक साल से भी कम समय बाद जून 2019 में, भारत सरकार ने यह कबूल किया कि देश में रहने वाले रोहिंग्या की संख्या का कोई "सटीक आंकड़ा" उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा मेरे सूचना के अधिकार आवेदन के जवाब में पता चला है कि जुलाई 2019 तक भारतीय रेलवे अपने 27 डिवीजनों की ट्रेनों में एक भी रोहिंग्या की पहचान नहीं कर पाई थी. इनमें चार दक्षिणी राज्यों के डिवीजन भी शामिल थे.

सागर कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

Keywords: Rohingya Indian railways BJP minorities
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