दिसंबर 2019 विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास के क्षेत्र में "सराहनीय" काम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया. प्रदेश को इस क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने के लिए कुल तीन पुरस्कार मिले.
लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण से संबंधित विभाग से मिली सूचना के अधिकार कानून के तहत जानकारी से पता चलता है कि विकलांग व्यक्तियों के लिए मिलने वाले अनुदान, कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ बहुत थोड़े लोगों को ही मिला है.
जवाब से यह भी पता चला है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 2017 में सत्ता में आने के बाद से ही कुछ योजनाओं में नामांकित लोगों की संख्या लगातार गिरी है. विकलांग लोगों के उत्थान और पुनर्वास में उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता कोविड-19 महामारी के आने से और अधिक खराब हो गई है.
भारत में विकलांक व्यक्तियों पर केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 2016 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश में विकलांग लोगों की संख्या सबसे अधिक है. रिपोर्ट में दृष्टि, श्रवण, मानसिक विकलांगता, मानसिक बीमारी और कई तरह की विकलांगताओं को “क्षीणता”, “सीमित तौर पर गतिविधियों में भाग ले पाने” के रूप में वर्गीकृत करते हुए विकलांग शब्द को परिभाषीत किया गया है. 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 4157514 विकलांग रहते थे, जो पूरे भारत में विकलांग लोगों की आबादी का 15.5 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी प्रकार की विकलांगता से पीड़ित कुल 677713 लोग हैं जिसमें 181342 मानसिक विकलांगता,1027835 श्रवण बाधित, 266586 वाक बाधित, मानसिक रोगी 76603 और 217011 एक से अधिक प्रकार से विकलांग हैं. साथ ही, 946436 लोगों को "किसी भी अन्य रूप से विकलागं" की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है.
कमेंट