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27 फरवरी 2024 की दोपहर मणिपुर पुलिस को सूचना मिली कि इंफाल घाटी में दो एंबेसडर कारें चोरी हुई हैं. 3 मई 2023 से राज्य में जारी जातीय संघर्ष के दौरान पुलिस को इस तरह की घटनाओं की सूचनाएं लगातार मिलती हैं. ऐसे अपराध अक्सर बहुत गंभीर किस्म के होते हैं. उसी दिन, अतिरिक्त अधीक्षक (ऑपरेशन) मोइरांगथेम अमित सिंह और अन्य अधिकारियों ने कारों का पता लगाया और मामले के संबंध में एक व्यक्ति को पकड़ा.
मणिपुर पुलिस ने अगले दिन ट्वीट कर बताया कि लगभग 200 'हथियारबंद उपद्रवियों' ने सिंह के आवास पर हमला कर तोड़फोड़ की और सिंह और उनके सुरक्षा कर्मियों का अपहरण कर लिया. इसके बाद अतिरिक्त सुरक्षा बल मौके पर पहुंचा. पुलिस ने एक बयान जारी किया जिसमें उसने कहा कि हमलावरों ने सिंह के परिवार को डराने के लिए गोलियां भी चलाईं. पुलिस विभाग के दख़ल के बाद ही सिंह को रिहा कराया जा सका.
बयान में हमलावरों की पहचान अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों के रूप में की गई है. अरामबाई तेंगगोल एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है जो सनमाही धर्म को मणिपुर के आधिकारिक धर्म घोषित करने की मांग उठा रहा है. असल में यह एक हथियारबंद मिलिशिया है जो जारी जातीय संघर्ष में सबसे सक्रिय है. अरामबाई तेंगगोल पर लोगों पर ज़ुल्म करने, जबरन वसूली और हिंसा के आरोप हैं. उसने आदिवासी कुकी, नागा समुदायों, मैतेई ईसाइयों और मैतेई मुसलमानों को अपना निशाना बनाया है. इनके अलावा इस संगठन ने उन मैतेई हिंदुओं को भी निशाना बनाया गया है जिन्होंने उसे किसी तरह की चुनौती देने का प्रयास किया है.
मणिपुर पुलिस मैतेई उग्रवादियों की गतिविधियों का पहले से बचाव करती आ रही है — जिनमें से कुछ पर अरामबाई तेंगगोल के सदस्य होने का शक है — लेकिन अब पुलिस को भी लग रहा है कि पानी सिर से ऊपर चला गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने मुझे बताया कि सिंह के अपहरण की मुख्य वजह यह थी कि पुलिस ने उनके एक शीर्ष कमांडर रॉबिन मंगांग ख्वायरकपम के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की थी. अरामबाई तेंगगोल के बहुत से अन्य सदस्यों की तरह ख्वायरकपम भी नियमित रूप से अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर मिलिशिया की गतिविधियों और एजेंडे की जानकारी पोस्ट करते हैं. फ़ेसबुक पर उनकी पहचान 'सदस्य, राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एससीएम, बीजेपी मुख्यालय, नई दिल्ली' के रूप में दर्ज है.
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