हिरासत, गिरफ्तारी और पूछताछ के चलते खौफ के साये में उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम इलाके

16 मार्च 2020
दिल्ली पुलिस ने मार्च के पहले सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम इलाकों के कई लोगों को गिरफ्तार किया. हिरासत में लिए गए कुछ लोगों को आश्रम के पास दक्षिण-पूर्व दिल्ली में स्थित सनलाइट कॉलोनी पुलिस स्टेशन लाया गया. 7 मार्च को सनलाइट कॉलोनी स्टेशन को बंद कर दिया गया और कम से कम आधा दर्जन वर्दीधारी पुरुष अंदर से बंद गेट पर पहरा दे रहे थे. जो भी गेट के करीब आता वे उस पर चिल्लाते और और गेट से कम से कम 200 गज दूर रहने को कहते.
शाहिद तांत्रे/कारवां
दिल्ली पुलिस ने मार्च के पहले सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम इलाकों के कई लोगों को गिरफ्तार किया. हिरासत में लिए गए कुछ लोगों को आश्रम के पास दक्षिण-पूर्व दिल्ली में स्थित सनलाइट कॉलोनी पुलिस स्टेशन लाया गया. 7 मार्च को सनलाइट कॉलोनी स्टेशन को बंद कर दिया गया और कम से कम आधा दर्जन वर्दीधारी पुरुष अंदर से बंद गेट पर पहरा दे रहे थे. जो भी गेट के करीब आता वे उस पर चिल्लाते और और गेट से कम से कम 200 गज दूर रहने को कहते.
शाहिद तांत्रे/कारवां

पेशे से दुकानदार 20 साल के रेहान अली को याद है कि 7 मार्च को दिल्ली पुलिस ने उनके परिवारवालों को कैसे गिरफ्तार किया, “वे बिना वर्दी के कम से कम दस से बारह आदमी थे. वर्दी में कोई नहीं था. उनमें से दो के पास बंदूक थीं. दरवाजे की घंटी बजाए बिना वे सीधे घर में घुस आए.” रेहान उत्तर दिल्ली के न्यू मुस्तफाबाद क्षेत्र के एक छोटे से इलाके मूंगा नगर में गली नंबर 4 में रहते हैं. उस शाम शाम 5 से 5.30 बजे के बीच, पुलिस ने उनके बड़े भाई रियासत अली और पिता लियाकत अली को फरवरी के अंतिम सप्ताह में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया. 7 मार्च तक दिल्ली पुलिस ने 693 मामले दर्ज किए थे और हिंसा के लिए 2193 व्यक्तियों को हिरासत में लिया या गिरफ्तार किया था. हिरासत में लिए गए या गिरफ्तार किए गए लोगों की धार्मिक पहचान का कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है. हालांकि स्थानीय लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों ने बताया है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम पुरुषों को हिरासत में लिया गया है.

बाबरपुर के कबीर नगर के रहने वाले और किराने की दुकान चलाने वाले मुस्तकीम ने 8 मार्च को मुझे बताया, "वे रोजाना हमारे इलाके से दो-चार लोगों को उठा रहे हैं." उनके भाई मोहम्मद शमीम को उस दिन उठा लिया गया था और शाहदरा में वेलकम पुलिस स्टेशन ले जाकर रात भर हिरासत में रखा गया. मुस्तकीम को अपने भाई को देखने या यहां तक ​​कि पुलिस स्टेशन में घुसने तक की इजाजत नहीं दी गई और अगले दिन उनके परिवार को बताया गया कि शमीम पर क्षेत्र में हिंसा से संबंधित विभिन्न आरोपों के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. अली के परिवार सहित हफ्ते भर जिससे भी मैंने बात की उसने वही कहानी दोहराई जो मुस्तकीम ने मुझे बताई.

जब मैं 7 मार्च को रात 8 बजे के करीब रेहान से मिला तो उन्होंने मुझे बताया कि पुलिस ने कहा था कि रियासत और लियाकत को "पूछताछ" के लिए उठाया गया है. परिवार को गिरफ्तारी के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया गया और एक अधिकारी ने उन्हें किसी जानकारी के लिए लगभग चौबीस किलोमीटर दूर आश्रम के पास स्थित सनलाइट कॉलोनी पुलिस स्टेशन जाने के लिए कहा. रेहान अपने पिता और चार बड़े भाइयों के साथ प्लास्टिक शीट का व्यवसाय चलाते हैं और दुकान के ऊपर की मंजिलों में उनका परिवार रहता है. उस दिन स्थानीय समुदाय के बुजुर्गों से लेकर किशोरों तक, कम से कम, 20 पुरुष वहां इकट्ठा थे. वे पुलिस से संपर्क करने और गिरफ्तार किए गए लोगों के बारे में पूछताछ करने की रणनीति बना रहे थे और उन्हें डर था कि अगर वे सनलाइट पुलिस स्टेशन गए तो उन्हें भी हिरासत में ले लिया जाएगा. अली परिवार के साथ नफीस नाम के इलाके के एक तीसरे व्यक्ति को भी उठाया गया था. लगभग बीस साल के नफीस उसी गली में रहते हैं और एक डेयरी में काम करते थे.

आधे घंटे बाद जब मैं पुलिस स्टेशन के लिए रवाना हो रहा था, लियाकत के बहनोई, इलियास अली और एक पड़ोसी कामुरुद्दीन ने मेरे साथ चलने की बात कही. उन्होंने बताया कि एक पत्रकार की मौजूदगी में पुलिस से मिलने में आसानी होगी. सभी पुरुषों ने इस बात पर सहमति में सिर हिलाया. नफीस के परिवार में पुलिस का डर समाया हुआ है. स्थानीय निवासी और एक सामाजिक कार्यकर्ता  यूनुस सलीम, जो समुदाय के साथ मेलजोल का काम करते हैं और जिन्होंने मुझे अली परिवार की स्थिति के बारे में सूचित किया था हमारे साथ चलने के लिए आश्वस्त थे. उन्हें भी पुलिस का डर था.

गली नंबर 4 में दिल्ली पुलिस का जो भय और अविश्वास एक नए सिरे से उभरा है, वही पैटर्न उत्तर पूर्वी जिले के मुस्लिम इलाकों में दिखता है. 1 से 9 मार्च के बीच मैंने मुस्तफाबाद, खजूरी खास, कर्दमपुरी, कबीर नगर, चांद बाग, जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर और सीलमपुर के इलाकों का दौरा किया और इन सभी क्षेत्रों में स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने खुद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्जनों लोगों को गिरफ्तारी किए जाते और कैद किए जाते देखा है.

सागर कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

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