कश्मीर में फासीवाद की दस्तक

26 अगस्त 2019
अगस्त की शुरुआत में तालाबंदी के बाद श्रीनगर की सड़कों पर तैनात सुरक्षाकर्मी.
अतुल लोक/द न्यूयॉर्क टाइम्स
अगस्त की शुरुआत में तालाबंदी के बाद श्रीनगर की सड़कों पर तैनात सुरक्षाकर्मी.
अतुल लोक/द न्यूयॉर्क टाइम्स

15 अगस्त. भारत ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है और राजधानी दिल्ली के ट्रैफिक भरे चौराहों पर चिथड़ों में लिपटे नन्हे बच्चे राष्ट्रीय ध्वज और कुछ अन्य स्मृति चिह्न बेच रहे हैं, जिन पर लिखा है, ‘मेरा भारत महान’. ईमानदारी से कहें तो इस पल ऐसा कुछ महसूस नहीं हो रहा क्योंकि लग रहा है जैसे हमारी सरकार धूर्तता पर उतर आई है.

पिछले सप्ताह सरकार ने एकतरफा फैसला लेते हुए ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’, की उन मौलिक शर्तों को तार-तार कर दिया जिनके आधार पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व रियासत भारत में शामिल हुई थी. इसकी तैयारी के लिए 4 अगस्त को पूरे कश्मीर को एक बड़े जेलखाने में बदल दिया गया. सत्तर लाख कश्मीरी अपने घरों में बंद कर दिए गए, इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं भी बंद कर दी गईं.

5 अगस्त को भारत के गृह मंत्री ने संसद में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर देने का प्रस्ताव रखा. यह अनुच्छेद ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’, में तय कानूनी दायित्वों को परिभाषित करता है. विपक्षी दल भी हाथ मलते रह गए. अगली शाम को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया गया.

बीते 72 साल में आई हर केन्द्र सरकार ने ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ की शर्तों के साथ तब तक खिलवाड़ किया जब तक यह सिर्फ दिखावे मात्र का नहीं रह गया. अब उस बचे-खुचे दिखावे को भी उठाकर कचरे के डिब्बे में फेंक दिया गया है.

इस एक्ट के माध्यम से जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान और अलग झंडा रखने का अधिकार था. इस एक्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे दो केन्द्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया. पहला, जम्मू-कश्मीर जिसे केन्द्र सरकार द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसके पास निर्वाचित विधानसभा तो होगी लेकिन उसके पास शक्तियां बहुत कम होंगी. दूसरा लद्दाख, इसे भी केन्द्र सरकार संचालित करेगी पर इसके पास अपनी विधानसभा नहीं होगी.

अरुंधति रॉय द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस की लेखिका हैं. यह उपन्यास हिंदी में अपार ख़ुशी का घराना नाम से प्रकाशित हुआ है.

Keywords: Jammu and Kashmir Article 370 Article 35A militancy Narendra Modi Amit Shah Farooq Abdullah
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