ताहिर हुसैन के नाम पर मुसलमानों पर हुए बर्बर हमले को छिपाने में लगी मीडिया

05 मार्च 2020
खजूरी खास और इसके आस-पास के इलाकों के मुसलमानों का मानना था कि अंकित शर्मा की हत्या पर मीडिया की रिपोर्ट जानबूझकर इलाके के मुसलमानों को "हमलावर" के रूप में पेश करने और हिंदुओं को "पीड़ित" दिखाने के ​लिए तोड़मरोड़ कर पेश की गई. इलाके के मुलसमानों के घरों और दुकानों की तस्वीरें इस लक्षित हिंसा का सबूत देती हैं.
मोहम्मद मेहरबान
खजूरी खास और इसके आस-पास के इलाकों के मुसलमानों का मानना था कि अंकित शर्मा की हत्या पर मीडिया की रिपोर्ट जानबूझकर इलाके के मुसलमानों को "हमलावर" के रूप में पेश करने और हिंदुओं को "पीड़ित" दिखाने के ​लिए तोड़मरोड़ कर पेश की गई. इलाके के मुलसमानों के घरों और दुकानों की तस्वीरें इस लक्षित हिंसा का सबूत देती हैं.
मोहम्मद मेहरबान

“मीडियावाले वही कह रहे हैं, जो सरकार उनसे कहलवाना चाह रही है. सच नहीं दिखा रहे वो”,  खजूरी खास मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष शराफत अली ने मुझे बताया. फरवरी के आखिरी सप्ताह में हुई सांप्रदायिक हिंसा में सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक है खजूरी खास. 24 और 25 फरवरी को लगभग 48 घंटों तक इसके आसपास के सभी इलाके- भजनपुरा, शिव विहार, चांद बाग, चंदू नगर, करावल नगर और मुस्तफाबाद- दिल्ली के अन्य इलाकों से कट-से गए थे. यहां के स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि उन दो दिनों में इलाकों की सड़कों पर भीड़ उपद्रव करती रही. इस दौरान दिल्ली पुलिस या तो खामोश रही या उसने हिंसा करने वालों की मदद की. 

खजूरी खास मुस्लिम बहुल इलाका है. स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा निराश मीडिया ने किया, जो गुप्तचर ब्यूरो के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या और हत्या के दो दिन बाद आरोपी बनाए गए आम आदमी पार्टी के काउंसलर ताहिर हुसैन पर फोकस करती रही. 23 साल के अंकित शर्मा का शव 26 फरवरी को चांद बाग के एक नाले से बरामद हुआ था. हुसैन का घर खजूरी खास मेन रोड पर है और इसे करावल नगर रोड कहते हैं. शर्मा का घर हुसैन के घर से 500 मीटर दूर, एक गली पर है. स्थानीय लोगों ने बताया कि मीडिया जानबूझकर हुसैन की छवि खराब कर रही थी ताकि खजूरी खास के मुसलमानों को “आक्रामक” और हिंदुओं को “पीड़ित” दिखाया जा सके.

स्थानीय और आसपास के मुसलमान भी मानते हैं कि मीडियावाले मुसलमानों को बदनाम करने में लगे हैं जबकि मुसलमानों के ही घरों और दुकानों को जलाया गया है. उन्होंने बताया कि मीडिया के हुसैन और शर्मा पर फोकस करने से, आम मुसलमानों को हुआ जन-धन का नुकसान, राष्ट्रीय नरैटिव से गायब हो गया.

खजूरी खास करावल नगर विधानसभा क्षेत्र में आता है और इसके आस-पड़ोस के इलाके मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र में आते हैं. मुस्तफाबाद में आने वाले अधिकांश इलाके पहले करावल नगर विधानसभा सीट में आते थे, लेकिन 2008 में हुए परीसीमन के बाद मुस्तफाबाद को अलग विधानसभा सीट बना दिया गया. हालांकि प्रत्येक इलाके के लिए नाम तय हैं, लेकिन भारी आबादी वाले इस क्षेत्र में गलियों और घुमावदार रास्तों का ऐसा जाल है कि सभी इलाके आपस में गड्डमड्ड हो जाते हैं. हाल की सांप्रदायिक हिंसा का मुख्य केंद्र मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र ही था.

2011 की जनगणना के अनुसार मुस्तफाबाद की 78 फीसदी आबादी मुस्लिम है और 22 फीसदी हिंदू. इसके विपरीत करावल नगर में हिंदुओं की जनसंख्या 88 प्रतिशत है और मुसलमानों की 10 फीसदी. करावल नगर का खजूरी खास यहां के मुस्लिम बहुल इलाकों में से एक है और इस निर्वाचन क्षेत्र में सबसे बुरा हाल इसी इलाके में हुआ. 1993 से ही करावल नगर भारतीय जनता पार्टी का स्ट्रांगहोल्ड रहा है. मुस्तफाबाद में पहले कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी और फिलहाल आम आदमी पार्टी जीती है. 2015 में कपिल मिश्रा ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर करावल नगर सीट जीती थी. 2019 में पार्टी विरोधी गतिविधि के लिए मिश्रा को पार्टी से निकाल दिया गया. जिसके बाद मिश्रा बीजेपी में शामिल हो गए. 23 फरवरी को मिश्रा ने पास के बाबरपुर इलाके में भड़काऊ भाषण दिया था. खजूरी खास के रहने वाले कई मुस्लिमों ने मुझसे कहा कि 2015 में उन लोगों ने मिश्रा को वोट दिया था और उनको यकीन नहीं था कि बस पार्टी बदल लेने में से वह मुस्लिम समाज के खिलाफ हो जाएंगे.

सागर कारवां के स्‍टाफ राइटर हैं.

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