सिंदूरी स्वांग

मोदी की सैन्य नुमाइश के दूरगामी नुक़सान

उत्तरी कश्मीर के सलामाबाद गांव में 8 मई को पाकिस्तानी हमले में क्षतिग्रस्त घर के अंदर रोती हुई औरतें. (वसीम अंद्राबी/ फ़ोटो)
उत्तरी कश्मीर के सलामाबाद गांव में 8 मई को पाकिस्तानी हमले में क्षतिग्रस्त घर के अंदर रोती हुई औरतें. (वसीम अंद्राबी/ फ़ोटो)

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7 मई को भारतीय सेना के सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष मेजर जनरल काशिफ़ अब्दुल्ला को फ़ोन किया. भारत ने उसी रात 1.05 बजे ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. नरेन्द्र मोदी सरकार ने दावा किया कि हवाई हमले में 'पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया. इन्हीं ठिकानों से भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें निर्देशित किया गया.' घई ने अब्दुल्ला को 'आतंकी अड्डों पर हमला करने की हमारी मजबूरी को बताने' के लिए फ़ोन किया था, लेकिन पाकिस्तान ने उनकी दलील को ठुकराते हुए जवाब दिया कि, 'फ़ौरन ही ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा.' पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ़ चौधरी ने दोनों डीजीएमओ की बाचतीत की पुष्टि की है. चौधरी ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'हमने साफ़ कह दिया कि हम जवाब देने के बाद ही बात करेंगे.'

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 15 मई को ऑपरेशन के बारे में अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में इस बातचीत के लिए ख़ुद की पीठ थपथपाई. उन्होंने मीडिया से कहा, 'ऑपरेशन की शुरुआत में ही हमने पाकिस्तान को संदेश भेजा था कि हम आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर रहे हैं, न कि सेना पर. पाक सेना के पास इस मामले में न पड़ने का विकल्प था. लेकिन उसने इस अच्छी सलाह को मानने से इनकार कर दिया.' विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तुरंत इस पर आपत्ति जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को ख़बर देना एक अपराध था.’ उन्होंने पूछा कि इस कॉल को किसने मंजूरी दी थी और इस वजह से कितने भारतीय लड़ाकू विमानों को क्षति पहुंची? जयशंकर के मंत्रालय ने यह साफ़ करते हुए कि 'शुरुआत में' का मतलब 'शुरुआत से पहले' नहीं था, राहुल की पोस्ट को 'तथ्यों की ग़लत व्याख्या' करार दिया. हालांकि, यह ज़ाहिर नहीं किया गया कि कॉल कब की गई थी. 26 मई को, जयशंकर ने कथित तौर पर एक संसदीय समिति को बताया कि कॉल ऑपरेशन ख़त्म होने और सरकार के मीडिया को ख़बर देने के आधे घंटे बाद की गई थी.

वह कॉल जब भी की गई, घई और अब्दुल्ला के बीच हुई वह तनाव भरी और अनसुलझी बातचीत, तेजी से बढ़ते एक टकराव का पहला चरण थी. एक अमेरिकी राजनयिक ने मुझे बताया कि 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट के बाद संभवतः यह पहली बार था जब दो देश परमाणु युद्ध के इतने क़रीब आ गए हों. उन्होंने आगे कहा, ‘तीन दिनों तक ड्रोन, शैलिंग और मिसाइलों के हमलों के बाद दोनों देश पूरी तबाही से महज तीन कदम दूर थे. इसलिए तुरंत ही अमेरिका ने युद्धविराम की मध्यस्थता की. 'हमने परमाणु युद्ध रोका,' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 12 मई को कहा. 'यह एक बहुत बुरा परमाणु युद्ध हो सकता था. लाखों लोग मारे जा सकते थे, इसलिए मुझे इसे रोकने में बहुत गर्व है.' इसके बावजूद, भारत और पाकिस्तान, अपनी-अपनी कहानियों में उलझे, सैन्य रूप से आगे बढ़ने के लिए तैयार दिखते हैं. ऐसा लगता है कि वे इस बात की परवाह नहीं करते कि पूरा दक्षिण एशिया मशरूमनुमा बादलों की छाया में डूब सकता है.

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