उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 और 25 फरवरी को “जय श्रीराम” का नारा लगा रहे लोगों की भीड़ भजनपुरा से घोंडा जाने वाली सड़क पर उतर आई. इनमें कुछ पैदल चल रहे थे तो कुछ मोटरसाइकिल पर सवार थे. उत्तरी घोंडा इलाके के सुभाष विहार के बी ब्लॉक को यहां के लोग सुभाष मोहल्ला भी कहते हैं. सुभाष मोहल्ले की मुस्लिम आबादी मुख्य रूप से इसी ब्लॉक में बसती है. यहां के निवासियों के अनुसार, 25 फरवरी को भीड़ ने इस ब्लॉक में घुसने की कोशिश की थी और यहां के मुस्लिमों की दुकानों, घरों और पूरे मोहल्लें में उनसे जुड़े सभी सामान जला दिए. लोगों ने बताया कि उन्होंने सहायता के लिए पुलिस को कॉल किया था पर उसका फायदा नहीं हुआ.
23 फरवरी को बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने उत्तर पूर्वी में एक भड़काऊ भाषण दिया था जिसके बाद पूरा इलाका सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गया और अलग-अलग हिस्सों में हिंदुओं की भीड़ ने मुस्लिम लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया. 29 फरवरी को जब मैं सुभाष मोहल्ले में पहुंचा तब वहां के निवासियों ने मुझे विस्तार से बताया कि किस तरह भीड़ ने इलाके में छर्रों (कट्टे) से गोलियां चलाई. उन्होंने कहा कि दंगाइयों ने गोली मारकर एक व्यक्ति की हत्या कर दी और तीन लोगों को घायल कर दिया. सुभाष मोहल्ले में बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम साथ रहते हैं लेकिन दंगाइयों ने इलाके में रहने वाले मुस्लिम लोगों को ही अपना निशाना बनाया.
ब्लॉक बी के निवासियों के मुताबिक 25 फरवरी की रात करीब 9 बजे दंगाइयों की भीड़ हाथों में हथियार लिए “जय श्रीराम” का नारा लगाते हुए सुभाष मोहल्ले में घुसने की कोशिश करने लगी. ब्लॉक की गली नंबर तीन में रहने वाले लोगों ने रास्ता रोककर भीड़ को अंदर आने से रोका. तभी भीड़ ने हवा में गोली चलानी शुरू कर दी. कई निवासियों ने बताया कि गोलीबारी करीब 1 से 2 घंटे तक चलती रही. निवासियों ने दंगाइयों को एक जगह रोकने के लिए पथराव का सहारा लिया.
10 बजे के आस-पास दंगाइयों की भीड़ गली नंबर तीन के करीब 5 मीटर की दूरी पर स्थित ऑलिया मस्जिद पर इकट्ठी हुई. उस इलाके में बिजली के सामान की दुकान चलाने वाले 32 साल के मारूफ अली उन लोगों में से थे जो गली की रखवाली कर रहे थे. मारूफ अली को 5-6 गोलियां लगीं. मारूफ के पिता उमर अली ने मुझे बताया, “गोली उसकी आंख में से होती हुई सिर में चली गई. जब हम उसे लेकर दिल्ली गेट स्थित लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल पहुंचे तो उसे मृत घोषित कर दिया गया.”
उमर ने मुझे वह स्थान दिखाया जहां गोली लगने के बाद मारूफ गिर गए थे. खून के हल्के धब्बे अभी भी उस जगह देखे जा सकते हैं. उमर को एलएनजेपी अस्पताल से मारूफ का मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन एफआईआर दर्ज कराने के लिए उसे पुलिस के पास जमा कर दिया. “मैं सुभाष मोहल्ले में 47 साल तक रहा हूं लेकिन वहां ऐसी हिंसा मैंने कभी नहीं देखी,” उमर ने कहा. “मारूफ की बीवी और दो बच्चे हैं, अब उनका क्या होगा?”
कमेंट