लखबीर सिंह की मौत से जुड़े कई ऐसे पहलू हैं जिन्होंने पंजाब के तरनतारन जिले में उसके पैतृक गांव चीमा कलां के लोगों को हैरानी में डाल दिया है. 15 अक्टूबर की सुबह दिल्ली और हरियाणा सिंघु सीमा पर लखबीर का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला. 35 वर्षीय लखबीर मजहबी (दलित) सिख था. वह अपनी बहन राज के साथ चीमा कलां में रहता था. गांव के लोगों ने मुझे बताया कि उन्हें लखबीर का सिंघु सीमा पर पाया जाना अजीब लगा क्योंकि वह बेहद गरीब था और नशा करने का आदी था. बहन राज ने बताया, “जो कभी अपने किसी रिश्तेदार के पास तक नहीं गया वह वह इतनी दूर कैसे जा सकता था?”
इंटरनेट पर खूब शेयर की गई लखबीर के वीडियों और तस्वीरों में वह एक कच्छेरा पहना हुआ था जो आमतौर पर सिख पहनते हैं. लेकिन राज ने मुझसे कहा, "लखबीर कभी कच्छेरा नहीं पहनता था." मेरे साथ फोन पर हुई बातचीत में राज ने मुझे उनके भाई के साथ हुई आखिरी बातचीत के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर के आसपास लखबीर "संधू" नाम के किसी व्यक्ति से फोन पर बात करने से पहले खुद को एक कमरे में बंद कर लेता था. कुछ दिनों तक ऐसे फोन आते रहे और राज ने बताया कि लखबीर कभी-कभी फोन करने के लिए उसका फोन छीन लेता था.
"कभी-कभी वह फोन करने के लिए अन्य लोंगो से फोन मांगता था." उन्होंने मुझे बताया कि 10 अक्टूबर के आसपास लखबीर ने उनसे किसी काम के सिलसिले में चब्बल इलाके में अनाज मंडी तक जाने के लिए 50 रूपए मांगे थे. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने पड़ोसियों से जैसे-तैसे पैसे की व्यवस्था की. यह आखिरी बार था जब राज ने अपने भाई को देखा था. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि लखबीर पहले कभी दिल्ली की सीमा पर किसानों के धरने पर नहीं गया था.
15 अक्टूबर की शाम को निर्वैर खालसा उडना दल के नाम के निहंग सिख समूह के सदस्य सरवजीत सिंह ने पुलिस के सामने लखबीर की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए आत्मसमर्पण किया. समूह ने इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि लखबीर ने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी. हालांकि इस कथित बेअदबी का कोई सबूत सामने नहीं आया है.
16 अक्टूबर की शाम को श्री गुरु ग्रंथ साहिब सतकार समिति की तरनतारन इकाई ने कहा कि वह सिख परंपराओं के अनुसार लखबीर के दाह संस्कार की अनुमति नहीं देगी. सत्कार समिति, जिसकी देश भर में इकाइयां हैं, का दावा है कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गुरु ग्रंथ साहिब को उचित सम्मान दिया जाए. चीमा कलां के स्थानीय लोंगो ने बताया कि लखबीर की पत्नी और तीन बेटियां पांच साल पहले उसे छोड़कर चली गई थीं. उसका एक बेटा भी था, जिसकी दो साल पहले मौत हो गई थी. राज विधवा हैं.
10 साल तक गांव के सरपंच रहे सोनू चीमा ने कहा कि जब लखबीर और राज बच्चे थे तब उनकी मौसी और उनके पति ने उन्हें गोद लिया था. चीमा ने बताया कि मौसी का पति सीमा सुरक्षा बल का सैनिक था इसलिए गांव में उनका काफी सम्मान किया जाता था. जिन लोगों से मैंने बात की उनमें से किसी को भी ठीक से पता नहीं था कि लखबीर सिंघु सीमा पर कब और क्यों गया. राज उनसे आखिरी बार 10 अक्टूबर को मिली थीं, जबकि कुछ अन्य निवासियों ने उसे 13 अक्टूबर तक देखने की जानकारी दी.
लखबीर के घर के पास रहने वाले हंसपाल सिंह ने मुझे बताया कि उन्होंने उसे 11 अक्टूबर को गांव में एक शादी समारोह में देखा था. हंसपाल ने बताया कि लखबीर उस समारोह में गया तो था लेकिन उसे वहां से भगा दिया गया. एक निजी बैंक में काम करने वाले गांव के रहने वाले अमृतपाल सिंह ने मुझे बताया कि उन्होंने 13 अक्टूबर की सुबह लखबीर को अनाज मंडी में काम करते देखा था. मैंने जिन निवासियों से बात की, उनमें से अधिकांश ने बताया कि लखबीर की नशे की लत होने के बावजूद वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता था. निवासी परमजीत सिंह ने कहा कि उसकी मौत की खबर सुनकर वह स्तब्ध रह गए. उन्होंने बताया कि , “भले ही वे लोग बहुत गरीब थे लेकिन लखबीर के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी.”
बिजली का काम करने वाले सतपाल सिंह ने लखबीर को एक अच्छा इंसान बताया. हंसपाल ने कहा, "यहां तक कि अगर कोई लखबीर से सिर्फ मवेशियों को चारा डालने जैसे नियमित काम करने में मदद करने को कहता, तो वह खुशी से वह काम करता था." चीमा कलां के कई अन्य निवासियों ने मुझे बताया कि उन्होंने अक्सर लखबीर को लोगों से 10 रुपए जैसी मामूली रकम मांगते हुए देखा है. चीमा ने कहा, “पहले वह मजदूरी करता था लेकिन पिछले कुछ समय से वह राहगीरों से पैसे मांगने के अलावा और कुछ नहीं करता था.” जितने भी लोगों से मैंने बात की उन्होंने बताया कि लखबीर बेअदबी नहीं कर सकता. राज ने मुझसे कहा, "वह ऐसा कुछ नहीं कर सकता." चीमा ने कहा, “वह आदमी शराबी था, नशा करता था, वह छोटे-मोटे अपराध कर सकता है इसमें कोई दोराय नहीं है. लेकिन वह वहां पर किसी तरह की बेअदबी करने नहीं जा सकता.” चीमा ने कहा कि उन्हें लगा कि कोई लखबीर को सिंघु सीमा लेकर गया होगा.
चीमा ने कहा कि मामले की गहराइ से जांच करने की जरूरत है. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे लखबीर ने ऑनलाइन प्रसारित होने वाली तस्वीरों और वीडियो में कच्छेरा पहना हुआ था. कच्छेरा सिख धर्म के पांच प्रतीकों में से एक है. इसे पारंपरिक रूप से अन्य चार प्रतीकों के साथ पहना जाता है. केश भी ऐसा ही एक प्रतीक है. चीमा ने बताया कि लखबीर अपने बाल कटवाता था. “अगर उसने कभी कच्छेरा नहीं पहना तो फिर उसे वह पहनाया किसने? और कौन उसे सिंघु सीमा पर ले गया? उसके परिवार में इस मामले में जांच की मांग करने वाला कोई सदस्य नहीं है और न ही उनके पास पैसे हैं."
15 अक्टूबर की शाम को राज ने मुझे बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि लखबीर के शव को दाह संस्कार के लिए घर लाने के लिए पैसों का इंतेजाम कैसे होगा. अगली शाम श्री गुरु ग्रंथ साहिब सतकार समिति की तरनतारन इकाई के अध्यक्ष तरलोचन सिंह सोहल ने मुझे एक वीडियो भेजा जिसमें उन्होंने कहा था कि लखबीर का शव चीमा कलां पहुंचने वाला है. उन्होंने कहा कि उसके लिए कोई अरदास और अखंड पाठ नहीं किया जाएगा. सोहल ने कहा कि "परिवार को दाह संस्कार अपने बूते करना होगा. पंचायत या गांव का कोई भी इसमें शामिल नहीं होगा." वीडियो में वह गांव की मौजूदा सरपंच के पति मोनू चीमा समेत आठ से नौ लोगों के साथ खड़े थे. 16 अक्टूबर की रात को लखबीर का अंतिम संस्कार किया गया.
हरियाणा के कुंडली पुलिस स्टेशन ने 15 अक्टूबर की सुबह 11 बज कर 17 मिनट पर लखबीर की हत्या की एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में अज्ञात लोंगो के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है. 16 अक्टूबर को सरवजीत सिंह को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा दिया गया. उसी दिन एक व्यक्ति ने पंजाब पुलिस और दो अन्य लोगों ने हरियाणा पुलिस के सामने हत्या के मामले में आत्मसमर्पण किया. तरनतारन अनुमंडल के पुलिस उपाधीक्षक सुच्चा सिंह बल ने मुझे बताया कि पुलिस ने 15 अक्टूबर से हत्या की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने आगे कहा, "लखबीर पर कभी किसी तरह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं था और न ही उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड रहा है."