मणिपुर में सेना पर नागरिक की हत्या के आरोप के बाद फिर तेज हुई आफ्स्पा पर बहस

14 जुलाई 2021
स्थानीय लोगों के अनुसार इस साल 4 जून को कांगपोकी के बांग्लाबुंग चौकी पर तैनात 44 असम राइफल्स की ई कंपनी के कमांडिंग ऑफिसर आलोक साठे ने चार बच्चों के पिता 29 वर्षीय मंगबोलाल लोउवम की गोली मारकर हत्या कर दी.
जयंता शॉ / रॉयटर्स
स्थानीय लोगों के अनुसार इस साल 4 जून को कांगपोकी के बांग्लाबुंग चौकी पर तैनात 44 असम राइफल्स की ई कंपनी के कमांडिंग ऑफिसर आलोक साठे ने चार बच्चों के पिता 29 वर्षीय मंगबोलाल लोउवम की गोली मारकर हत्या कर दी.
जयंता शॉ / रॉयटर्स

भारतीय सेना की 44 असम राइफल्स कंपनी के एक मेजर पर मणिपुर के कांगपोकपी जिले के चालवा गांव के एक नागरिक की हत्या का आरोप लगने के बाद राज्य में आफ्स्पा पर बहस फिर तेज हो गई है. उक्त घटना के लगभग एक महीने बाद भी समझौते के तहत पीड़ित परिवार को जो मुआवजा दिया जाना था वह अभी तक नहीं मिला है.

स्थानीय लोगों के अनुसार 4 जून को कांगपोकपी के बांग्लाबुंग चौकी पर तैनात 44 असम राइफल्स की ई कंपनी के कमांडिंग ऑफिसर आलोक साठे ने 29 वर्षीय मंगबोलाल लोउवम की गोली मारकर हत्या कर दी थी. असम राइफल्स ने दावा किया है कि यह घटना विद्रोही समूह कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी के सदस्यों को पकड़ने के अभियान के दौरान हुई है और उसने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन मंगबोलाल के परिवार, स्थानीय निवासियों और नागरिक-समाज संगठनों के अनुसार चालवा में कोई केआरए सदस्य या विद्रोही गतिविधियां नहीं थीं और यह घटना राज्य में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग है.

मंगबोलाल की मृत्यु के छह दिन बाद मैंने उनकी पत्नी निखोचोंग को वीडियो कॉल की. उनका कहाना था, “यह मेरे लिए एक बहुत ही कठिन स्थिति है और मैं सोच रही हूं कि अपने चार बच्चों का गुजारा कैसे चलाउंगी. मैं अभी तक सदमे से बाहर नहीं आ पाई हूं.” उनकी सबसे बड़ी बेटी सात साल की है और एक स्थानीय सरकारी स्कूल में पढ़ती है. तीन छोटे बच्चों की उम्र क्रमश: छह, तीन और एक साल है. कॉल के दौरान सबसे छोटे बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी जबकि दूसरा मुझे कौतूहल से देख रहा था. चार बच्चे और उनकी मां दो कमरों के फूस के घर में रहते हैं.

मंगबोलाल दिहाड़ी मजदूर था और प्रतिदिन औसत 300 रुपए कमा लेता था. निखोचोंग ने बताया कि वह मेहनती और शांत स्वभाव का था और उसे अपने पति की मौत के लिए न्याय चाहिए.

मंगबोलाल की मृत्यु परिस्थितियां स्पष्ट नहीं हैं. डिफेंस विंग के प्रेस सूचना ब्यूरो ने घटना के दो दिन बाद एक विज्ञप्ति जारी कर दावा किया कि 6 जून को मेजर साठे के नेतृत्व में भारतीय सेना की कंपनी ने कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी के सदस्यों की उपस्थिति की खुफिया सूचना के आधार पर चालवा में एक ऑपरेशन शुरू किया था. भारतीय सेना के पूर्व जवान और कुकी छात्र संगठन के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उस रात विद्रोही वहां नहीं था. वह कभी-कभी आता है. अगर वह वहां होता है तो हमें पता होता. सेना ने उसकी तलाश की लेकिन जब वह नहीं मिला तो जवान स्थानीय लोगों से झगड़ा करने लगे... सेना के जवान नशे में थे.''

किमी कॉलनी कारवां की रिपोर्टिंग फेलो हैं.

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