2 सितंबर 2022 को रात करीब 10 बजे उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के विनयपुर गांव में 50 साल के दाऊद अली अपने घर के बाहर बैठे हुए थे. इससे एक महीने पहले 3 अगस्त को दाऊद के भाई की मौत बीमारी से हुई थी और लोग अब तक उनसे मिले आ रहे थे. उनके साथ भतीजा नईम और अमजद और पड़ोसी अकरम भी बैठे थे. तभी 7-8 मोटर साइकल पर सवार करीब 18 हथियारधारी नौजवानों ने उन पर हमला बोल दिया. हमालवर नौजवान पास के भगौट गांव से आए थे. ये लड़के जय श्रीराम का नारा लगा रहे थे. धारधार हथियारों और तमंचों से हुए इस हमले में दाऊद अली गंभीर रूप से घायल हो गए. घायल दाऊद को ईलाज के फैमिलीहेल्थ अस्पताल मेरठ ले जाया गया जहां ईलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.
यह हमला अचानक हुआ था. अफरातफरी में नईम, अमजद और पड़ोसी तो बच कर भाग पाए लेकिन दाऊद वहीं फंसे रह गए.
बीबीसी की एक रिपोर्ट में एक स्थानीय हिंदूवादी कार्यकर्ता अंकित बडोले ने दावा किया कि विनयपुर गांव के पास के गांव रटौल में हिंदू लड़की को बाल पकड़ कर खींचा गया था. जिन्होंने ऐसा किया था उनमें मुस्लिम समाज के बहुत सारे लड़के थे. बडोले ने बीबीसी से कहा, उनमें बालिग-नाबालिग दोनों थे. उन्होंने लड़कियों के बाल पकड़ कर खींचा, लड़की के भाइयों को भी पीटा."
बडोले ने बताया कि इस घटना पर पुलिस ने उचित कार्रवाई नहीं की और पुलिस ने "एक-दो को जेल भेजा लेकिन बाकियों को छोड़ दिया. समाज के अंदर ऐसी घटनाओं से आक्रोश पनपता है धीरे-धीरे. हिंदू समाज को लगता है कि उसे दबाया जा रहा है. अगर प्रशासन ऐसी घटनाओं में कार्रवाई नहीं करेगा तो जनता को कानून हाथ में लेना ही पड़ेगा."
उस रिपोर्ट के मुताबिक, भगौट गांव के युवाओं में इस घटना के बाद से ही आक्रोश था और हो सकता है कि हत्या की वजह यह रही हो.
दाऊद के भतीजे नईम ने घटना के बाद पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई. पुलिस द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, पुलिस ने चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपितों के कब्जे से पुलिस ने कत्ल में इस्तेमाल किए गए चार डंडे और दो मोटरसाइकलें बरामद की हैं.
पुलिस को गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया है कि विनयपुर तथा भगौट के लड़को में तनाव था और विनयपुर के लड़कों को सबक सिखाने के लिए भगौट में इकट्ठा हो कर उन्होंने यह तय किया था कि विनयपुर में जो भी मिलेगा उसे पीटेंगे. लड़कों ने स्वीकार किया है कि वे लाठी, डंजे और फरसा एवं तमंचा लेकर रात को 10 बजे विनयपुर गए थे और वहां एक मकान पर बैठे लोगों (दाऊद, नईम, अमजद और पड़ोसी अकरम) पर हमला कर दिया.
हालांकि अभियुक्तों ने दावा किया कि वे विनयपुर में "जो भी मिलेगा उसे पीटेंगे" के मकसद से वहां पहुंचे थे लेकिन शाहरुख ने बताया कि उनका घर गांव के बहुत अंदर है और वहां तक पहुंचने से पहले करीब 50 हिंदुओं के घरों को पार करना पड़ता है. ऐसे में यह हमला सुनियोजित लगता है.
इस घटना ने दाऊद के परिजनों के झकझोर कर रख दिया है. दाऊद से पहले इस साल अगस्त में उनके बड़े भाई की कैंसर से मौत हो गई थी. परिवार इस सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि दाऊद का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. इस कत्ल के बाद दाऊद के छोटे भाई को भी दिल का दौरा पड़ा और उनकी भी मौत हो गई. अल्प समय में परिवार को तीन मौतों का सामना करना पड़ा है. जब मैं उनके घर गया तो अनंत सदमे के आगोश में कैद यह पूरा परिवार खुद को समेटने की कोशिश कर रहा था.
दाऊद के बेटे शाहरुख अली, जो दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र है और इन दिनों सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहा है, ने बताया कि पिता कि हत्या के कुछ मिनट पहले ही उसने घर पर फोन किया था. वह कहता है, "फोन पर बात करके रखा ही था कि पांच मिनट बाद फिर फोन आ गया. मैंने सोचा कि हो सकता है कुछ बात रह गई हो लेकिन मुझे कहा गया कि मैं जल्दी मेरठ आ जाऊं".
दाऊद अली किसान थे. उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं. शाहरुख ने कहा कि परिवार की किसी के साथ रंजिश नहीं थी. वह कहता है, "घर आ कर कोई किसी आदमी को बेवजह मार दे, ऐसा आदमी को जिसका किसी बात से कोई लेना देना न हो, इससे बुरा और क्या हो सकता है." वह आगे बताता है, "हम अपने परिवार में बहुत खुश थे. सब बोहत अच्छा चल रहा था. किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं थी. मेरी भाई और बहनों के सब काम सही समय से हो रहे थे. गांव का हमारा परिवार एक खुशहाल परिवार था."
वह आगे बताता है, "हमारे गांव में जो शिव मंदिर है उसके लिए मेरे बाबा ने जमीन दी थी. यह मंदिर मस्जिद से कुल 30 मीटर की दूरी पर है और लोग मानते थे कि हमारे गांव में हिंदू-मुसलमान जब प्यार से रहते हैं, तो फिर मंदिर और मस्जिद ही क्यों दूर रहें."
दाऊद इस संयुक्त परिवार के अकेले कमाने वाले शख्स थे और चाहते थे कि बेटा शाहरुख अधिकारी बने. शाहरुख ने बताया, "मैं नहीं चाहता कि गांव का माहौल खराब हो और मेरे गांव के नाम पर दंगा हो जिससे समाज का कोई नुकसान हो. हालांकि मेरे पिता निर्दोष थे लेकिन इस वजह से किसी दूसरे का घर नहीं जलना चाहिए."
जिला प्रशासन ने पीड़ित परिवार से कहा है कि वे किसी तरह का प्रदर्शन न करे जससे शांति व्यवस्था बिगड़े. परिवार ने इस बात का वचन प्रशासन को दिया है. प्रशासन ने उन्हें तीन दिन के भीतर मामले के आरोपितों पर कार्रवाई करने का वादा भी किया था. साथ ही परिवार को मुआवजा देने और किसान दुर्घटना बीमा और मुख्यमंत्री विवेकाधीनकोष से मदद और परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी का वादा भी परिवार से किया गया है. लेकिन इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक पुलिस कार्रवाई के अलावा अन्य कोई वादा पूरा नहीं किया गया है. शाहरुख बताता है, "किसान दुर्घटना वाली फाइल इधर से उधर घूम रही है, मुख्यमंत्री विवेकाधीनकोष पर अभी कोई सुनवाई नहीं हुई है."
विनयपुर के रहने वाले नईम अली, जो उस घटना के दौरान वहीं मौजूद थे और किसी तरह अपनी जान बचा कर भाग सके थे बताते हैं, "हम लोग अपने घर के बाहर बैठे हुए थे कि अचानक गांव की पूर्व दिशा से लोग आए. उन्होंने न कुछ देखा, न कुछ कहा और हम लोगो पर हमला कर दिया." वह बताते हैं कि उन्होंने फायर भी किया और वे लाठी, डंडे और फरसा लिए हुए थे." नईम का कहना है कि हमालावर लोगों ने उनसे कोई बात नहीं कि और रुकते ही मारना पीटना शुरू कर दिया. "जैसे ही पीटना शुरू हुआ हम लोग भाग गए. मैं गांव की तरफ को भागा. आखिर में यहां केवल मेरे चाचा ही रह गए. उन लोगों ने बाइक से उतरते ही पीटना शुरू कर दिया. उनको फरसा मारा और फिर फायर भी किया. वे लोग नारे भी लगा रहे थे. उस समय मेरे अंदर इतनी दहशत थी कि जब मैं तो जान बचाने के लिए भाग रहा था, तो एक बार तो लगा कि अब जान नहीं बचेगी."
3 अगस्त को नईम के पिता शहाबुदीन अली का इंतकाल हो गया था और तभी से गांव के लोग और रिश्तेदार आते ही रहते थे. घटना वाले दिन भी रात 9.30 बजे तक करीब सात लोग घर के बाहर बैठे थे लेकिन गांव में खाने और सोने का समय हो चुका था इसलिए लोग अपने-अपने घर चले गए थे.
62 वर्षीय इस्तियाक भी घटना के बाद डर सता रहा है. उस रात को याद करते हुए उन्होंने बताया, "यहां से थोड़ा आगे, मोड़ पर मेरा घर है. हम सब खाना खाने के बाद सोने की तैयारी कर रहे थे कि तभी अचानक जोर की आवाजें आनी शुरू हो गईं. लोग तेज आवाज में चिल्ला रहे थे, "मार लिए, मार लिए". ये आवाजें तेजी से आनी लगी तो मेरी बेटी बोली कि बाहर कुछ हो गया है. मैंने अपने बेटे को आवाज दी कि बाहर बदमाश आ गए हैं और ऐसा लगता है कि उन्होंने ने कोई बालक को मार दिया है. घर से जब मेरा लड़का भाग कर बाहर आया, तो उन्होंने फायरिंग कर दी. फायरिंग होते ही मेरा लड़का नीचे बैठ गया. मैं भी उसको जोर से बोला, "बचो, कहीं ये बदमाश गोली न मार दें." ऐसा लग रहा था 10 से ज्यादा मोटरसाइकिलें थीं. पता नही कितने लोग थे. एकाएक हमारे होश उड़ गए. मेरे घर से जब वे थोड़ी दूर निकले तो उन्होंने "जय श्रीराम" के नारे लगाए और जोर-जोर से चिल्लाते चले गए."
वह आगे बताते हैं, "जब वे चले गए तो हमनें देखा कि तेजी से चिल्लाने की आवाज आ रही है. कई सारे लोगों के रोने की आवाज. मैं यहां आया तो लोग बोलने लगे कि फरसा चला दिया ,गोली मार दी. मैंने कहा कि गोली उन्होंने मेरे घर पर भी चलाई. फिर हम सब दाऊद अली को देखने लगे. कोई बोला कि उनको दिल्ली ले चलो और किसी ने सलाह दी कि मेरठ ले चलो. उतनी ही देर में पुलिस भी आ गई. फिर दाऊद को मेरठ ले कर चले गए."
वह बताते हैं कि दाऊद के सिर पर फरसा लगा था और खून तेजी से बह रहा था. परिवार को चार दिन के बाद पता चला कि भगौट के लोग थे."
विनयपुर गांव में सांप्रदायिक हिंसा का यह संभवतः पहला मामला था. गांव के प्रधान आदेश नंबरदार के दादा धर्मचंद, जिनकी उम्र 90 साल है ने मुझे बताया कि, "हमारे गांव के बारे में मेरी याद में हमेशा सौहार्द ही रहा है. हिंदू-मुसलमान दोनों एक दूसरे के साथी हैं. इज्जत करते हैं, भाईचारा बना कर रहते हैं. तीज-त्याहरों पर एक दूसरे को घरों पर बुलाते हैं."
उन्होंने बताया कि अब से दो साल पहले गाय का एक बच्चा गुम हो गया था. तब बाहर गांव के लोग आकर कहने लगे कि यह किसी मुसलमान का काम है. धर्मचंद बताते हैं कि वे लोग गांव का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर थे इसलिए वह खुद प्रधान को साथ लेकर पुलिस चौकी गए और उसी समय चौकी इंचार्ज को लेकर आए और माहौल शांत कराया."
धर्मचंद चाहते हैं कि जिन लोगों ने दाऊद की हत्या की है उनको कठोर दंड दिया जाए. उन्होंने बताया कि उनके गांव के सभी लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं.
खबर लिखे जाने जाने तक बागपत पुलिस ने चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम हैं : निक्की उर्फ विक्की, हरीश, दिलीप और मोहित.
खेकडा के सीओ विजय कुमार चौधरी ने मुझे बताया कि अभी पांच गिरफ्तारी हुई है और बाकी सभी अभियुक्तों के संबंध में आईपीसी की धारा 82 के तहत आदेश हुए हैं. उन्होंने कहा, "यदि एक महीने में वे नहीं पकड़े गए तो अदालत की अवमानना का केस उन पर चलेगा और आईपीसी की धारा 83 के तहत घर की कुर्की की जाएगी." चौधरी ने दावा किया कि यह दंगा भड़काने का प्रयास नहीं था बल्कि "इन लोगों का आपसी जमीन का कोई पुराना विवाद है. इन सब के खेत एक साथ है."