उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में शामिल रहे करावल नगर के एक 22 साल के हिंदू लड़के ने हमसे कहा, "आप इसे बचाव मानो या बदला मान लो लेकिन मुख्य रूप से यह बदला ही है." कारवां के साथ दो साक्षात्कारों में उस लड़के ने फरवरी 2020 में हुई हिंसा में किस तरह उसने और उसके अन्य हिंदू दोस्तों ने मुसलमानों की दुकानों और उनकी गाड़ियों को निशाना बनाया, उन्हें नष्ट कर दिया या आग के हवाले कर दिया, इसकी जानकारी दी. उसने माना कि "जय श्री राम" कहने से इनकार करने पर मुस्लिमों को पीटा था. लड़के ने कारवां को बताया कि दिल्ली पुलिस ने हिंदू दंगाइयों को मुसलमानों को निशाना बनाने की खुली छूट दी थी. लड़के ने बताया, "पुलिस ने कहा था कि मुस्लिम इलाकों में अंदर जाकर हमला करो क्योंकि पुलिस वहां नहीं आएगी. पुलिस ने हमलोगों से कहा, 'हमें दिखाओ कि तुम लोग हिंदू हो.'" उसने आगे बताया कि एक पुलिस अधिकारी ने कहा था कि हिंदू दंगाइयों को "एक मौका दिया जा रहा है. जब हमें ऊपर से संदेश मिलेगा, तो मैं आपको रोक दूंगा. लेकिन तब तक जो चाहो करो."
उस 22 साल के लड़के ने यह भी बताया कि वह बजरंग दल के एक सदस्य से मिला था, जिसने उसे मुसलमानों की संपत्तियों को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल करने के लिए एक (लोहे की) रॉड दी थी. लड़के के उनके अनुसार, बजरंग दल के सदस्य ने मुस्लिमों के खिलाफ एकजुट होने के लिए हिंदू अदामियो का आह्वान करते कहा था कि "अगर अब कुछ नहीं कर सके तो आप कभी भी कुछ नहीं कर पाओगे."
लड़के ने कहा कि बजरंग दल के आदमी ने भीड़ को हिंदुओं के रूप में एकजुट होने और हिंसा के समय के लिए अपने राजनीतिक जुड़ाव को त्यागने के लिए कहा. उसने बताया कि जिन दिनों में दिल्ली हिंसा जारी थी, उसे व्हाट्सएप पर संदेश और फोन आए जो मुसलमानों पर हमला करने के लिए उकसाते थे. उन्होंने कहा कि अन्य बातों के अलवा उन मैसजों में हिंदुओं पर मुसलमानों द्वारा किए गए जघन्य हमले का वर्णन था और रात में मुसलमानों पर हमला करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा जाता था.
लड़के ने बताया कि उसके सामने हिंदू भीड़ ने तीन मुसलमानों को मारा. उसने कहा, उनमें से एक को "जय श्री राम" ना कहने पर भीड़ ने एक को गाड़ी में डाल कर लगा दी. उस आदमी की मौत हो गई. लड़के ने भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि मिश्रा ने "अच्छा काम किया है. उन्होंने जनता को अपने साथ लिया और कई सुझाव भी दिए."
24 और 26 फरवरी के बीच, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा हो रही थी. मारे गए 53 लोगों में से 38 मुस्लिम थे. 23 फरवरी को मिश्रा ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भड़काऊ भाषण दिया था. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्लिम निवासी हाल ही में बनाए गए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के विरोध में, उस समय भारत में चल रहे कई शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की तरह ही प्रदर्शन कर रहे थे. ये आंदोलन दिसंबर 2019 के मध्य में शुरू हुए थे. मिश्रा ने धमकी दी थी कि अगर पुलिस ने भीड़ को नहीं हटाया, तो "मामला पुलिस के हाथ से निकल जाएगा." उन्होंने यह भाषण उत्तर पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त वेद प्रकाश सूर्या की मौजूदगी में दिया गया था. उसके बाद हिंदू भीड़ और मुस्लिम प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें शुरू हो गईं.
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