दिल्ली पुलिस पर दंगों की शिकायतकर्ता और उनकी बेटी पर हमले और यौन उत्पीड़न का आरोप

दो औरतों और एक 17 साल की युवती ने बताया है कि 9 अगस्त की रात को उत्तर पूर्वी दिल्ली के भजनपुरा पुलिस स्टेशन में उन्हें बेरहमी से थप्पड़ मारे गए, उनके साथ छेड़छाड़ की गई और  धमकी दी गई. उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. कारवां के लिए शाहिद तांत्रे

उत्तर पूर्वी दिल्ली के उत्तरी घोंडा इलाके के सुभाष मोहल्ले की दो औरतों और एक किशोरी ने दिल्ली के भजनपुरा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों पर 8 अगस्त की रात स्टेशन परिसर में उनकी पिटाई और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है. उस शाम शाहीन खान, शन्नो और उनकी 17 वर्षीय बेटी सहित लगभग दस महिलाएं दो दिन पहले दर्ज की गई एक शिकायत पर एफआईआर (प्राथमिकी) दर्ज कराने पुलिस स्टेशन आईं थीं. शाहीन खान, शन्नो और 17 साल की बेटी एफआईआर लिखवाने स्टेशन के भीतर चली गईं और बाकी औरतें परिसर में इंतजार करने लगीं. तीनों ने हमें बताया कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार करते हुए उन पर हमला कर दिया. नाबालिग और बाकी औरतों ने बताया कि उन्हें बेरहमी से बार-बार थप्पड़ मारे, उनके साथ छेड़छाड़ की और धमकी दी. उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है लेकिन दिल्ली पुलिस इस आरोप से इनकार कर रही है. भजनपुरा स्टेशन हाउस अधिकारी (एसएचओ) अशोक शर्मा ने कहा कि उन्होंने महिलाओं को बताया था कि जांच के बाद ही प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. उन्होंने स्टेशन परिसर में हिंसा के आरोपों को खारिज कर दिया.

शाहीन खान ने हमसे कहा, “मैंने यह सब देखा है. मैं वहां मौजूद थी. उन्होंने लड़की के सीने पर हाथ रखा और उसके और शन्नो के साथ बदतमीजी की. यहां तक ​​कि उन्होंने शन्नो के कपड़े भी फाड़े.” खान की गर्दन के नीचे खरोंच का निशान दिख रहा था. हमने तीनों से 8 और 9 अगस्त की रात बातचीत की. उस समय भी शन्नो वही कुर्ता पहने थीं जो फटा था. हमसे बात करते-करते वह रो देती थीं. इसी तरह एक बार लंबी सांस लेकर खुद को काबू में करते हुए उन्होंने बताया कि पुलिस वालों ने उनकी बेटी को बालों से पकड़कर "उसे एक अंधेरे कोने में खींचने की कोशिश की." अपनी खुद की छाती की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने कहा, "मेरी बेटी को गलत-गलत जगह हाथ लगाया." उनकी बेटी ने भी यही बात दोहराई. 17 साल की बेटी ने बताया, "उन्होंने हमारे साथ बहुत बदतमीजी की. मेरे साथ, मेरी मां और एक अन्य महिला के साथ. उन्होंने हमारे साथ इतनी बदतमीजी की कि मैं आपको बता भी नहीं सकती."

औरतें 5 और 6 अगस्त की दरमियानी रात को हुई एक घटना के संबंध में पुलिस स्टेशन गई थीं. उस रात लगभग 1 बजे, अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह के जश्न में इलाके के हिंदुओं के एक समूह ने सड़कों पर जश्न मनाया और सांप्रदायिक नारे लगाए. शन्नो के पति सलीम ने बताया, "वे 5 अगस्त की रात को आए और जय श्रीराम के नारे लगाते हुए हमें ललकारने लगे और कई लोगों ने गालियां देते हुए मुस्लिमों से मोहल्ला छोड़ने को कहा. इसी शिकायत पर पुलिस एफआईआर दर्ज करने के लिए तैयार नहीं थी. हम अब दिन-रात दहशत में रहते हैं.” शन्नो ने पूर्व में फरवरी की हिंसा के दौरान दिल्ली में हुए हमलों, लूटपाट और आगजनी से संबंधित शिकायत दर्ज की है. उन्होंने बताया कि उनके परिवार पर इस साल जून में हमले हुए थे.

जैसा कि घटना के बारे में न्यूजलांड्री की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुभाष मोहल्ले की गली नंबर 2 में, जहां खान रहती हैं, एक संकरी सड़क मुस्लिम और हिंदू परिवारों को अलग करती है. फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के बाद, दिल्ली पुलिस ने लेन के मुस्लिम इलाके की तरफ के प्रवेश द्वार पर एक फाटक खड़ा कर दिया था. राम मंदिर उत्सव के दौरान हिंदू समूह ने गेट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के झंडे लगा दिए थे. सलीम ने कहा, "हमने उन्हें मस्जिद की ओर जाती एक गली के गेट पर बिजली बम बांधते देखा."

6 अगस्त को कुछ स्थानीय औरतों ने भजनपुरा पुलिस स्टेशन में इस घटना की शिकायत दर्ज की लेकिन पुलिस ने औपचारिक रूप से इसे दर्ज नहीं किया. पुलिस ने शिकायत प्राप्त होने की एक हस्ताक्षरित प्रति प्रदान नहीं की थी. औरतों के वकील महमूद प्राचा ने हमें बताया कि उनके कार्यालय ने अगले दिन पुलिस स्टेशन को बार-बार फोन करके पूछा कि औरतों की शिकायत क्यों स्वीकार नहीं की गई. खान के अनुसार, पुलिस ने आखिरकार 8 अगस्त की सुबह उन्हें फोन किया और औरतों को अपनी शिकायत की एक प्रति के साथ स्टेशन आने के लिए कहा. खान ने बताया कि प्राचा के कार्यालय ने शाम 7 बजे तक शिकायत भेजी और इसे छापने के बाद कुछ औरतें उस रात 9 बजे भजनपुरा पुलिस स्टेशन पहुंचीं. 10 अगस्त का जिक्र करते हुए शन्नो ने कहा, "यह हमारे लिए जरूरी था, एफआईआर को सोमवार को अदालत में पेश किया जाना था. हमारे वकील हमें अदालत में पेश होने के लिए पुलिस स्टेशन से इसे लेते आने को कह रहे हैं." भजनपुरा स्टेशन पर पुलिस ने औरतों को शिकायत की एक हस्ताक्षरित प्रति, स्टेशन की दैनिक डायरी में दर्ज की गई प्रविष्टि संख्या के साथ दी लेकिन शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया.

खान ने कहा, "हमने उनसे एफआईआर की प्रति मांगी लेकिन उन्होंने कहा कि पहले जांच होगी और उसके बाद ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. मैंने उन्हें लिखित में यह देने के लिए कहा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.” खान ने कहा कि फिर पुलिस अधिकारी की आवाज कड़क हो गई. "यहां से चले जाओ, बाहर निकलो," पुलिस ने उन पर तड़कते हुए कहा. खान ने इसके बाद भजनपुरा एसएचओ शर्मा को फोन किया, जिन्होंने दोहराया कि पहले जांच की जाएगी. खान के अनुसार, उन्होंने भी, उसी तरह से उनसे बात की. खान ने बताया कि शर्मा ने कहा, "मुझे जो तुमसे कहना था कह चुका, मेरे साथ बकवास मत करो." खान ने कहा कि जब वह शर्मा से बात कर रही थीं, एक पुलिस अधिकारी ने उनसे उनका फोन छीन लिया और उन्हें जमीन पर धकेल दिया. उनके अनुसार, पुलिस वाले ने कहा, "उसका फोन जब्त करो, यह बहुत ज्यादा बोल रही है."

"जब मैंने अपना फोन उससे वापस लेने की कोशिश की, तो उसने मुझे फिर से धक्का दिया और मुझे थप्पड़ मार दिया," खान ने बताया. “यह देखकर, शन्नो और उनकी बेटी मेरी मदद के लिए दौड़ीं. उन्होंने शन्नो को जोरदार थप्पड़ मारा और उनकी बेटी पर भी हाथ उठाया. खान ने आगे कहा, "बहुत गलत-गलत जगह हाथ मारा, गंदे तरीके से. शन्नो अपनी बेटी को अपने पास खींच रही थीं और एक पुलिस वाला उसे अपने पास खींच रहा था. उन्होंने बहुत बुरा बर्ताव किया.”

घटना के बारे में बताते हुए शन्नो की आवाज लड़खड़ा गई. उन्होंने कहा कि औरतें रात 9 बजे स्टेशन पहुंची थीं और करीब पांच या छह पुलिस अधिकारी वहां मौजूद थे. एक पुलिस वाले ने उन्हें स्टेशन पर मौजूद एकमात्र महिला अधिकारी को अपनी शिकायत देने का निर्देश दिया. शन्नो ने कहा, "उसने हमसे शिकायत छीन ली और हमें बाहर इंतजार करने के लिए कहा.” शन्नो ने बताया कि महिला पुलिस कर्मी ने कहा, "जब तक यह पूरा ना हो जाए तब तक बाहर इंतजार करो फिर चाहे पूरी रात लग जाए." शिकायत के बारे में पूछने के लिए वे तीनों रात 11 बजे अंदर गए और तभी पुलिस ने उन पर हमला कर दिया. "उन्होंने हमें बहुत पीटा," उन्होंने हमें बताया. “वे हमें थप्पड़ मारते रहे. उन्होंने मेरी शर्ट फाड़ दी और मेरा कॉलर पकड़ लिया. "

उन्होंने आगे कहा, "हमें पीटा गया और यौन उत्पीड़न किया गया. हमरी बेटी की इज्जत पर भी हमला करा उन्होंने. उन्होंने उसके बालों को खींचा और बेरहमी से उसे और मुझे पीटा." शन्नो ने कहा कि पुलिस ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी. उन्होंने हमें बताया कि एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "अगर तुम यहां शिकायतें लेकर आते रहे तो हम तुम्हें मार देंगे." 17 साल की युवती ने भी यह बात दोहराई और हमें बताया कि पुलिस ने दैनिक डायरी नंबर के साथ शिकायत की एक हस्ताक्षरित प्रतिलिपि देने के बाद, एक अधिकारी ने उनसे कहा, "यहां से बाहर निकलो, तुम्हें यह नंबर मिल गया, यही काफी है, बाहर निकलो नहीं तो हम तुम्हें मार देंगे."

युवती ने बताया, "उन्होंने मेरी मां को थप्पड़ मारा और उन्होंने मेरे साथ बहुत दुर्व्यवहार किया." उसने आगे बताया कि धक्का देते वक्त पुलिस वालों ने उनकी और अन्य महिलाओं की छाती पर हाथ रखा था. “बहुत सारे पुलिस वाले आए और हमें घेरने लगे. वे मुझे उसी तरह धकेल रहे थे जिस तरह से वे मेरी मां को धकेल रहे थे. तभी पीछे से एक महिला अधिकारी आई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर बार-बार मेरे सिर पर मारा.''

युवती ने कहा कि जब पुलिस ने उसकी मां को थप्पड़ मारना शुरू किया तो उसने बीचबचाव करने की कोशिश की. "मैंने कहा कि आप मर्द हैं और इस तरह एक महिला पर हाथ नहीं उठा सकते, तो उन्होंने मुझे भी मारना शुरू कर दिया.” उसने आगे कहा, "उन्होंने मेरी मां का कुर्ता फाड़ दिया और मेरे साथ ... मैं बता भी नहीं सकती, उन्होंने मेरे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया. वहां मौजूद सभी पुलिस वालों ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया. ”

शन्नो के परिवार ने हमें बताया कि वे अब डर में जी रहे हैं. दिल्ली हिंसा के बाद से जो भी परिणाम उन्हें मिले हैं, उन्हें देखते हुए, उनकी चिंता लाजमी है. 18 अप्रैल को शन्नो ने भजनपुरा पुलिस स्टेशन में उन हिंदू दंगाइयों की पहचान की शिकायत दर्ज की थी जिन्होंने मुसलमानों पर हमला किया था और दुकानों को लूटा और जला दिया था. उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा है कि उनके पास अपने आरोपों के वीडियो सबूत भी हैं जो उन्होंने अपने पति सलीम के फोन पर रिकॉर्ड किए थे. पुलिस ने उसकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की. 12 जून को दो लोगों ने सलीम को बंदूक की नोक पर धमकाया और उनसे उसका फोन छीन लिया. अगले दिन शन्नो और सलीम के बेटे और चार साल के पोते का एक्सीडेंट हो गया और उन्हें गंभीर चोटें आईं.

30 जून तक शन्नो यही सोचती रहीं कि उनके बेटे और पोते को दुर्घटना में चोटे आईं हैं. शन्नो बताती हैं कि उस दिन सुभाष मोहल्ले के रहने वाले सोनू, जिसका नाम उन्होंने अपनी 18 अप्रैल की शिकायत में दर्ज कराया था, ने उनसे संपर्क किया और उन्हें बताया कि उस दिन उनका “बेटा और पोता दुर्घटना में बच गए लेकिन अगर हम अपनी शिकायत वापस नहीं लेते हैं तो अगली बार नहीं बचेंगे.'' अगले दिन शन्नो ने दिल्ली उच्च न्यायालय से पुलिस सुरक्षा की मांग की और 17 जुलाई को अदालत ने पुलिस उपायुक्त वेद प्रकाश सूर्या को "धमकी का मूल्यांकन करने और याचिकाकर्ता और उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया." शन्नो और सलीम ने अगले दिन डीसीपी से मुलाकात की और तब से पुलिस ने इलाके में सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं और दो पुलिस अधिकारियों को नियमित रूप से गश्त करने के लिए नियुक्त किया है. 

औरतों ने बताया कि 8 अगस्त को रात 11.30 बजे वे पुलिस स्टेशन से घर वापस आईं. सलीम ने हमें फोन पर इस घटना की जानकारी दी जिसके तुरंत बाद हमने सूर्या और एसएचओ शर्मा को इस बारे में फोन किया लेकिन दोनों ने हमारे फोन कॉलों का जवाब नहीं दिया. दूसरे दिन मैंने शर्मा से बात की. उन्होंने मूल मुद्दे पर शिकायत दर्ज करने की जरूरत पर ही सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा, “5 अगस्त की घटना में गलत क्या है? हर आदमी 5 अगस्त को ऐसा कर रहा था और हिंदू-मुसलमान दोनों इस इलाके में रहते हैं.”

शर्मा ने बताया कि एफआईआर दर्ज कराने के बारे में उन्होंने खान को कहा था, “मैडम, आपने हमें शिकायत दी है. हम अपनी टीम से इस शिकायत को वेरीफाई करेंगे लेकिन यहां कोई अपराध नहीं हुआ है. अगर कोई घर के बाहर झंडा लगाता है या दिया जलाता है या पटाखे फोड़ता है, तो यह कोई अपराध नहीं है.” शर्मा के दावे के वितरीत सांप्रदायिक नारेबाजी करना और शत्रुता का माहौल बनाना, धार्मिक शत्रुता को बढ़ावा देना अपराध की श्रेणी में आते हैं और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के तहत इनमें एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.

शर्मा ने इस बात से इनकार किया कि पुलिस ने महिलाओं पर हमला किया था या उनका यौन उत्पीड़न किया था. उन्होंने कहा, “उनके आरोप गलत हैं.” उन्होंने यह भी दावा किया कि हमले के वक्त वह स्वयं पुलिस स्टेशन में मौजूद थे. हालांकि, खान ने बताया था कि उन्होंने उससे बात करने के लिए उन्हें फोन किया था. शर्मा ने इस घटना के लिए औरतों पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “यह उनकी गलती है. ये लोग स्टेशन आए और बेकार ही इसका मुद्दा बना दिया और दावा करने लगीं की एसएचओ और स्टाफ ने उनके साथ बदतमीजी की. वे लोग ऐसे क्यों करेंगे? पहली बात तो 11 बजे रात को पुलिस स्टेशन आने की क्या जरूरत थी? आप ही हमें बताओ.” जब हमने शर्मा को यह बताया कि औरतें रात 9 बजे पुलिस स्टेशन आई थीं तो वह थोड़े हिचकिचाए. डीसीपी सूर्या ने व्हाट्सएप पर भेजे लिखित सवालों का जवाब हमें नहीं दिया.

8 अगस्त की घटना के बाद शन्नो के परिवार के लोगों का स्थानीय पुलिस पर बहुत कम एतबार रह गया है. सलीम ने हमें बताया कि बंदूक दिखाकर फोन लूटने से ज्यादा चिंता अब हो रही है. उन्होंने कहा कि वह शन्नो के साथ पुलिस स्टेशन इसलिए नहीं गए क्योंकि उन्हें डर था कि मर्दों के साथ पुलिस क्या करेगी. “अगर उन लोगों ने औरतों के साथ ऐसा किया है, तो आप समझ सकते हैं कि हमारे साथ वह क्या करती.” खान ने घटना के बाद उनके अंदर जो गुस्सा और निराशा है उसके बारे में बताया. उन्होंने कहा, “पुलिस स्टेशन में बूढ़े और जवान लोग थे और वे सब लोग हमारे साथ धक्कामुक्की कर रहे थे. उन लोगों ने हमें बंदूक की नोक पर वहां से लौट जाने की धमकी दी. जब हमें वहां से चले जाने को कहा जा रहा था, तो वे लोग ठहाके लगा रहे थे.”

शन्नो ने कहा, “ये पुलिस वाले गिद्ध हैं. उनके अंदर इंसानियत नहीं है. ये लोग औरतों की हिफाजत करेंगे? ये लोग उनकी इज्जत लूट लेंगे. अरे मौका हाथ लगते ही औरतों पर हाथ मारेंगे. इन्हें इतनी भी तमीज नहीं है कि एक लड़की से कैसा बर्ताव करना चाहिए. अगर तुम मर्द हो तो मर्दों से लड़ो. औरतों पर हाथ डालकर कौन सी मर्दानगी दिखा रहे हो.”