3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया शहर के पास गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के एक काफिले की कारों ने किसान आंदोलनकारियों को कुचल दिया जिसमें कम से कम चार किसानों की मौत हो गई. आंदोलनकारी किसानों ने आरोप लगाया कि टेनी के बेटे आशीष इस हिंसा का नेतृत्व कर रहा था. उसने और उसके लोगों ने किसानों को अपनी एसयूवी गाड़ियों से बेरहमी से रौंद दिया. हमले से गुस्साए किसानों ने उन दो गाड़ियों में आग लगा दी जिनसे किसानों को रौंदा गया था. अब तक कुल आठ लोगों की मौत हो चुकी है. हमले में चार किसानों की मौत हो गई जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. मरने वालों में बीजेपी के तीन कार्यकर्ता और एक वाहन का चालक भी शामिल है.
टेनी खीरी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं. कुछ दिन पहले जिले के पलिया शहर में हुए एक कार्यक्रम में किसानों ने काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया जिसके बाद टेनी ने एक धमकी भरा भाषण दिया था : "सुधर जाओ नहीं तो हम सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा बस.”
कल घटना के कुछ घंटे बाद टेनी ने मीडिया को एक वीडियो जारी किया जिसमें इस बात से इनकार किया कि उनका बेटा घटनास्थल पर मौजूद था. उन्होंने किसान आंदोलनकारियों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और ड्राइवर की हत्या करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि आंदोलनकारियों ने काफिले पर पथराव किया जिससे कारें बेकाबू हो गईं. टेनी ने कहा, "अगर मेरा बेटा वहां होता, तो वह जिंदा नहीं निकलता." उन्होंने मांग की कि इसके लिए जिम्मेदार आंदोलनकारियों पर हत्या का आरोप लगाया जाए.
मरने वालों किसानों में 60 वर्षीय नक्षत्र सिंह, 20 वर्षीय लवप्रीत सिंह, 19 वर्षीय गुरविंदर सिंह और 35 वर्षीय दलजीत सिंह शामिल हैं. नक्षत्र धौरहरा अनुमंडल के एक गांव में और लवप्रीत लखीमपुर खीरी जिले के पलिया कलां गांव के थे. गुरविंदर और दलजीत बहराइच जिले के नानपारा अनुमंडल के रहने वाले थे. मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं और चालक की पहचान नहीं हो पाई है.
संयुक्ता किसान मोर्चा ने घटना के कुछ घंटों के भीतर एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस की. मोर्चा ने टेनी की बर्खास्तगी और मंत्री और उनके बेटे और साथ ही साथ उसके अन्य सहयोगियों पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की. शाम को जारी एक प्रेस नोट में संयुक्त किसान मोर्चा ने हमले को "क्रूर और अमानवीय" बताया. नोट में कहा गया है कि घटना में स्थानीय किसान तजिंदर सिंह विर्क गंभीर रूप से घायल हो गए. "मोर्चा ने उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेताओं को राज्य के किसानों को भड़काना छोड़ देने की भी चेतावनी दी है."
विरोध प्रदर्शन में शामिल ऋचा सिंह ने घटनाक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि किसान तिकुनिया के पास इकट्ठा हुए थे क्योंकि टेनी और उत्तर प्रदेश के के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य गांव में एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे. किसानों ने मार्च किया और उस हेलीपैड को घेर लिया जिस पर मौर्य का हेलीकॉप्टर उतरना था. 3 अक्टूबर की दोपहर को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में आंदोलनकारी किसानों को हेलीपैड तक मार्च करते, नारेबाजी करते और काले झंडे पकड़े देखा जा सकता है. "एक ट्रैक्टर को हमने मंच बना लिया था. यह बहुत शांतिपूर्ण था, हम बस अपनी बात रख रहे थे. कई जिलों से लोग आए थे.'
ऋचा बताती हैं कि स्थानीय नेता विर्क सहित कुछ किसानों ने पुलिस और जिला प्रशासन के सदस्यों से मौर्य के आने का रास्ता बदलने के लिए कहा, क्योंकि सभा का उद्देश्य हेलीकॉप्टर को उतरने से रोकना था. "हमने कहा कि हम नए रूट पर उनके पीछे नहीं जाएंगे. हमें बस अपना विरोध दर्ज कराना है." उन्होंने कहा कि और जब यह साफ हो गया कि मौर्य हेलीकॉप्टर से नहीं आएंगे, तो आंदोलनकारी भी अपना कार्यक्रम समेटने लगे. “दोपहर 2.15 तक दूर-दराज के जिलों से आए किसान जाने लगे थे.”
ऋचा ने बताया कि जब किसान वापस लौट रहे थे तो बीजेपी का झंडा लगी गाड़ियां आ गईं. "अजय मिश्रा का बेटे आशीष दस-पंद्रह लोगों के साथ बीजेपी का झंडा लगी कुछ गाड़ियों में वहां पहुंचा. उन्होंने सड़क के किनारे चल रहे जवान-जवान आंदोलनकारियों को अपनी कारों से कुचल दिया. दूसरे आंदोलनकारियों को कुचलते हुए, गाड़ियां सड़क से खेतों में निकल गईं. उन्होंने कहा कि इससे किसान गुस्से में आ गए और हंगामा शुरू हो गया. आखिरकार आंदोलनकारियों ने गाड़ियों को घेर लिया और दो कारों में आग लगा दी. ऋचा ने कहा कि कारों में से कुछ लोग भाग गए. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो से यह भी पता चलता है कि किसान आंदोलनकारियों ने कारों में बैठे बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला किया और उनकी पिटाई की.
एक अन्य आंदोलनकारी किसान क्रांति सिंह वहीं मौजूद थे. उन्होंने भी कहा कि आशीष ने आंदोलनकारियों के खिलाफ हिंसा शुरू की. क्रांति ने आगे दावा किया कि घटना स्थल पर कई लोगों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को गोलियां चलाते हुए भी देखा था. घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए एक अन्य किसान ने भी आरोप लगाया कि आशीष और उसके आदमियों ने किसानों पर गोलियां चलाईं. हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, "पुलिस ... ने इस बात से इनकार किया कि आंदोलनकारियों पर गोली चलाई गई थी." क्रांति ने कहा कि विर्क के घायल होने के कारण, किसान औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज कराने से पहले टिकैत के आने का इंतजार कर रहे थे.
"यह बहुत भयानक था," अस्पताल में मौजूद ऋचा ने कहा. "मैंने दो नौजवानों को मरते देखा - एक की मौके पर ही मौत हो गई और दूसरे ने अस्पताल में दम तोड़ा." उन्होंने आगे कहा, "इसमें कोई दो राय नहीं कि एक सुनियोजित तरीके से इन कारों ने उन आंदोलनकारियों को रौंद दिया जो सिर्फ काला झंडा दिखाकर शांतिपूर्वक विरोध कर रहे थे."
किसान आंदोलन में शामिल और लखीमपुर खीरी के ही रहने वाले वकील-एक्टिविस्ट आशीष पटेल के अनुसार कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. “उन्होंने सीधे किसानों को रौंदा. कई लोगों के हाथ और पैर टूट गए हैं.” उन्होंने कहा कि अपने पहले के एक भाषण में टेनी ने किसानों को धमकाया था जिसे लेकर किसान पहले से ही नाराज थे. इसके खिलाफ वह अपना विरोध दर्ज कराना चाहते थे. उन्होंने कहा, “यह संवैधानिक अधिकारों का हनन है.”
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रेस बयान में कहा गया है कि समूह के विभिन्न नेता 3 अक्टूबर की शाम को लखीमपुर खीरी के लिए निकल गए थे. किसान नेता राकेश टिकैत भी उसी शाम मौके पर रवाना हो गए. समाचार रिपोर्टों के अनुसार, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, पंजाब में कांग्रेस प्रशासन के सदस्यों के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं सहित कई अन्य राजनीतिक नेता 4 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी पहुंचने वाले हैं. यूपी पुलिस ने प्रियंका को जिले में पहुंचने से पहले सुबह-सुबह हिरासत में ले लिया.
हमले के तुरंत बाद यूपी पुलिस ने इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया. देर रात यूपी पुलिस ने इस घटना को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताते हुए एक ट्वीट किया और कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इलाके में पहुंच गए हैं. इस बीच लखीमपुर खीरी में किसानों पर हो रही हिंसा के खिलाफ राज्य के अन्य हिस्सों और हरियाणा में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 3 अक्टूबर की शाम से ही सरकार ने लखीमपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है.