10 मई की रात पंजाब के लुधियाना के माछीवाड़ा के राहों कस्बे को जोड़ने वाली सड़क पर 35 वर्षीय किसान और पूर्व पत्रकार सनप्रीत सिंह मंगत मृत अवस्था में पाए गए. सनप्रीत का शव उनके पिता बलवंत सिंह को मिला और पंजाब पुलिस ने कुछ घंटों के भीतर मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की. प्राथमिकी में दावा किया गया है कि बलवंत ने बताया है कि उनके बेटे की मौत एक "अज्ञात वाहन चालक" के "अज्ञात वाहन" से हुई "दुर्घटना" में हुई. लेकिन बलवंत ने कहा कि सनप्रीत की मौत के बाद उन्होंने खून से लथपथ हालत में शव पाया, इस दावे को खारिज करता है. उन्होंने मुझे बताया कि पुलिस उन्हें समझाने की कोशिश करती रही कि सनप्रीत की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. अगले दिन पोस्टमार्टम से पता चला कि सनप्रीत को कम से कम 13 बार चाकू मारा गया था और पांच दिन बाद पुलिस ने एफआईआर में सूचीबद्ध अपराधों में हत्या भी जोड़ा.
शुरुआती एफआईआर के साथ अन्य बहुत से कारण हैं जिनके चलते सनप्रीत के परिजन पुलिस जांच पर सवाल उठा रहे हैं. 23 मई को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में पुलिस ने कहा कि उसने सनप्रीत की हत्या के आरोप में छह युवकों को पकड़ा था और उन्होंने अपराध को कबूल कर लिया है. प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया है कि हमलावर सड़क पर चलते हुए हथियारों से लैस और भड़के हुए थे और उनकी नीयत राहचलते लूटपात करने की थी. विज्ञप्ति में कहा गया कि छह लोगों ने कबूल किया है कि उन्होंने सनप्रीत से एक चांदी की चेन चुराई थी.
लेकिन बलवंत ने कहा कि उनका बेटा इस तरह की कोई चेन पहनता ही नहीं था. नाम जाहिर ना करने का अनुरोध करते हुए सनप्रीत के मामा ने कहा कि नोवल कोरोनोवायरस का मुकाबला करने के लिए जारी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में नशे में धुत्त आदमियों के लिए मुख्य सड़क में यात्रा करने वाली बात बहुत अजीब है. परिवार ने कहा कि भले ही पुलिस ने असली अपराधियों को गिरफ्तार किया हो लेकिन पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं जिससे उन्हें दोषी ठहराया जा सके- आपराधिक प्रक्रिया के अनुसार, अदालत में पुलिस का कबूलनामा स्वीकार्य नहीं है.
परिजनों के अनुसार सभी नहीं तो कम से कम कई ऐसे संकेत हैं जो बताते हैं पुलिस ने हड़बड़ी और बेमन से हत्या की जांच की. परिजनों ने कहा कि पुलिस अनावश्यक रूप से उस मामले की सामने ला रही है जिसमें सनप्रीत को झूठमूठ में फंसाया गया था. वह मामला खसखस (पोस्त की भूसी) के परिवहन से संबंधित था. उन्होंने दावा किया कि पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने के दबाव को कम करने के लिए सनप्रीत को ही बदनाम करने की कोशिश कर रही है. पुलिस इस बात को भी नजरअंदाज करती दिखी कि एक पत्रकार के रूप में सनप्रीत ने अवैध रेत खनन पर रिपोर्टें लिखीं थी. परिवार और सनप्रीत काम परिचित लोगों ने कहा कि पुलिस को यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या हत्या का इससे कोई संबंध था. जांच में इन खामियों के कारण सनप्रीत के मामा ने कहा कि परिवार एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा हत्या की उच्च-स्तरीय जांच की मांग करेगा.
सनप्रीत अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति थे. उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे है. उनकी मौत की खबर फैलने के बाद, एसबीएस नगर में उनके दोस्तों और पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर सनप्रीत की मौत पर शोक व्यक्त किया. वह एक "निडर" रिपोर्टर थे, उनमें से एक ने कहा. सनप्रीत के मामा ने भी उन्हें एक ऐसा रिपोर्टर बताया, "जिसने कई लोगों के गलत धंधे उजागर किए." उन्हें जानने वाले दो पत्रकारों ने मुझे बताया कि यह संभव है कि उनकी रेत खनन की रिपोर्टों के कारण उनकी हत्या कर दी गई थी.
मैंने जिन लोगों से सनप्रीत के बारे में बात की उन्होंने जोर देकर कहा कि सनप्रीत एक ईमानदार पत्रकार थे और इसके लिए उन्हें दो बार जेल भी भेजा गया था. अप्रैल 2017 में जब वह हिंदी अखबार दैनिक जागरण के साथ काम कर रहे थे, तब पंजाब पुलिस ने मच्छीवाड़ा में 20 किलोग्राम पोस्त की भूसी की ढुलाई में उनकी भागीदारी के लिए उन पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 के तहत आरोप लगाया था. "उन्होंने एक महीने से भी ज्यादा समय जेल में बिताया," उनके ममेरे भाई ने कहा. उन पर मार्च 2019 में फिर से एनडीपीएस के तहत 7 किलोग्राम पोस्त की भूसी की ढुलाई का मामला दर्ज किया गया जिसके बाद उन्होंने एक और महीना जेल में बिताया. सनप्रीत के परिवार ने दावा किया कि वह दोनों मामलों में गिरफ्तार होने वाला एकमात्र व्यक्ति था और इससे उनकी बेगुनाही का संकेत मिलता है. उनके ममेरे भाई ने कहा, "जांच, ऐसी लगती है, जैसे शुरू हुई और खत्म हो गई."
अपनी पहली गिरफ्तारी के बाद सनप्रीत ने पत्रकारिता छोड़ दी. सनप्रीत को जानने वाले एक पंजाबी दैनिक के पत्रकार ने कहा, "उन्होंने हमारे साथ (साथी पत्रकारों) बातचीत करना बंद कर दिया और बस खेती पर ध्यान देने लगे. तीन साल तक वह इसी तरह कड़ी मेहनत से खेती करते रहे. "
10 मई को सनप्रीत अपने खेतों में काम कर रहे थे. उनके पिता ने मुझे बताया कि सुबह करीब 6 बजे बलवंत और सनप्रीत अपने घर से करीब 5 किलोमीटर दूर सेखन मजारा गांव में अपने खेतों में गए थे. बलवंत शाम 5.30 बजे तक घर लौट आए जबकि उनका बेटा काम खत्म करने के लिए रुक गया. बलवंत ने मुझे बताया कि उस रात को "उसे अपनी मां को फोन पर बताते हुए सुना था कि वह गढ़ी मोड़ के आसपास है. वह जो हमारे घर से थोड़ी ही दूरी पर है." गढ़ी मोड़ और उनके घर के बीच की दूरी लगभग 2 किलोमीटर थी. "जब वह नहीं पहुंचा, तो हमने उसे फोन करना शुरू कर दिया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. मैंने अपनी बाइक निकाली और खेतों में पहुंच गया. वह मुझे वहां नहीं मिला. "रास्ते में वापस लौटते हुए, मैंने खून से लथपथ उसकी लाश देखी." बलवंत ने कहा यह रात 10 बजे के आसपास हुआ. जल्द ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और वह उन्हें राहों पुलिस स्टेशन ले गई.
सनप्रीत के चचेरे भाई जसदीप सिंह, जो माछीवाड़ा के रहने वाले हैं, ने कहा कि वह सुबह करीब 5 बजे हत्या स्थल पर पहुंचे. तब तक सनप्रीत का शव वहां से ले जाया जा चुका था. उन्होंने कहा कि जिस जगह पर उनका शव मिला है उसकी जांच के लिए पुलिस उत्सुक नहीं थी. "पुलिस ने अपराध स्थल को भी सील नहीं किया," जसदीप ने कहा. उन्होंने आगे बताया कि अगले कुछ दिनों में ही उन्होंने वहां कुछ लोगों को "अपने मवेशियों को चरते हुए देखा".
मौत की एफआईआर में पुलिस ने सनप्रीत के दिन का पूरा चार्ट बनाया और बलवंत को जानकारी दी. पुलिस ने लिखा है, "अज्ञात वाहन चालक की लापरवाही के कारण लोहे की छड़ या पट्टियों से लदे एक अज्ञात वाहन की वजह से चोटें लगी हैं." पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 279 और 304-ए के तहत मुकदमा दर्ज किया, जो लापरवाही से ड्राइविंग करने और मौत का कारण बनने पर लगाई जाती है. बलवंत ने हालांकि, मुझे बताया कि उन्होंने यह नहीं कहा था कि उनके बेटे की मृत्यु एक दुर्घटना के कारण हुई. वास्तव में, उन्होंने कहा, "10 मई की रात से लेकर अगले दो दिनों तक, एसएचओ और अन्य अधिकारियों ने हमें जबरन समझाने की कोशिश की कि यह एक दुर्घटना थी."
यह स्पष्ट नहीं है कि एसएचओ सुभाष बाथ ने इसे दुर्घटना बताने पर क्यों जोर दिया. एसबीएस नगर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अलका मीणा ने मुझे बताया कि जब मौत हुई तो बाथ ने उन्हें इसकी सूचना नहीं दी. उन्होंने कहा कि जब इस बारे में 11 मई को उन्होंने बाथ से पूछा, "उन्होंने कहा कि देर हो गई थी और उन्होंने दुर्घटना के बारे में डीएसपी (हरनैल सिंह) को सूचित कर दिया था." मीणा ने कहा," कुछ पत्रकारों द्वारा संपर्क किए जाने के बाद तस्वीरें और अन्य विवरण सुनने पर, मैंने निष्कर्ष निकाला कि यह एक दुर्घटना से बढ़कर कुछ था. ”
मीणा ने कहा कि उन्होंने पोस्टमार्टम बोर्ड से मामले को देखने के लिए कहा. 11 मार्च की अपनी रिपोर्ट में, बोर्ड ने चोटों का कारण "तेजधार हथियार" बताया. सनप्रीत के शरीर पर छुरा भोंकने के 13 घाव थे और एक घाव काटने का था और कुछ मिनटों के भीतर अपनी चोटों के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया था. परिवार ने 12 मई को रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अस्पताल ने 16 मई की शाम को जाकर उन्हें रिपोर्ट दी, सनप्रीत के ममेरे भाई ने मुझे बताया.
रिपोर्ट प्राप्त करने से पहले ही, सनप्रीत के परिवार ने महसूस किया कि ऐसा नहीं लगता था कि उनकी मौत दुर्घटना में हुई थी. 14 मई को बलवंत ने मीणा को लिखे पत्र में लिखा था कि जब पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर रही थी, “मैं सदमे में था और अपने इकलौते बेटे और परिवार के एक मात्र कमाने वाले की मौत के तुरंत बाद खुद को संभाल पाना मुश्किल था. इसके अलावा जिस पुलिस अधिकारी ने थाने में एफआईआर दर्ज की है वह यही दोहराता रहता है कि यह एक सड़क दुर्घटना है.”
पत्र में बलवंत ने छह बिंदुओं को सूचीबद्ध किया जिनसे पता चला कि मौत का कारण "सड़क दुर्घटना नहीं थी." इनमें शामिल था कि "किसी भी तरह की वाहन की टक्कर या टूट-फूट या घिसटने के सुराग नहीं थे" और सनप्रीत की मोटरसाइकिल "साइट पर साइड स्टैंड पर खड़ी थी और किसी भी वाहन के टक्कर मारने या आमने-सामने टकराने के कारण कोई क्षति नहीं हुई है."
बलवंत ने लिखा है कि घटना स्थल सीधी सड़क पर है जहां लोहे की शहतीरों से बाड़ाबंदी है. "सड़क दुर्घटना केवल सामने आने वाले वाहन से या पीछे से टक्कर लगकर हो सकती है लेकिन मोटरसाइकिल को देखकर ऐसा नहीं लगता कि टक्कर/दुर्घटना हुई हो." उन्होंने कहा, '' सड़क किनारे लगी लोहे की बाड़ में खून के धब्बे थे, जिससे पता चलता है कि मृतक अपने पैरों पर खड़ा था. बाड़ पर खून सनी उंगलियों के निशान उनके गिरने के बारे में बताते हैं.”
इन टिप्पणियों के आधार पर, बलवंत ने लिखा, अपराध दृश्य का अध्ययन फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा किया जाना चाहिए, कॉल रिकॉर्ड और स्थान-ट्रैकिंग मोबाइल डेटा को जांच का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. “घटना स्थल दो फिलिंग स्टेशनों के बीच पड़ता है. इन फिलिंग स्टेशनों और घटना स्थल के दोनों तरफ पुलिस अवरोधों के सीसीटीवी फुटेज को जांच का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. उन्होंने उल्लेख किया कि क्या मौत का कारण दुर्घटना थी इसे लेकर लोगों ने सोशल मीडिया में सवाल उठाए. “सोशल मीडिया कमेंट्री से पता चलता है कि बालू माफिया की संलिप्तता हो सकती है, उन्होंने ड्रग माफिया के खिलाफ खबरें कीं, जिन्होंने उन्हें एक मामले में फंसाया. इस टिप्पणी को जांच का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. ” उन्होंने कहा, "ये हालात घटना में शामिल कुछ धोखाधड़ी की ओर इशारा करते हैं."
14 मई को पंजाब की एक मानवाधिकार संस्था, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स, ने मौत पर एक रिपोर्ट जारी की जिसमें दोहराया गया कि सनप्रीत की मौत किसी दुर्घटना के कारण नहीं हो सकती है. एएफडीआर की तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंद टीम ने अपराध स्थल का दौरा किया था. इसके अतिरिक्त, एएफडीआर की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, “मृत व्यक्ति के हाथों में टिफिन इत्यादि रखने वाला बैग अभी भी भिंचा हुआ था. सड़क दुर्घटना के मामले में उसकी हाथ की पकड़ ढीली हो जाती और ऐसी परिस्थितियों में हाथों में बैग को पकड़े रहना संभव नहीं होता.” रिपोर्ट में कहा गया है, यह देखते हुए कि सनप्रीत एक मुखर संवाददाता थे, "खनन और ड्रग माफिया की रिपोर्टिंग के साथ किसी भी संबंध के पहलू को उनकी मृत्यु के कारणों को जानने के लिए देखा जाना चाहिए." एएफडीआर के प्रेस सचिव बूटा सिंह, जो इसकी तथ्य-खोज टीम का हिस्सा थे, ने मुझे बताया कि पुलिस की लापरवाही के पीछे के कारण की भी जांच होनी चाहिए.
जब मैंने 18 मई को बलवंत के पत्र के बारे में मीणा से पूछा, तो उन्होंने बताया कि उन्हें यह अभी कुछ दिन पहले मिला है. उन्होंने कहा कि उन्होंने बाथ का निलंबित कर दिया और डीएसपी के खिलाफ विभागीय जांच का आदेश दिया है. 17 मई को पुलिस ने हत्या के अपराध को एफआईआर में शामिल कर लिया था. उन्होंने कहा कि यह मामला पंजाब पुलिस की अपराध-जांच एजेंसी की तीन सदस्यीय टीम को स्थानांतरित किया जा चुका है.
23 मई को जिला पुलिस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उन्होंने छह लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने कबूल किया कि उन्होंने सनप्रीत की हत्या की. आरोपी जगदीप सिंह, बख्शीश सिंह, हर्ष, जनित कुमार, हरजिंदर सिंह और कमलजीत सिंह की उम्र 18 से 24 साल के बीच है. उसी दिन, मैंने सीआईए टीम के एक इंस्पेक्टर दलबीर सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि उनकी बाइक और एक खंजर सहित दो हथियार बरामद हुए हैं. दलबीर ने कहा, "पुलिस ने अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आरोपियों को चार दिन के रिमांड में लिया है. आरोपियों ने छीना-झपटी की कई घटनाओं को अंजाम देने की बात कबूल की लेकिन हमें इस संबंध में कोई भी मामला दर्ज होने की जानकारी नहीं है." इस मामले में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, हत्या की रात अपराधी शराब और भांग के नशे में थे. वे दो बाइक पर सवार होकर माछीवाड़ा-राहों सड़क से जा रहे थे ताकि उन्हें कोई ऐसा मिल सके जिसे लूटा जा सके. जब उन्होंने सनप्रीत को देखा, तो उन्होंने उसका रास्ता रोक लिया और उसे घेर लिया. सनप्रीत जब अपने पैरों पर खड़ा था आरोपियों ने उन्हें दो बार मारा, जब वह गिर गए तो उसके बाद वे सनप्रीत को जान से मारने के लिए मारते रहे. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, "पूछताछ के दौरान, अभियुक्तों ने यह भी स्वीकार किया कि ना तो सनप्रीत से उनकी किसी तरह की कोई नाराजगी या गुस्सा था और ना ही मृतक से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी." प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है उनका “एकमात्र उद्देश्य लूटना” था. पुलिस ने विज्ञप्ति में लिखा है कि उनके "अथक प्रयासों" के कारण मामला सुलझ गया है. लेकिन प्रेस विज्ञप्ति इसका जिक्र नहीं करती कि शुरुआती एफआईआर में मामले को दुर्घटना बताकर क्यों खारिज कर दिया गया था.
सनप्रीत के पिता ने प्रेस विज्ञप्ति में एक स्पष्ट कमी देखी. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि आरोपियों ने 15000 रुपए, एक चांदी की चेन और सनप्रीत के बटुए को चुराना स्वीकार किया पर पुलिस ने यह उल्लेख नहीं किया कि क्या उसने आरोपी से ये सामान बरामद किया है. लेकिन बलवंत ने मुझे बताया कि प्रेस विज्ञप्ति जारी होने से एक दिन पहले, पुलिस उनके घर आई थी. “हमें पुलिस ने आरोपियों के पास से बरामद एक चांदी की चेन की पहचान करने के लिए कहा था, जो कि सनप्रीत ने पहनी हुई थी. लेकिन सनप्रीत ने कभी किसी तरह की चेन नहीं पहनी. ”
पंजाबी दैनिक में काम करने वाले पत्रकार और सनप्रीत के ममेरे भाई जसदीप ने बताया कि उन्हें पुलिस के स्पष्टीकरण पर संदेह है कि लूट के कारण सनप्रीत की मौत हुई थी. जसदीप ने पूछा, "वे किस तरह के चेन स्नेचर थे जिन्होंने उसकी बाइक या घड़ी और मोबाइल फोन लूटने की जहमत नहीं उठाई?" जसदीप ने कहा, "इलाके में लॉकडाउन के बीच कैसे कोई गश्ती दल या नक्खास (पुलिस चेक पोस्ट) नहीं था?" सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 10 मई की शाम 6 बजे तक एसबीएस नगर में कोरोनावायरस के 84 सक्रिय मामले थे और पंजाब में नोवेल कोरोनवायरस के पहले पहल मामले इस जिले में सामने आए थे. ममेरे भाई जसदीप ने कहा कि अगर आरोपी लॉकडाउन के दौरान मुख्य सड़क पर आस-पास घूम रहे थे तो पुलिस को खुद ही मानना चाहिए कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही.
परिवार ने कहा कि अगर पुलिस ने सही दोषियों को गिरफ्तार कर भी लिया था तो अब आरोपियों को दोषी ठहराया जाना मुश्किल होगा. “कोई भी कैसे साबित करेगा कि वे उस दिन नशे में धुत थे? इसे लगभग दो सप्ताह हो गए हैं. पुलिस ने जो छूरा बरामद किया अगर वह वास्तव में हत्या के लिए इस्तेमाल किया गया था तो इतने दिनों तक तो वह आरोपियों के कब्जे में था. यदि कोई सबूत होगा भी तो अब तक नष्ट हो गया होगा और अदालत में किसी काम का नहीं होगा,” उन्होंने कहा. ममेरे भाई ने कहा, "अगर पुलिस ने इसे एक दुर्घटना के मामले के रूप में खारिज करने की कोशिश नहीं की होती, तो जिन अभियुक्तों को 13 दिनों के बाद गिरफ्तार किया गया उन्हें उसी दिन गिरफ्तार कर लिया जाता."
मैंने मीणा से सनप्रीत के ममेरे भाई की गई चिंताओं के बारे में पूछा तो उन्होंने व्हाट्सएप में जवाब दिया, "सब कुछ क्रिस्टल क्लियर है, कोई संदेह नहीं बचा है, प्लीज."
परिवार को इससे भी निराशा हुई कि जांच के दौरान पुलिस रेत खनन पर सनप्रीत के काम को नजरअंदाज करना चाहती थी, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ एनडीपीएस मामलों को उजागर किया. प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की गई कि छह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनके खिलाफ एनडीपीएस मामलों का भी उल्लेख किया गया था. "वास्तव में, हर बार जब हम पुलिस अधिकारियों से मिले, तो हमें इन मामलों की याद दिलाई गई, भले ही उनका हत्या से कोई संबंध ना हो," उनके ममेरे भाई ने कहा. "हम समझते हैं और महसूस करते हैं कि यह उसकी साख को खराब करना है और पुलिस की निष्क्रियता से ध्यान हटाता है और हमें लगता है कि इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए."
बंगा से विधान सभा के सदस्य सुखविंदर कुमार सुखी के एक बयान ने यह भी सुझाव दिया कि पुलिस सनप्रीत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण हो सकती है. सुखी ने उल्लेख किया कि उन्होंने सनप्रीत के मामले के बारे में मीणा से बात की थी. "उन्होंने हमें बताया कि वह एक अपराधी किस्म का आदमी था और यहां तक कि जिस दिन उसकी हत्या हुई थी, वह कहीं से डोडे (पोस्त की भूसी) लाया था", उन्होंने कहा. "अगर उसके पास पोस्त की भूसी थी, तो वह अब कहां है?" सुखी ने कहा कि यह बातचीत 22 मई को हुई थी. लेकिन अगले दिन प्रकाशित होने वाली प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि हत्या के समय उसके पास पोस्त की भूसी थी.
"यहां तक कि अगर कोई अपराधी है, तो क्या इसका ये मतलब है कि लोग उसे अपने दम पर, सड़क पर सजा दे सकते हैं?" सुखी ने कहा. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि मौत अवैध रेत खनन से जुड़ी है. "आज भी, हमारे जिले में बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है और कोई भी इसे रोक नहीं रहा है." उन्होंने कहा कि उन्होंने एसएसपी से पूछा कि क्या यह सनप्रीत की मौत का यह भी कारण हो सकता है, तो उन्होंने कहा कि नहीं. मैंने मीणा को फोन और मेसेज के जरिए सुखी के बयानों के बारे में उनकी राय जाननी चाहिए, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
यह मामला एसबीएस नगर के राजनीतिक प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करता है. 19 मई को आनंदपुर साहिब से संसद सदस्य मनीष तिवारी ने कहा कि उन्होंने पुलिस से मामले की गहराई से जांच करने का अनुरोध किया है. सुखी ने कहा, “इस हत्या के बारे में बहुत सारे सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं. हमारे जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है और हमारा एकमात्र अनुरोध इस हत्या के पीछे के सही कारणों की जांच करना है.”
मामले से जुड़े पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे हत्या की पूरी जांच कर रहे हैं. लुधियाना रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, जसकरन सिंह ने कहा, “संभावित संदिग्धों या लीड के साथ आगे वाले किसी भी व्यक्ति का स्वागत किया जाएगा. हम इसे तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएंगे.” एक अधीक्षक वजीर सिंह खैरा ने कहा कि हर मकसद की जांच की जा रही है. लेकिन परिवार को अब पुलिस पर बहुत कम भरोसा है. सनप्रीत के ममेरे भाई ने मुझसे कहा, "जिन पुलिसकर्मियों ने अपने कर्तव्य की अवहेलना की है उन पर भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए."