5 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की 23 वर्षीय महिला को पांच लोगों ने उस वक्त जिंदा जला दिया जब महिला रायबरेली में चल रहे अपने बलात्कार के मामले की सुनवाई के बाद अदालत से बाहर आ रही थी. महिला ने पिछले साल दिसंबर में रायबरेली अदालत में दो लोगों पर उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था. आपराधिक मामले में कार्रवाई शुरू करने के लिए किए अपने आवेदन में महिला ने बताया था कि उन्नाव जिले के उसके गांव के रहने वाले शिवम त्रिवेदी ने रायबरेली लाकर उसके साथ बलात्कार किया, बलात्कार का वीडियो बनाया और इसके बाद कई बार उसका यौन शोषण किया. शिवम त्रिवेदी ने उसे धमकी दी की अगर वह इनकार करेगी तो उस वीडियो को सार्वजनिक कर देगा. महिला ने अदालत को बताया कि त्रिवेदी ने उसे रायबरेली के कमरे में एक महीने तक बंद रखा और वहां उसके साथ बार-बार बलात्कार किया. 12 दिसंबर 2018 को महिला ने आवेदन दायर किया कि शिवम और उसके दोस्त शुभम त्रिवेदी ने बंदूक की नोक पर उसका बलात्कार किया जिसके बाद उसने रायबरेली के लालगंज पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. शिकायत के आठ दिन बाद महिला ने पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत की लेकिन एसपी ने भी कार्रवाई चालू नहीं की. इसके बाद महिला ने जिला अदालत में आरोपी व्यक्तियों की जांच का निवेदन किया. मार्च 2019 में कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने आरोपी दो लोगों के खिलाफ एफआईआर दायर की. लेकिन पुलिस और न्यायपालिका महिला को इंसाफ नहीं दे सके.
आरोपी शिवम को हिरासत में लिए जाने के 2 महीने बाद, 25 नवंबर 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जमानत पर रिहा कर दिया. पुलिस ने मीडिया को बताया है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही शिवम फरार चल रहा था. 10 दिन बाद जब महिला अदालत में सुनवाई के लिए आई तो शिवम, उसके पिता राम किशोर, शुभम और उसके पिता हरिशंकर और इन लोगों के एक साथी उमेश वाजपेयी ने हिंदू नगर के रेलवे स्टेशन में उस पर हमला कर दिया और मिट्टी का तेल डालकर उसे जला दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, जलती हुई वह महिला एक किलोमीटर तक चलती रही. 6 दिसंबर की रात 11.40 में, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसकी मौत हो गई.
उन्नाव जिले में की यह दूसरी घटना है जो राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में है. यह घटना हैदराबाद की पशु चिकित्सक के बलात्कार और आग लगाकर हत्या करने के थोड़े ही दिन बाद की है. लेकिन उन्नाव के दोनों मामलों में देखी गई प्रतिक्रियाएं, पुलिस और जनता की, हैदराबाद वाले मामले से एकदम उल्टी हैं. हैदराबाद वाले मामले में पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के दो दिनों के अंदर ही आरोपियों को पकड़ा लिया था लेकिन उन्नाव के मामले में रायबरेली जिला अदालत से आदेश होने तक पुलिस ने त्रिवेदियों के खिलाफ दर्ज शिकायत पर कार्रवाई नहीं की थी. भारतीय जनता पार्टी के विधायक कुलदीप सेंगर पर 17 साल की लड़की के साथ बलात्कार करने का आरोप लगने के लगभग एक साल बाद, अप्रैल 2018 में गिरफ्तार किया गया. दोनों मामलों के आरोपियों की सामाजिक पृष्ठभूमि अलग-अलग है. हैदराबाद मामले के आरोपी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के थे, लेकिन त्रिवेदी ब्राह्मण हैं और सेंगर ठाकुर.
इस साल जुलाई में जब सेंगर के खिलाफ शिकायत करने वाली महिला अपने वकील और चाची और मौसी के साथ रायबरेली आ रही थी, तो उनकी कार एक ट्रक से टकरा गई. इस घटना में उसके दोनों रिश्तेदारों की मौत हो गई और शिकायतकर्ता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा. अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सेंगर के खिलाफ चल रही सुनवाई 45 दिन के अंदर पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन यह केस अब तक चल रहा है. उन्नाव के दोनों ही मामले उत्तर प्रदेश सरकार की कानून और व्यवस्था के दावों की पोल खोल देते हैं.
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