"लखीमपुर खीरी हिंसा में मुझे जान बूझकर निशाना बनाया गया था", किसान नेता तजिंदर सिंह विर्क

16 October, 2021

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले 48 वर्षीय तजिंदर सिंह विर्क ने आरोप लगाया है कि उस दिन प्रदर्शनकारियों को कुचलने वाली गाड़ियों के निशाने पर वह भी थे. 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के काफिले की गाड़्यों ने विर्क सहित कई प्रदर्शनकारियों को कुचल दिया था. जिससे तजिंदर की खोपड़ी और शरीर पर कई फ्रैक्चर हुए हैं. विर्क ने कहा, “मैंने जो वीडियो देखी है उसमें सभी लोग बस 500 मीटर के दायरे में ही थे.  उन्होंने 400 मीटर तक लोगों पर गाड़ी चढ़ाई और आगे आकर उस जगह से टकराए जहां मैं खड़ा था. हमें कहां हिट करना है, यह देखने के लिए कुछ लोग अपनी थार जीप से बाहर देख रहे थे." घटना में विर्क बाल-बाल बच गए लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गए. अस्पताल में ईलाज कराने के दौरान उन्होंने कारवां से बात की. हमले से नाराज किसानों ने प्रदर्शनकरियों को कुचलने वाली दो गाड़ियों में आग लगा दी. इस हिंसा में चार किसान, भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ता, एक कार का ड्राइवर और एक पत्रकार सहित कुल आठ लोग मारे गए. और कई अन्य किसानों को चोटें आई थी. किसानों ने टेनी के बेटे आशीष मिश्रा पर प्रदर्शनकारियों को कुचलने वाले काफिले में शामिल होने का आरोप लगाया.

टेनी ने इस घटना में अपने बेटे के शामिल होने से इनकार किया, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ने आशीष को 9 अक्टूबर को हिरासत में ले लिया. सितंबर के आखिरी सप्ताह में जिले के पलिया शहर में एक अन्य कार्यक्रम में एक किसानों ने विरोध करते हुए टेनी को काले झंडे दिखाए थे. तब टेनी ने धमकी भरे भाषण में कहा था, "सुधार जाओ, नहीं तो हम आपको सुधार देंगे, दो मिनट लगेगा केवल." टेनी के इसी भाषण के जवाब में विर्क ने 3 अक्टूबर को, जब टेनी और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य जिले में एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे, एक विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था.

मूल रूप से उत्तराखंड के रुद्रपुर के रहने वाले विर्क संयुक्त किसान मोर्चा के उत्तर प्रदेश राज्य के समन्वयक और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की राष्ट्रीय समिति के सदस्य हैं. विर्क एक अन्य किसान संगठन तराई किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. मेरे यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है कि उन्हें निशाना बनाया गया है, तो विर्क ने कहा, "हां, निश्चित रूप से." विर्क के मुताबिक 3 अक्टूबर को सुबह करीब 9.30 बजे उस हेलीपैड पर भीड़ जमा होने लगी, जहां मौर्य का हेलीकॉप्टर उतरना था. उन्होंने बताया कि तीन घंटे के भीतर हजारों प्रदर्शनकारी उस जगह इकट्टा हो गए थे. लेकिन मौर्य का हैलिकॉप्टर उस जगह नहीं उतर सका और वह सीधे कार्यक्रम के स्थान पर ही पहुंचे. विर्क ने मुझे बताया कि जिस कार्यक्रम में मौर्य पहुंचे थे, वह उसी रास्ते पर था जहां विरोध प्रदर्शन हुआ था. और उस स्थान तक जाने का एक और रास्ता भी था. विर्क ने कहा कि किसानों का प्रदर्शन बेहद शांतिपूर्ण प्रदर्शन था. उन्होंने भाषण दिए जो लाउडस्पीकर पर प्रसारित किए गए और कुछ युवाओं ने काले झंडे लहराए. उन्होंने कहा, “बीजेपी के झंड़े लगी गाड़ियां समय-समय पर वहां से गुजरती रहीं. हम लाउडस्पीकरों से काले झंडे दिखाने वाले युवाओं को गाड़ियों को जाने देने की अपील करते रहे.हमने उनसे कहा हमारा मुख्य उद्देश्य डिप्टी सीएम की गाड़ी को रोकना था, जो हमने कर दिया. अगर बीजेपी के कार्यकर्ता हमारे विरोध में घुसपैठ कर दें और शांति भंग कर दें तो क्या होगा?”

दोपहर करीब दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं और किसानों की एक स्थानीय समिति ने प्रदर्शन समाप्त करने का फैसला किया. विर्क ने मुझे बताया कि एक पुलिस और जिला अधिकारी वहां पहुंचे और कहा कि वे उस सड़क से जाना चाहते हैं जिस पर प्रदर्शनकारी डिप्टी सीएम की गाड़ी को रोकने के लिए एकत्र हुए थे. किसान प्रतिनिधियों ने तब इन अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों की भीड़ ज्यादा होने के कारण अपना रास्ता बदलने के लिए कहा. विर्क ने मुझे आगे बताया कि दोपहर करीब 2.35 बजे अन्य जिला और पुलिस अधिकारियों ने उनसे यह पूछने के लिए संपर्क किया कि क्या किसान डिप्टी सीएम को कोई ज्ञापन देना चाहते हैं. विर्क ने बताया, "मैंने उनसे कहा कि हमारी मांगें सिर्फ डिप्टी सीएम तक सीमित नहीं हैं. वे केंद्र सरकार से संबंधित हैं और यह राज्य का मामला नहीं है.”

विर्क के मुताबिक अधिकारियों ने फिर कहा कि प्रोटोकॉल के मुताबिक डिप्टी सीएम को उसी रास्ते से जाना पड़ा जिस पर किसानों ने नहीं जाने के लिए कहा था. विर्क ने मुझे बताया, "हमने कहा कि भीड़ बहुत बड़ी है, हमने उन्हें समझाने की कोशिश की कि कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, इसलिए आप रास्ता बदल दें. अधिकारियों ने कहा कि 'क्या होगा अगर हम रास्ता बदल दें और आप वहां भी पहुंच जाएं?' तब हमने उनसे कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे." विर्क ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से दूसरा कार्यक्रम समाप्त हो जाने पर उन्हें सूचित करने के लिए कहा ताकि प्रदर्शन और कार्यक्रम एक ही समय में समाप्त न हो, जिससे बीजेपी कार्यकर्ता और किसान आमने-सामने न हों पाए." विर्क के अनुसार जिले के दूसरे अधिकारी ने कहा कि जब डिप्टी सीएम कार्यक्रम से चले जाएंगे तो वह हमें फोन करेंगे. "हम 10 मिनट तक उनके फोन का इंतजार करते रहे." फिर उन्होंने दोपहर करीब तीन बजे प्रदर्शन समाप्त करने का फैसला किया. विर्क के मुताबिक दोपहर ढाई बजे भीड़ में से एक अनजान शख्स ने उन्हें बताया कि उन्हें सड़क पर कोई बुला रहा है. वह हेलीपैड के पास स्थित अग्रसेन परिसर के एक गेट को पार करके सड़क पर पहुंचे. सड़क पर लगभग 500 मीटर की दूरी तक कई प्रदर्शनकारी मौजूद थे. विर्क ने मुझे बताया, “मैं रुद्रपुर के अन्य लोगों के साथ सड़क के बाईं तरफ पार्किंग की ओर जा रहा था, जहां हमारे वाहन खड़े थे. वहां मेरे सामने कुछ पांच या छह पत्रकार थे, जो मुझसे एक बाइट देने की मांग कर रहे थे. जब वह अपना कैमरा सैट कर रहे थे तभी मैंने पीछे से एक आवाज सुनी, मारो. मुझे लगता है कि उन्होंने कहा, 'मारो यही है वो.' तब मुझे कुछ समझ नहीं आया था कि क्या हुआ.”

उन्होंने आगे बताया, “मुझे लगता है कि जब मैं गाड़ी के टायर के बीच फंस गया था तब मुझे लगभग 20-30 मीटर तक घसीटा गया.”  उन्होंने कहा कि जिस थार ने उन्हें टक्कर मारी थी वह पानी से भरे एक गड्ढे में फंसने के बाद रुक गई. और उस गड्ढे के अंदर वह बेहोश हो गए. विर्क ने मुझे बताया जब उन्हें पांच या छह मिनट के बाद होश आया तब उन्हें चक्कर आ रहे थे. और वह खून और कीचड़ में लथपथ थे.

उन्होंने बताया कि उनके बाल खुल गए थे. हाथ में फ्रेक्चर हो गया था. दो लोगों ने किसी तरह उन्हें एक वाहन में लाद दिया. उसमें वह रिपोर्टर भी था जिसका हिंसा में हाथ टूट गया था. इसी बीच अफरातफरी मच गई. “मैं 'मारो, मारो' की आवाजे सुन सकता था. लोग इधर-उधर भाग रहे थे. गोलियों की आवाज आ रही थी. मुझे नहीं पता कि आवाजें कहां से आ रही थी क्योंकि मैं शायद ही होश में था. मुझे पीछे की सीट पर एक अन्य घायल व्यक्ति के साथ वाहन में ले जाया गया. शायद बाद में उनकी मृत्यु हो गई." विर्क ने बताया कि पहले उन्हें तिकुनिया शहर के एक छोटे अस्पताल में ले जाया गया जहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. वहां से उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए लखीमपुर के सरकारी अस्पताल पहुंचने में दो घंटे लग गए. और चार घंटे बाद वह रुद्रपुर के मेडिसिटी अस्पताल पहुंचे, जहां उनकी खोपड़ी में एक बड़ा फ्रैक्चर पाया गया और उनका इलाज किया गया. विर्क के कहा, "आखिरकार 13 घंटे बाद सुबह 4 बजे हरियाणा के गुड़गांव मे मेदांता पहुंच गया."

3 अक्टूबर के प्रदर्शन के आह्वान के बारे में बताते हुए विर्क ने कहा, “वहीं टेनी से मेरा पहली बार सामना हुआ था. मैं रुद्रपुर से हूं जो इस जगह से 250 किलोमीटर से अधिक दूर है.” उन्होंने मुझे बताया कि वह उस क्षेत्र के किसानों के अनुरोध पर लखीमपुर गए थे. विर्क ने कहा, "मुझे वहां के बहुत सारे किसानों के फोन आए थे जो उचित नेतृत्व के अभाव में असुरक्षित महसूस कर रहे थे. इसलिए मैं यूपी एसकेएम समन्वयक के रूप में समर्थन देने के लिए वहां पहुंचा." विर्क ने मुझे बताया कि वह और उनका परिवार इस मामले में शिकायत दर्ज कराने को लेकर बहुत डरे हुए थे. उन्होंने कहा कि किसी भी पुलिस अधिकारी ने बयान के लिए उनसे संपर्क नहीं किया था. उनके वकील अजीतपाल सिंह मंदर ने भी बताया कि यह अजीब बात है कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने घटना के 12 दिन बाद भी विर्क का बयान दर्ज करने की कोशिश नहीं की थी. मंदर ने कहा, "इस हिंसा की जांच में विर्क का बयान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वह हमले में घायल हो गए है. अगर पुलिस एसआईटी उनका बयान दर्ज नहीं करती है, तो वह अपना बयान दर्ज कराने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों का सहारा लेंगे और अदालत का रुख करेंगे."


Jatinder Kaur Tur is a senior journalist with more than 25 years of experience with various national English-language dailies, including the Indian Express, the Times of India, the Hindustan Times and Deccan Chronicle.