दिल्ली पुलिस की मानें तो 2020 में हुई हिंसा में मुसलमानों ने ही मारा मुसलमानों को

18 सितंबर 2021
शहाबुद्दीन ने बताया कि "हिरास्त में लेने के बाद वे मुझे थप्पड़ मारते रहे और “तुम मुसलमान दंगे करते हो” कह-कह कर गालियां देते रहे. मेरे गले से मेरा तावीज खींच लिया और मेरी जेब में रखी दवाई भी छीन ली."
सीके विजयकुमार / कारवां
शहाबुद्दीन ने बताया कि "हिरास्त में लेने के बाद वे मुझे थप्पड़ मारते रहे और “तुम मुसलमान दंगे करते हो” कह-कह कर गालियां देते रहे. मेरे गले से मेरा तावीज खींच लिया और मेरी जेब में रखी दवाई भी छीन ली."
सीके विजयकुमार / कारवां

करीब 16 महीने दिल्ली की मंडोली जेल में कैद रहने के बाद 20 साल के शहाबुद्दीन और 25 वर्षीय फरमान को जमानत मिल गई है. जेल में गुजारे यातना से भरे दिनों के बारे में शहाबुद्दीन ने मुझे बताया, “तकरीबन रोज ही पुलिस वाले गालियां देते थे और मारते थे. कहते थे तुम मुल्ले दंगे करते हो.” शहाबुद्दीन ने आगे बताया कि जेल में एक बार एक अधिकारी ने उस पर खाने में कीड़े मिलाने का झूठा आरोप लगाया जिसके बाद पुलिस वालों ने उसके हाथ-पैर रस्सी से बांध कर उसे एक डंडे से लटका दिया और उस पर लाठियां बरसाने लगे.

पिछले साल फरवरी में दिल्ली में हुई हिंसा के वक्त खजूरी चौक पर 32 वर्षीय ऑटो चालक बब्बू खान की हत्या के आरोप में दोनों को गिरफ्तार किया गया था. दोनों पर दो आपराधिक मामले लगाए गए हैं.

हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने हत्या के मामले में दोनों की जमानत का आदेश 4 जून 2020 को दे दिया था और फिर 9 जून 2020 को दंगे से जुड़े दूसरे मामले में भी उन्हें कड़कड़डूमा कोर्ट से जमानत मिल गई थी लेकिन जेल अधिकारी दोनों की रिहाई टालते रहे. शहाबुद्दीन 20 जुलाई को जेल से बाहर आया और आते ही अपनी मां तबस्सुम के गले लग गया. लोगों के घरों में झाढ़ू-पोछा कर आजीविका चलाने वाली तबस्सुम ने मुझे बताया, “मैं थाने के अंदर कैद अपने बेटे को दूर से देख कर रोती थी.” तबस्सुम करीब दो साल पहले अपने शराबी पति को खो चुकी हैं इसके कारण वह अपने चारों बच्चों को स्कूल नहीं भेज पातीं.

शहाबुद्दीन ने मुझे बताया, “पिछले साल 9 मार्च को जब मैं अपने काम से लौट रहा था तब पुलिस ने मुझे सड़क से यह कह कर उठा लिया कि मुझे पूछताछ करके छोड़ देगी लेकिन फिर मुझे पता चला कि वे मुझे जेल भेजने के लिए मामला तैयार कर रहे हैं.”

शहाबुद्दीन ने आगे बताया, "हिरास्त में लेने के बाद वे मुझे थप्पड़ मारते रहे और “तुम मुसलमान दंगे करते हो” कह-कह कर गालियां देते रहे. मेरे गले से मेरा तावीज खींच लिया और मेरी जेब में रखी दवाई भी छीन ली." 10 मार्च की शाम को शहाबुद्दीन को दंगों से जुड़े एक मामले में आरोपी बना कर अदालत के सामने हाजिर किया गया. जेल में दस दिन कैद में रहने के बाद शहाबुद्दीन को एक और झटका तब लगा जब अधिकारियों ने बब्बू खान की लिंचिंग के मामले में उसे फिर अदालत में पेश करने की बात बताई.

प्रभजीत सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं.

Keywords: Delhi Violence Unmasked Delhi Violence Muslims in India
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