4 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश योगेश खन्ना ने उत्तर प्रदेश पुलिस और रामपुर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया कि वे दिल्ली पुलिस को नवरीत सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मूल एक्स-रे प्लेट और वीडियो उपलब्ध कराएं. रामपुर के किसान नवप्रीत की 26 जनवरी को हुई ट्रैक्टर रैली में मौत हो गई थी. खन्ना ने नवरीत के दादा हरदीप सिंह डिबडिबा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किया. डिबडिबा की याचिका में 25 वर्षीय किसान नवरीत की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी. आदेश के बाद, डिबडिबा अपने बेटे और भतीजे के साथ सिंघु सीमा पहुंचे. 27 जनवरी को जब नवरीत का एक्स-रे हुआ था तो उनका मूल एक्स-रे देखा था. "अगर हमें दिखाई जाने वाली एक्स-रे प्लेट में बुलेट से होने वाला निशान या प्रक्षेपवक्र नहीं हुआ, तो इसका मतलब हुआ कि मूल एक्स-रे में फेर-बदल की गई है," डिबडिबा ने जोर देकर कहा.
"परिवार के तीन सदस्य मूल एक्स-रे प्लेट और वीडियो रिकॉर्डिंग देखेंगे. मेरा भतीजा, जो एक्स-रे के वक्त उस कमरे में मौजूद था, मेरा बेटा और मैं," डिबडिबा ने बताया और कहा, "मेरा भतीजा यह जांचेगा या सत्यापित करेगा कि क्या यह वही एक्स-रे प्लेट है जिसे उसने पहले देखा था." डिबडिबा ने कहा कि मूल एक्स-रे में "तीन इंच लंबा बुलेट का निशान" था जो स्पष्ट रूप से बुलेट के घुसने और बाहर निकलने के बिंदुओं को दिखा रहा था. नवरीत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दिखाया गया था कि अन्य चोटों के बीच, उनकी ठुड्डी के बाईं ओर "उलटा और हड्डी तक गहरे" मार्जिन के साथ एक गंभीर घाव था और दाहिने कान पर "अनियमित और उलटा" मार्जिन और "कानों की ओस्कल्स" हड्डी पर एक और गहरा घाव था और ''उसका भेजा बाहर आ गया था.”
जैसा कि कारवां ने पहले बताया था कि नवरीत की मौत के चश्मदीदों ने कहा था कि दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने उसे मध्य दिल्ली के आंध्रा एजुकेशन सोसायटी के बाहर गोली मारी थी. जिसके बाद उसका ट्रैक्टर पलट गया. कई फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि ऐसी चोटें केवल गोलियों के कारण ही आ सकती हैं. जब पोस्टमार्टम किया गया तब डिबडिबा और नवप्रीत के चाचा रामपुर के जिला अस्पताल में मौजूद थे. उन्होंने बताया कि जांच करने वाले डॉक्टरों ने माना था कि चोटें गोली के कारण हुई हैं लेकिन दिल्ली पुलिस दावा कर रही है कि नवरीत की मौत तेज गति से चल रहे ट्रैक्टर के पुलिस बैरिकेड के टकरा कर पलट जाने से हुई थी.
डिबडिबा ने कहा कि जिस दिन नवप्रीत की मौत हुई, उसी दिन उन्होंने रामपुर जिला अस्पताल के सीएमओ सुबोध शर्मा से उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एक्स-रे मांगी थी और फिर 30 जनवरी को भी उन्होंने इसकी मांग की थी लेकिन दोनों बार ही उन्हें देने से मना कर दिया गया. उन्होंने कहा कि सीएमओ ने उनसे कहा, "नहीं, हम किसी भी हालत में नहीं दे सकते." इस आरोप के संबंध में जब कारवां ने उनसे संपर्क किया था तो शर्मा ने कहा था, "हम केवल अदालत के समक्ष बोल सकते हैं."
अपनी याचिका में डिबडिबा ने मांग की थी कि “न्यायपालिका द्वारा नियुक्त और उसी की निगरानी में विशेष जांच टीम बनाई जाए जिसमें ऐसे पुलिस अधिकारी हों जो ईमानदार, प्रभावकारी और सत्यनिष्ठ हों.” उन्होंने परिवार को शव की एक्स-रे रिपोर्ट और पोस्टमार्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए अदालत से अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी. खन्ना ने पहली सुनवाई के बाद 11 फरवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस और जिला अस्पताल के सीएमओ को नोटिस जारी किया था.
25 फरवरी को दिल्ली सरकार के स्थायी वकील राहुल मेहरा ने दिल्ली पुलिस की ओर से एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की. स्टेटस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि सीएमओ ने दिल्ली पुलिस से इसके लिए तीन नोटिस प्राप्त करने के बावजूद एक्स-रे प्लेट नहीं दी. मेहरा ने स्टेटस रिपोर्ट में यह भी दोहराया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली पुलिस से तीन नोटिस मिलने के बावजूद पोस्टमार्टम वीडियो उपलब्ध कराने से मना कर दिया था.
24 फरवरी को उत्तर प्रदेश राज्य की स्थायी वकील गरिमा प्रसाद ने सीएमओ और उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से एक संयुक्त स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की. रिपोर्ट में कहा गया है, "एक्स-रे प्लेटें पोस्टमार्टम कर रहे डॉक्टरों के पैनल द्वारा देखी गई थीं जिसमें पता चला कि मृतक के शरीर में बंदूक की गोली नहीं लगी थी." यह सीधे तौर पर डिबडिबा और उनके भतीजे के बयानों का खंडन करता है, जिन्होंने बार-बार कहा है कि एक्स-रे के वक्त प्लेट को परिवार को दिखाया गया था, जिसमें नवरीत के सिर से घुसी बुलेट का सुराख दिख रहा था.
एक फोरेंसिक विशेषज्ञ, जिन्हें पोस्टमार्टम का 13 साल का लंबा अनुभव है और देश के प्रमुख सरकारी चिकित्सा संस्थानों में से एक में सीनियर रेसिडेंट हैं, ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच की थी और कारवां के साथ इस पर चर्चा की थी. विशेषज्ञ के अनुसार, डॉक्टरों द्वारा दर्ज की गई चोटों के लिए एकमात्र संभावित स्पष्टीकरण यह है कि नवरीत को दो गोलियां लगी थीं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वर्णित चोटों का जिक्र करते हुए विशेषज्ञ ने कहा कि "जब बल बाहर से अंदर की ओर होता है, तो मार्जिन उलटा होता है," और इसका मतलब है कि "उलटा मतलब बल बाहर से अंदर लगा है." विशेषज्ञ ने कहा, “कान के अस्थि-पंजर सिर के बाहरी वृत्त से दो से तीन सेंटीमीटर नीचे, मस्तिष्क की ओर होते हैं. जब तक अंदर से बाहर की ओर बल नहीं लगता, तब तक उन्हें बाहर खींचना असंभव है… मुझे नहीं लगता कि गोली के अलावा किसी और चीज से ऐसा घाव हो सकता है.”
विशेषज्ञ ने आगे उल्लेख किया था कि "देखें, अगर कोई व्यक्ति की फर्श या सड़क या ट्रैक्टर या ट्रॉली या टायर या किसी भी चीज पर मारा जाता है, तो यह चोट इस तरह से नहीं होगी ... उन्होंने कहीं भी फिसलनदार जगह को रिकॉर्ड नहीं किया है, जो यह सुझाए कि सड़क पर फिसलन थी.'' पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नवरीत के घायल होने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है. अपनी स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कहा कि इसने जिला अस्पताल को एक पत्र लिखा था, "इस बारे में राय लेने के लिए कि क्या नवरीत सिंह के शरीर पर चोट के निशान सड़क दुर्घटना के कारण संभव हैं." स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है, "डॉक्टरों के बोर्ड की राय प्राप्त कर ली गई है, जिसमें कहा गया है कि मृतक नवरीत को लगी सभी चोटें सड़क दुर्घटना के चलते हुई हैं." दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट यह नहीं बताती कि क्या उसने डॉक्टरों के बोर्ड से पूछा है कि बंदूक की गोली से नवरीत को क्या ऐसी चोटें आ सकती हैं?
4 मार्च को सुनवाई के दौरान प्रसाद ने कहा कि राज्य को एक्स-रे और वीडियो प्रदान करने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि पोस्टमार्टम का वीडियो 27 फरवरी को रामपुर पुलिस अधीक्षक को दिया गया था. तदनुसार, खन्ना ने आदेश दिया कि एक्स-रे प्लेट और वीडियो दिल्ली में जांच अधिकारी, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के इंस्पैक्टर राम मनोहर को 5 मार्च को दोपहर 2 बजे तक उनके कार्यालय में सौंपी जाए.
प्रसाद ने शुरू में सुनवाई के दौरान कहा था कि प्रतियां दिल्ली पुलिस को प्रदान की जाएंगी लेकिन खन्ना ने आदेश दिया कि दिल्ली पुलिस को मूल प्रतियां रखने के लिए दी जानी चाहिए. मेहरा ने अदालत में कहा कि दिल्ली पुलिस पोस्टमार्टम के वीडियो की एक कॉपी और नवरीत की मौत की जांच से संबंधी दस्तावेज याचिकाकर्ता डिबडिबा को उपलब्ध कराएगी.
डिबडिबा ने याचिका में उस क्षेत्र से गैर-संपादित सीसीटीवी फुटेज के लिए भी कहा था जहां नवरीत की मौत हुई थी. 4 मार्च की सुनवाई में मेहरा ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली पुलिस ने इलाके में 12 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज अपने कब्जे में लिए हैं. उन्होंने कहा कि डिबडिबा या उनके वकील ग्रोवर राम मनोहर के कार्यालय में फुटेज की जांच कर सकते हैं. लेकिन उन्हें प्रति उपलब्ध नहीं कराई जा सकती.
डिबडिबा ने कहा कि वह और उनका परिवार अब दिल्ली की सिंघु सीमा पर हैं और एक्स-रे प्लेट की जांच करने और इसकी प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए तैयार है. इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मार्च को होनी तय हुई है.