पिछले महीने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ निहंग सिख अमन सिंह की सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई. यह वही अमन सिंह हैं जिसकी किसान आंदोलन स्थल सिंघु सीमा पर लखबीर सिंह की हत्या में भूमिका को लेकर जांच चल रही है. जांच दल से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर मुझे बताया, “इस मामले में गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों ने खुलासा किया कि अमन सिंह ने ही उन्हें ऐसा करने के लिए उकसाया था.” अधिकारी ने कहा कि अब अमन, जिसे अमना नाम से भी जाना जाता है, को इस मामले में आरोपी बनाया गया है. अमन स्वयं को मिस्ल शहीद प्यारे हिम्मत सिंह नामक एक निहंग समूह का संस्थापक बताता है जो एक प्रमुख निहंग समूह बुद्धा दल से जुड़ा हुआ है. लेकिन बुद्धा दल के एक वरिष्ठ नेता और अन्य सदस्यों ने मुझे बताया कि उन्हें अमन और उसके समूह पर हमेशा से शक रहा है. शक के कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इस समूह का नाम ही उन्होंने पहली बार तब सुना जब पिछले साल किसानों के आंदोलन ने जोर पकड़ा था. यह समूह जल्दबाजी में बनाया गया और अमन का आपराधिक रिकॉर्ड भी लंबा-चौड़ा है. जब मैंने अमन से उनके ऊपर लगे अन्य आरोपों सहित लखबीर की हत्या करने के लिए उकसाने के आरोप के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “मैंने इस बारे में पहले ही सब कुछ साफ कर दिया है. मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता.”
कारवां ने अपनी पहली रिपोर्ट में बताया था कि पंजाब में मृतक के गांव चीमा कलां के दो निवासियों के अनुसार लखबीर की हत्या के आरोप में अमन के गुट से गिरफ्तार चार लोगों में एक सरबजीत सिंह को चीमा कलां में हत्या से पहले कई बार देखा गया था. लखबीर की बहन राज कौर लगातार कहती रही हैं कि उनका भाई अकेले अपने दम पर सिंघु सीमा तक नहीं जा सकता था और उसे वहां कोई लालच देकर ले गया होगा. जबकि अमन और अन्य निहंग दावा करते रहे हैं कि लखबीर को पवित्र ग्रंथ की बेअदबी करने के लिए मारा गया था फिर भी वे अभी तक कोई सबूत नहीं दे पाए हैं. जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों और बुद्धा दल के कई निहंग सिखों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दिए साक्षात्कार में अमन की पृष्ठभूमि के बारे में कई हैरान करने वाली जानकारियां दीं जो लखबीर की मौत के बारे में कई चौंकाने वाले पहलुओं से जुड़ी थीं. एक वरिष्ठ निहंग नेता ने मुझे बताया कि अमन ने मिस्ल शहीद प्यारे हिम्मत सिंह समूह 2020 में अक्टूबर के आसपास बनाया था. जिसका समारोह पंजाब के रूपनगर जिले के चमकौर साहिब में गुरुद्वारा जोड़ा साहिब में हुआ. "एक निहंग दल केवल अन्य निहंग दल या जत्थेबंदियों के आशीर्वाद के साथ विशाल संगत की उपस्थिति में शुरू किया जा सकता है. जब निहंगों ने अमन की नए समूह के बारे में सुना तो वे बेहद नाराज हुए थे. इस आदमी ने सभी मानदंडों और परंपराओं को हवा में उड़ाकर अपना नया समूह शुरू किया था.” जब मैंने अमन से इस बारे में पूछा तो उन्होंने वरिष्ठ निहंग के आरोपों की न तो पुष्टि की और न ही खंडन नहीं किया. इसके बजाय उन्होंने कहा, “बाबा मान सिंह ने मुझसे अपना समूह बनाने और उसकी जिम्मेदारी लेने को कहा था.” मान सिंह बुद्धा दल के प्रमुख हैं. अमन ने दावा किया कि मान सिंह ने उनसे कहा था, "ऐसा समय आ गया है कि बेअदबी के कई मामले सामने आ रहे हैं."
तोमर के साथ अमन की तस्वीर सामने आने के बाद मान सिंह और उनके दल के अन्य लोगों ने एक वीडियो के जरिए बताया कि उनका अमन से कोई लेना-देना नहीं है. वीडियो में मान सिंह का उल्लेख करते हुए कहा गया है, “बाबाजी की तरफ से हम सभी को सूचित करना चाहते हैं कि न तो बाबाजी ने उन्हें वहां ड्यूटी पर तैनात किया था और न ही उनका बाबाजी से कोई संबंध है. उन्होंने अपना खुद का समूह बनाया था.” बयान में आगे कहा गया है, “अमन सिंह को पूरे दल और जत्थेदार बाबा मान सिंह और बुद्धा दल निहंगों द्वारा बुद्धा दल के नाम का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी जाती है.”
अमन से इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, “अगर बाबाजी कह रहे हैं कि 'अमन हमारा नहीं है,’ तो मैं अपने दो जोड़ी कपड़ों में नंगे पैर घर लौट जाता हूं. मेरे पास कोई मुद्दा नहीं है.” अमन ने पुष्टि की कि उन्होंने मिस्ल शहीद प्यारे हिम्मत सिंह का गठन किया लेकिन इसमें उनका पद पूरी तरह स्पष्ट नहीं है. कई मीडिया रिपोर्टों के उलट जिनमें उन्हें निहंग दल का प्रमुख बताया गया है, वरिष्ठ निहंग नेता ने बताया कि अमन घोरियन दा जत्थेदार था, जिसे उप प्रमुख कहा जाता है.
जब मैंने अमन से उनके पद को लेकर सवाल किया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, “कोई जत्थेदार लिखता है, कोई महंत लिखता है, मैं बस निस्वार्थ सेवा करता हूं.” अमन 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के दौरान लाल किले में जाने वाले निहंगों में भी शामिल थे. अमन ने बताया, “मैं अंदर तब गया जब कुछ महिलाओं ने हमसे मदद मांगी कि कुछ लड़के लाल किले के अंदर फंस गए हैं और उनके साथ मारपीट की जा रही है.” उन्होंने मझे उस दिन की घोड़े पर सवार होकर लाल किले जाते हुए अपनी एक वीडियो भी दिखाई. वरिष्ठ निहंग नेता ने कहा, “रैली के समय से ही अमन एक फरला पहने हुए था जोकि निहंग पगड़ी के ऊपर लगा एक नीला कपड़ा होता है जो निहंगों के लिए निशान साहिब के बराबर होता है.” एक वरिष्ठ निहंग नेता ने बताया, “यह अस्तबल की सफाई, घोड़ों की देखभाल, लंगर तैयार करने, ध्यान करने, मार्शल आर्ट सिखना और उसमें उत्कृष्टता हासिल करने के बाद कई वर्षों की कड़ी मेहनत से हासिल किया जाता है. जब किसी निहंग को संगत की उपस्थिति में फरला दिया जाता है उसके बाद उसे गुरु ग्रंथ साहिब को अपने सिर पर ले जाने की भी मनाही होती है. निहंगों को यह 20-30 वर्ष की समर्पित सेवाओं के बाद मिलता है. बहुत निहंगो को तो कभी मिलता ही नहीं है. निहंगो के बीच अमन के फरला पहनने पर आलोचना की जा रही है.”
अमन ने इसकी पुष्टि करते हुए मुझे बताया, "मैंने इसे खुद पहनना शुरू नहीं किया. मुझे बापूजी ने सम्मान के रूप में दिया था.” उन्होंने कहा कि उन्हें जनवरी या फरवरी के आसपास के समय फरला दिया गया था. अमन ने बताया कि गुरुद्वारा जोड़ा साहिब के कार्यवाहक गुरनाम सिंह उनके बापूजी हैं. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें मान सिंह का भी समर्थन प्राप्त है. हर नए निहंग समूह को रास्ते में डेरा डालते हुए देश भर की यात्रा करनी होती है. एक युवा निहंग ने मुझे बताया, "निहंग अमन के मामले में पहला पड़ाव सिंघु सीमा पर किसानों का आंदोलन स्थल था और तब से वे वहां डेरा डाले हुए हैं. पूरे साल आप हमें घोड़े, गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति- महाराज दा स्वरूप और उसे ले जाने वाली एक पालकी के साथ घूमते हुए ही देखेंगे.” वरिष्ठ और युवा दोनों निहंगो ने पिछले एक साल में अमन के बारे में कई अफवाहें सुनी थीं. जिसमें यह अफवाह भी शामिल है कि अमन ने जोड़ा साहिब में गुरुद्वारा महंत का पुत्र होने का दावा किया था.
युवा निहंग ने कहा, “उन्होंने यहां तक दावा किया है कि वह पंज प्यारों में से एक भाई हिम्मत सिंह के वंशज हैं.” अमन ने कहा कि मीडिया ने उनके बारे में कई तरह की अफवाहें फैलाई थीं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कारवां के साथ विवादास्पद सिख उपदेशक रंजीत सिंह धाद्रियांवाले के साथ अमन की एक तस्वीर साझा की. पिछले साल सिख धर्म की सर्वोच्च पीठ अकाल तख्त ने सिख समुदाय के लोगों को सिख धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर धाद्रियांवाले का बहिष्कार करने का निर्देश दिया था. अमन ने मुझे बताया कि फोटो पंजाब के परमेश्वर द्वार गुरुद्वारे में आयोजित एक सभा की है. वहां वह एक रिश्तेदार के साथ गया था. अमन ने कहा कि उन्हें याद नहीं कि फोटो कब खींची गई थी.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अमन पर लगे कईं आपराधिक आरोपों के बारे में बताया जिनमें वर्ष 2012-2013 के आसपास मादक पदार्थों की तस्करी करना भी शामिल था. 30 मई 2017 को एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी जोगिंदर सिंह जसवाल द्वारा शिकायत करने के बाद भारतीय दंड संहिता की हत्या के प्रयास और आपराधिक धमकी से संबंधित विभिन्न धाराओं के तहत पांच लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उस वर्ष कुछ समय बाद जसवाल की एक अन्य शिकायत के आधार पर अमन पर आपराधिक अतिचार से संबंधित एक मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई. अमन अप्रैल 2017 से नवंबर 2017 के बीच कपूरथला की सेंट्रल जेल में कैद था. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार वर्ष 2018 में बरनाला जिले में उसके साथियों के पास से नौ क्विंटल और 30 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया था. उसी साल जनवरी में अमन पर नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. 31 अगस्त 2018 को बरनाला में एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने आगे बताया, “लेकिन दिलचस्प बात यह है कि 13 अक्टूबर 2020 को उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मिलने और जांच में मदद करने से पहले वह खुलेआम घूमता रहा.” बरनाला की वरिष्ठ अधीक्षक अलका मीणा ने मुझे बताया कि उस मामले में अमन के खिलाफ चार्जशीट पेश करने में देरी हुई. मीणा ने मुझे कहा, “इस देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं.” वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया कि दिसंबर 2018 में अमन और कुछ अन्य निहंग साथियों ने संगरूर में मलेरकोटला रोड धूरी पर एक खाली जमीन पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की थी. लखबीर के मामले पर अमन ने मुझे बताया कि पुलिस ने लखबीर के मामले में जांच के लिए उनसे संपर्क किया था और उनको मामले में आरोपी बनाया गया है. उन्होंने बताया, "मैंने पुलिस को पहले ही बता दिया है कि वे जो कुछ भी पूछना चाहते हैं, हम उसका जवाब देंगे. हम सिंघु सीमा पर ही हैं लेकिन वे मुझे गिरफ्तार करना चाहते हैं. हमने उनसे कहा है कि वे मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं लेकिन आप पहले मामले की जांच करें."