नूंह शहर से छह किलोमीटर दूर मुराद बास का छोटा सा गांव 2 अगस्त को पूरी तरह मर्दों से खाली हो था. दो दिन पहले, विश्व हिंदू परिषद और उसकी युवा शाखा, बजरंग दल ने नूंह के मुस्लिम-बहुल हिस्सों में एक जुलूस का आयोजन किया था, जिससे अंतर-धार्मिक हिंसा भड़क गई. इसमें छह लोगों की जान चली गई. 1 अगस्त की तड़के, हरियाणा पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी मुराद बास पहुंची और मुस्लिम-बहुल गांव से 25 युवकों को उठा लिया. मुराद बास के स्थानीय निवासी रहबर खान ने मुझे बताया कि जिन लोगों को उठाया गया उनमें से कुछ सो रहे थे या शौचालय में थे. "एक नहाने जा रहा था तो उसे केवल तौलिए में ही उठा लिया." गांव के बाकी पुरुष, लगभग सौ, रात को पड़े छापे के डर से, आसपास की पहाड़ियों में भाग गए.
जिन लोगों को मुराद बास से उठाया गया था, उन्हें पुलिस ने नूंह हिंसा के अपराधियों में दर्ज किया था, हालांकि कई लोग 31 जुलाई को गांव में ही थे और उनके पास इसका सबूत था, निवासियों ने मुझे बताया. रात को पड़ने वाले छापों के इस पैटर्न के चलते मुस्लिम नौजवानों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुईं. हिंसा में उनकी कथित भूमिका या उस दिन शहर में उनकी मौजूदगी की बहुत कम जांच हुई. यह पूरे नूंह जिले में दोहराया गया है. 3 अगस्त को गिरफ्तार किए गए लोगों में से 120 को नूंह के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया था. वे सभी मुस्लिम थे, जिनमें कई नाबालिग भी थे. 8 अगस्त को, हरियाणा के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने एक प्रेस नोट में कहा, कि नूंह जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज 57 प्रथम सूचना रिपोर्टों के संबंध में 170 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. नोट में गिरफ्तार किए गए लोगों की धार्मिक पहचान का जिक्र नहीं किया गया. भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य में हिंसा में अपनी भूमिका के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों की सूची में बजरंग दल के एक नेता को छोड़कर हिंदू समुदाय का कोई सदस्य नहीं है. मामलों पर नज़र रखने वाले एक वकील हारून खान ने मुझे बताया कि 12 अगस्त तक उन्होंने हिंसा से जुड़े मामलों में 220 गिरफ्तारियां दर्ज की हैं.
नूंह के आसपास के गांवों में एक हफ्ते की रिपोर्टिंग से जो सामने आया वह मुसलमानों की मनमानी और पक्षपातपूर्ण गिरफ्तारियों का एक पैटर्न था, जबकि कथित तौर पर हिंसा में भाग लेने वाले बजरंग दल और वीएचपी सदस्यों को लगभग किसी भी पुलिस कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा. इन गिरफ्तारियों से नूंह के मुस्लिम ग्रामीणों में व्यापक भय का माहौल पैदा हो गया है.
भारत के कुछ मुस्लिम बहुल जिलों में से एक नूंह में ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा का कोई लंबा इतिहास नहीं है. 2021 में बजरंग दल और वीएचपी ने एक हथियारबंद यात्रा के तौर पर इसकी शुरुआत की थी. यह नूंह शहर के बाहरी इलाके में नल्हर महादेव मंदिर से 40 किलोमीटर दक्षिण में फिरोजपुर झिरका में एक कृष्ण मंदिर तक की गई थी जो कई मुस्लिम बहुल इलाकों से होते हुए गुजरती. स्थानीय लोगों ने मुझे बताया कि यात्रा निकालने वाले हिंदू राष्ट्रवादी हर साल हिंसा भड़काने की कोशिश में मुसलमानों के खिलाफ नारे लगाते हैं और लगातार उनको बेइज्जत करते हैं. नूंह के टौरू रोड के निवासी रफीक मोहम्मद ने मुझे बताया, "वे हाथों में तलवारें लेकर आते हैं, गाड़ियों के काफिले में जय श्री राम के नारे लगाते हैं."
इस साल, उकसावे की शुरुआत जल्दी हो गई. मार्च से कुछ दिन पहले मोहित यादव, उर्फ मोनू मानेसर ने एक वीडियो में घोषणा की कि वह रैली में शामिल होगा. यादव हरियाणा सरकार की गाय संरक्षण टास्क फोर्स का सदस्य है और वर्तमान में इस साल फरवरी में दो मुस्लिम नौजवानों की हत्या के लिए राजस्थान पुलिस से भाग रहा है. बजरंग दल के एक नेता राज कुमार उर्फ बिट्टू बजरंगी ने भी जुलूस में अपनी भागीदारी की घोषणा की.
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