मौत से पहले नागपुर के जिस रवि भवन में जज लोया ठहरे थे उसके रूम सर्विस स्टाफर, जो उस दिन ड्यूटी पर था, का बयान उन दो जजों के वक्तव्यों से एकदम उलटा है जो जज लोया के साथ मुंबई आए थे. इन दो जजों के वक्तव्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस दावे को सही माना था जिसमें यह कहा गया था कि जज लोया की मौत प्राकृतिक है.
श्रीकांत कुलकर्णी और एस. एम. मोडक ने अपने वक्तव्य में कहा था कि दोनों ने जज लोया के साथ रात की ट्रेन से मुंबई से नागपुर का सफर किया था. दोनों जजों ने कहा था कि वे लोग 30 नवंबर की सुबह नागपुर पहुंचने के बाद रवि भवन आ गए थे. रवि भवन, वह सरकारी गेस्ट हाउस है जिसके बारे में बताया जाता है कि जज लोया अपनी मौत के वक्त ठहरे हुए थे. लेकिन सर्विस स्टाफर तिलक नारायण ने नागपुर पुलिस को दिए अपने बयान में कहा है कि उस दिन वह दोपहर तक ड्यूटी कर रहा था और उसके ड्यूटी पर होने तक कोई भी जज रवि भवन नहीं आया था.
23 नवंबर 2017 को पुलिस को दिया गया तिलक नारायण का यह बयान, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सतीश उइके द्वारा नागपुर जिला अदालत में दाखिल उस याचिका का हिस्सा है जिसमें उन्होंने जिला अदालत से मांग की थी कि वह नागपुर के अजनी पुलिस स्टेशन को निर्देश दे कि वह जज लोया की मौत के मामले की जांच करे. तिलक नारायण का यह बयान न केवल दो जजों- कुलकर्णी और मोडक- के वक्तव्यों पर संदेह पैदा करता है, बल्कि यह भी बताता है कि महाराष्ट्र सरकार ने जानबूझ कर इस महत्वपूर्ण जानकारी को सुप्रीम कोर्ट से छिपाया.
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