अजय मिश्रा टेनी के दामन में कितने दाग : छात्र नेता प्रभात गुप्ता की हत्या से लेकर किसान हत्याकांड तक

गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी अक्टूबर 2021 में लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आधिकारिक आवास पर एक बैठक में भाग लेने जाते हुए.
एएनआई/हिंदुस्तान टाइम्स
गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी अक्टूबर 2021 में लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आधिकारिक आवास पर एक बैठक में भाग लेने जाते हुए.
एएनआई/हिंदुस्तान टाइम्स

"हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव से अजय मिश्रा उर्फ टेनी की मेरे लड़के राजू (प्रभात गुप्ता) से रंजिश चल रही थी”, संतोष गुप्ता ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया पुलिस स्टेशन में 8 जुलाई 2000 को दर्ज अपनी शिकायत में लिखा था. प्रभात संतोष का सबसे बड़ा बेटा था. संतोष ने लिखा कि उस दिन टेनी ने प्रभात के एक भाई संजीव गुप्ता औप अन्य लोगों के सामने “मेरे लड़के राजू के कनपटी पर गोली मार दी और तुरंत दूसरी गोली सुभाष उर्फ मामा ने सीने और पेट के बीच गोली मार दी. मेरा लड़का तत्काल मौके पर ही गिर गया और उसकी मौत हो गई.” संतोष ने लिखा कि टेनी और तीन अन्य ने फिर हवा में अपनी बंदूकें लहारते हुए कहा, "साला राजू बचने न पाए."

फिर लगभग इक्कीस साल बाद 7 जुलाई 2021 को टेनी ने भारतीय जनता पार्टी सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली.

तीन महीने बाद टेनी तब सुर्खियों में आए जब एक काफिले ने लखीमपुर खीरी में विरोध कर रहे किसानों को कुचल दिया. मौके पर मौजूद प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि काफिले को टेनी का बेटा आशीष लीड कर रहा था. राज्य पुलिस ने 4 अक्टूबर को घटना की प्राथमिकी दर्ज की लेकिन आशीष को "15-20 अज्ञात व्यक्तियों" के साथ एक आरोपी के रूप में नामित किया गया. मंत्री के बेटे को गिरफ्तार करने में पांच दिन लग गए.

बता दें कि 14 दिसंबर को घटना की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने खुलासा किया है कि किसानों को मारने के मकसद से ही गाड़ी चढ़ाई गई थी और वह हादसा नहीं था.

प्रभात के परिवार की माने तो टेनी की प्रतिष्ठा ही थी जिसके कारण सन 2000 की हत्या के मामले में वह बरी हो गए. सतोश, संजीव और एक अन्य गवाह की गवाही के आधार पर एक पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि “आतंक और डर के कारण क्षेत्र से कोई भी सही और सच कहने का साहस नहीं जुटा पाता है." चार्जशीट में पुलिस की टिप्पणी में कहा गया है कि मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या के आरोप "सच पाए गए हैं." टेनी महीनों तक गिरफ्तारी से बचते रहे और जून 2001 में उन्हें जमानत मिल गई. उस वर्ष जिला सरकार के वकील ने जिला मजिस्ट्रेट को एक पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि राज्य को टेनी की जमानत के लिए अपील क्यों करनी चाहिए. उन्होंने लिखा कि जमानत "कानून और न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है." फिर भी 2004 में टेनी को जेल में एक भी रात बिताए बिना बरी कर दिया गया.

जतिंदर कौर तुड़ वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले दो दशकों से इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और डेक्कन क्रॉनिकल सहित विभिन्न राष्ट्रीय अखबारों में लिख रही हैं.

सुनील कश्यप कारवां के स्टाफ राइटर हैं.

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