इस साल मई में पटना के बेउर इलाके में केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना में काम करते हुए दो मजदूरों की गटर में घुसने के बाद मौत हो गई. वहां काम करने वाले तीन मजदूरों के मुताबिक उन्हें आवश्यक बचाव उपकरणों के बिना ही गटर में घुसने को कहा गया था. एक मजदूर ने मुझे बताया कि लार्सन एंड टुब्रो, जिसके पास बेउर साइट का ठेका है, के इंजीनियर ने उन्हें “बहुत जरूरी काम” है कह कर सुरक्षा सावधानियों के बिना ही गटर के अंदर भेज दिया.
इस परियोजना को 5 अप्रैल 2020 तक पूरा होना था और परियोजना में तेजी लाने के लिए अधिकारी कानूनी रूप से आवश्यक सुरक्षा सावधानियों का अनादर करते रहे. मई में हुई इस घटना के बावजूद सितंबर के मध्य तक मामला दर्ज नहीं हुआ है. मृतक 20 साल के सद्दाम हुसैन और 18 साल के मोहम्मद इकबाल हुसैन के परिवारों को मुआवजा भी नहीं मिला है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नमामि गंगे कार्यक्रम जून 2014 में शुरू हुआ था. इसमें सीवेज के बुनियादी ढांचे में सुधार और मरम्मत, नदी के पास श्मशान घाटों की देखरेख, कीचड़ निकालना, नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल रखना शामिल है. 27 दिसंबर 2018 को तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने वादा किया था कि तीन महीनों के भीतर 70 से 80 प्रतिशत गंगा साफ हो जाएगी और 2020 तक गंगा पूरी तरह से साफ बना दी जाएगी. जल संसाधन मंत्रालय ने प्रदूषण को रोकने, नदी के कायाकल्प और संरक्षण के लिए 20000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं.
लेकिन कार्यक्रम की प्रगति अविश्वसनीय रूप से धीमी रही है और इसके तहत की अधिकांश परियोजनाएं, खासकर बिहार में, अधूरी हैं. जल शक्ति मंत्रालय का एक जुलाई 2021 का प्रेस नोट बताता है कि 30 जून 2021 तक नमामि गंगे के तहत स्वीकृत 346 परियोजनाओं में से केवल 158 ही पूरी हुई हैं जबकि बिहार के लिए स्वीकृत 53 परियोजनाओं में से केवल 11 ही पूरी हो पाई हैं.
हाथ से मैला ढोना भारत में अवैध है. इसके बावजूद हाथ से मैला ढोने जारी है और भारत भर में इससे मौतें हो रही हैं. 30 जुलाई को संसद में सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने इस बात से इनकार किया कि पिछले पांच वर्षों में हाथ से मैला ढोने से कोई मौत हुई है. गौरतलब है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में कम से कम ऐसी 472 मौतें हुई हैं. इन मामलों में पुलिस इंजीनियरों या ओवरसियर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले दर्ज नहीं करती जबकि कानूनी तौर ऐसा करना होता है. पीड़ितों के परिवारों को कानूनी रूप से अनिवार्य मुआवजा भी नहीं दिया जाता.
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