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भारतीय सेना के पूर्व जवान रेशम सिंह ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर 3 मई के दिन उनका टॉर्चर करने का आरोप लगाया है. यह घटना पीलीभीत जिले के पुरनपुर शहर की है जहां पुलिस ने उनकी कार रोक ली थी. उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनकी पगड़ी गिरा दी, उन्हें बालों से पकड़कर खींचा और लाठियों से मारा. साथ ही पुलिस ने उनके मल द्वार में लकड़ी डाली. पुलिस ने उनकी बहनों के साथ भी मारपीट की. इतने गंभीर आरोप के बावजूद, पुलिस के खिलाफ दर्ज एफआईआर में मामूली अपराध शामिल किए गए हैं जो जमानती हैं.
40 वर्षीय रेशम सिंह अपनी मां और दो बहनों के साथ अपने साले के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लखीमपुर खीरी जा रहे थे. सदर पुलिस स्टेशन के नजदीक लगे बैरिकेड पर पुलिस ने उन्हें रोका और सब इंस्पेक्टर राम नरेश सिंह ने उन्हें गाड़ी के कागजात दिखाने के लिए कहा. जब रेशम कागजात निकाल रहे थे तो पुलिस उन्हें देरी करने के लिए चिल्लाने लगी और जब रेशम ने पुलिस से बदतमीजी न करने के लिए कहा तो वे लोग उन्हें पीटने लगे. जब रेशम की बहने बीच-बचाव करने आईं तो सब इंस्पेक्टर ने उनके साथ भी धक्का-मुक्की की और उन्हें थप्पड़ मारे.
जब पुलिस रेशम के साथ मारपीट कर रही थी तो पास ही स्थित मतगणना केंद्र से लोग आकर देखने लगे और सत्येंद्र सिंह और हरजिंदर सिंह घटना का वीडियो बनाने लगे. सत्येंद्र सिंह ने मुझे बताया कि “हमको यह देखकर बहुत हैरानी हो रही थी कि ये लोग एक फौजी के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं.” जब दोनों वीडियो बना रहे थे तो पुलिस ने दोनों को वीडियो न बनाने के लिए कहा लेकिन दोनों ने कहा कि वीडियो बनाना उनका हक है. बाद में पुलिस ने उनका मोबाइल छीन लिया और वीडियो डिलीट करने लगी. सत्येंद्र ने बताया कि वे लोग मेरे फोन से दो वीडियो डिलीट कर पाए लेकिन एक वीडियो बच गया क्योंकि फोन लॉक हो गया था. वीडियो में देखा जा सकता है कि 10 पुलिस वाले रेशम को घेरे हुए हैं और उसे पास खड़ी पुलिस की गाड़ी की ओर धकेल रहे हैं. एक पुलिस वाला रेशम को लाठियों से मारता जा रहा है जबकि दूसरा उन्हें धक्का दे रहा है. जब पुलिस वाले रेशम को गाड़ी में डाल रहे होते हैं तो उनकी पगड़ी खुल कर गिर जाती है. रेशम ने मुझे बताया कि मेरी पगड़ी गिर गई और उन्होंने मुझे पगड़ी उठाने नहीं दी. जब मैंने स्टेशन जाते हुए उनसे पूछा कि तुमने मुझे पगड़ी क्यों नहीं उठाने दी तो रामनरेश ने कहा, “यह पगड़ी तो क्या हम तो बाल भी काट देंगे.”
रेशम की मां और दोनों बहनों को और साथ ही सत्येंद्र और हरजिंदर को भी दूसरी गाड़ी में पुलिस स्टेशन लाया गया. रेशम ने अपनी एफआईआर में लिखा है, “रामनरेश और उसके साथियों ने मुझे खटिया से बांध दिया और दो पुलिस वाले मेरे ऊपर चढ़ गए और बाकी लोग मुझ पर लाठी बरसाने लगे. इसके बाद रामनरेश सिंह ने तेल मंगाया और डंडे में लगाकर मेरी लैट्रिंन वाली जगह पर डाल दिया. मैं दर्द से चिल्लाने लगा लेकिन वे लोग बार-बार मेरे प्राइवेट पार्ट में डंडा डाल रहे थे. जब मैं बेहोश हो गया तब जाकर मुझे मेरी बहन और मां के हवाले कर दिया गया.”
पुलिस ने उन पर 18500 रुपए का जुर्माना लगाया है जबकि वे लोग गाड़ी के सारे कागजात लेकर चल रहे थे. इसके अलावा पुलिस ने रेशम के साथ उसकी दो बहनों पर भी एफआईआर की है जिसमें आरोप लगाया है कि दोनों बहने कार से कूद पड़ी थीं और बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रही थीं और पुलिस के साथ मारपीट और गाली-गलौज कर रही थीं. रेशम ने मुझे बताया, “पुलिस ने हमें तब जाकर छोड़ा जब कुछ लोग पुलिस स्टेशन आए और चेतावनी दी कि अगर नहीं छोड़ेगें तो वे वीडियो रिलीज कर देंगे.” सत्येंद्र ने बताया कि हम लोगों को तीन घंटे तक पुलिस स्टेशन के फर्श पर बैठाए रखा. सतेंद्र को तीन दिन बाद उनका फोन वापस मिला. रामनरेश सिंह ने अपनी एफआईआर में दोनों को नामजद किया है.
जब पुलिस ने मारपीट बंद कर दी तब रेशम और परिवार वालों ने मांग की कि पुलिस सरकारी अस्पताल में उनकी मेडिकल जांच कराए और तुरंत एफआईआर दर्ज करे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रेशम ने मुझे बताया, “मैंने कोतवाल संजीव शर्मा से कहा कि मेरी शिकायत दर्ज करें, लेकिन वह मुझे धमकाने और मुझ पर चिल्लाने लगे.” दूसरे दिन उन्होंने फिर कोशिश की कि एफआईआर दर्ज हो जाए लेकिन पुलिस ने उनसे कहा कि अदालत की आज्ञा के बिना ऐसा नहीं हो सकता. रेशम ने बाद में एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने घटना के बारे में बताया है और अपनी चोट के निशान दिखाए हैं. वह बैठ नहीं पा रहे थे. रेशम ने बताया कि वीडियो के वायरल होने के बाद उनको जनता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) का समर्थन मिला और वह अपनी शिकायत दर्ज करा पाए.
रेशम ने बताया कि जब डीएसजीएमसी ने औपचारिक रूप से दखल दिया तब जाकर पुलिस ने 5 मई को उनकी शिकायत दर्ज की. कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने यूपी पुलिस के डीजीपी को औपचारिक शिकायत भेजी थी जिसमें उन्होंने पुलिसिया बर्बरता की शिकायत के साथ, हत्या का प्रयास, हिरासत में टॉर्चर, अप्राकृतिक अपराध और धर्म का अपमान जैसे अपराधों शामिल करने के लिए कहा है. उस पत्र में लिखा है कि “पुलिस ने सभी हदें पार कर दी है और मानव अधिकार और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए धार्मिक भावना को चोट पहुंचाई है. पुलिस ने न सिर्फ रेशम की धार्मिक भावनाओं की बल्कि सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को भी आहत किया है. सिख समुदाय के लिए पगड़ी और केश अत्यधिक पवित्र माने जाते हैं.” डीएसजीएमसी ने मांग की है कि पीड़ित की तत्काल मेडिकल जांच कराई जाए और स्वतंत्र न्यायिक जांच हो तथा और उसकी मां तथा बहनों पर लगाए गए मामले तुरंत वापस लिया जाएं.
8 मई को रेशम की मेडिकल जांच हुई और उसी दिन एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर में धारा 147, 323, 342 और 504 जोड़ी गई हैं. यह सारी धाराएं जमानती हैं. पीलीभीत जिला पुलिस के सुपरिंटेंडेंट राठौड़ ने मुझे बताया कि उप-सुपरिटेंडेंट विरेंद्र विक्रम को घटना की जांच कर 15 दिन के अंदर 23 मई तक जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. जब मैंने राठौर से पूछा कि मामला कहां तक पहुंचा है उन्होंने कहा, “जांच अभी चल रही है और बताया कि रामनरेश को सस्पेंड कर दिया गया है और मेडिकल जांच कराई जा चुकी है तथा साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.”
रेशम का कहना है कि सिर्फ एक पुलिसकर्मी पर नहीं बल्कि उन सभी पुलिसकर्मियों को, जिन्होंने उनके साथ मारपीट की, सस्पेंड किया जाना चाहिए और उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि वे लोग “कम से कम 8 से 10 आदमी थे जो मुझे मार रहे थे.” जब मैंने राठौर से पूछा कि किस तरह की विभागीय कार्रवाई पुलिस वालों पर की गई है तो उन्होंने बस इतना ही दोहराया कि रामनरेश के खिलाफ प्राथमिक जांच की रिपोर्ट आने के बाद उसे कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा. राठौड़ ने कहा कि रामनरेश सिंह द्वारा रेशम और उनकी बहनों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर वापस नहीं हो सकती क्योंकि पुलिस खुद किसी एफआईआर को खारिज नहीं कर सकती. इस बारे में जांच अधिकारी ही जांच के बाद कोई फैसला लिया जा सकता है. मैंने रामनरेश से कई बार संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरा फोन नहीं उठाया.
इस बीच स्थानीय पूर्व सैनिकों ने पुलिस थाने के बाहर धरना दिया. धरने का आयोजन करने वाली वकील सुनीता गंगवार ने मुझे बताया, “हम लोग धरना देकर जन दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. आठ पुलिस वालों ने यह कुकृत्य किया है लेकिन एफआईआर में केवल दो या तीन पुलिस वालों के नाम हैं. उन्होंने कहा कि कुछ भी नहीं किया जा रहा है. एफआईआर में जिस दूसरे पुलिस वाले का नाम है उसका नाम रईस अहमद है. मैंने एसएचओ हर्षवर्धन से अहमद का फोन नंबर प्राप्त करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझे नहीं दिया.
16 मई के एक वीडियो में रेशम बताते हैं कि उनकी एफआईआर में अब तक कोई जांच नहीं की गई है. उनका मानना है कि पुलिस अपने लोगों को बचाने में लगी है. वह कहते हैं, “अब मैं न्याय के लिए कहां जाऊं. मुझे अपने सैनिक भाइयों से समर्थन की उम्मीद है और उन लोगों से जो इस देश की सेना का सम्मान करते हैं. उन्होंने फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार जैसे उन राष्ट्रवादियों से भी हस्तक्षेप की अपील की है “हमारे नाम पर इतनी सारी फिल्में बनाते हैं और करोड़ों-लाखों कमाते हैं लेकिन ऐसे मामलों में चुप्पी ओढ़ लेते हैं.” वीडियो के एक भाग में रेशम बोलते-बोलते रुआसे हो जाते हैं और कहते हैं, “जो कुछ उन लोगों ने मेरे साथ किया वह बताते हुए भी मुझे शर्म आती है लेकिन उन लोगों का वैसा करते हुए शर्म नहीं आई.”