रांची में भड़की हिंसा के मृतक 16 साल के मुद्दसीर आलम के हिंदपीढ़ी स्थित किराए के मकान में दो दिनों के बाद भी मातम पसरा हुआ है. पिता परवेज आलम हरेक मुलाकातियों से अपने बेटे के बेगुनाह होने की बात बता रहे हैं. उधर मां निखत बेसुध कुर्सी पर बैठीं बीच-बीच में दहाड़ मार कर रोने लगती हैं. घर पर आए लोगों का हाथ पकड़ कर कहती हैं, “मेरा बाबू कहां चला गया भाई जान, मेरा बाबू कहां चला गया.” तब परवेज दुपट्टे से उनका सिर ढक ढाढस देते हैं और वह चुप हो जाती हैं. आधे घंटे के अंतराल में मातम का यह दृश्य कई बार देखने को मिला.
इन दोनों की हालत देख मैंने मुद्दसीर के चाचा मोहम्मद शाहिद अय्यूबी से बात करना मुनासिब समझा. चाचा ने मुझे बताया, “इसी महीने 15 को उसका दसवीं का रिजल्ट आने वाला था. रोजना की तरह वह अपने पापा की मदद करने के लिए उस दिन भी ठेला गाड़ी के साथ गया था.” वह आगे बताते हैं, “जब जुलूस डेली मार्केट के पास आया तो भीड़ काफी थी. अफरा-तफरी का माहौल था. भीड में वह कब चला गया, उसके वालिद को पता ही नहीं चला. पथराव और गोलीबारी हो रही थी. सब लोग जान बचा कर भाग रहे थे लेकिन मेरा भतीजा गोली का शिकार हो गया. उसके सिर पर गोली लगी थी. पुलिस लोगों पर ऐसे गोली चला रही थी, जैसे वे आंतकवादी या उग्रवादी हों. भीड़ को भगाने के कई उपाय थे लेकिन जान से मारने के नियती गोली चलाई जा रही थी. तभी तो लोगों के कमर, सिर, गर्दन में गोलियां लगी हैं.”
मृतक मुद्दसीर आलम के परिवार वालों की शिकायत है कि अब तक सरकार का कोई भी प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया है. उनकी मांग है कि घटना की जांच हो. गोली कहां से और किसके कहने पर चली, इसकी भी निष्पक्ष जांच की जाए. मुद्दसीर अपने घर की इकलौती औलाद था. शाहिद अय्यूबी ने यह भी बताया कि वह पढ़ाई के अलावा वालिद के साथ ठेला लेकर फल बेचने डेली मार्केट में जाया करता था.
परवेज आलम ने बेटे की मौत की शिकायत डेली मार्केट पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई है. अपनी शिकायत में उन्होंने लिखा है कि जब मुस्लिम समुदाय के लोग नारेबाजी करते हुए हनुमान मंदिर के पास पहुंचे तो “अचानक मंदिर की छत में मौजूद भैरो सिंह, शशी शरद करण, सोनू सिंह एवं अन्य लोग गोली चलाने लगे और पत्थर भी फेंकने लगे.” शिकायत कहती है कि इसके बाद मुस्लिम पक्ष भी पत्थर फेंकने लगा.” आलम ने अपनी शिकायत में यह भी लिखा है कि “अफरा-तफरी मच गई, भगदड़ का माहौल बन गया. इसी क्रम में वहां मौजूद पुलिस के लोग एके-47 और पिस्टल से मुस्लिम पक्ष को लक्षित कर अंधाधुन फायरिंग करने लगे. एक तरफ से मंदिर के छत से और दूसरी तरफ रोड में उपस्थित पुलिसकर्मियों के तरफ से लगातार फायरिंग के कारण मची भगदड़ में एक गोली मेरे पुत्र के सिर में लगी और वह लहूलुहान होकर सड़क पर गिर पड़ा.”
राजधानी रांची में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मेनरोड में हुए पथराव व गोलीबारी से जिन दो युवक की मौत हुई है उसमें एक मुद्दसीर आलम है और दूसरा 22 वर्षीय मोहम्मद साहिल जिसका घर हिंदपीढ़ी से आधा किलीमीटर की दूरी पर कर्बला चौक में है.
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