22 सितंबर को हुई एक सुनवाई में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने महाराष्ट्र की नांदेड़ जिला अदालत से अप्रैल 2006 के नांदेड़ बम ब्लास्ट से संबंधित एक मामले में यशवंत शिंदे द्वारा गवाह बनने के एक आवेदन को खारिज करने के लिए कहा. शिंदे साल 1990 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं. 29 अगस्त को उन्होंने नांदेड़ अदालत में एक शपथ पत्र दायर किया था जिसमें दावा किया गया था कि वह उन कई बैठकों में शामिल थे जिसमें आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों और मिलिंद परांडे जो वर्तमान में वीएचपी के महासचिव हैं, ने मिलकर देश भर में सिलसिलेवार बम धमाके करने की एक योजना बनाई थी. उन्होंने 2003 में लगभग बीस अन्य लोगों के साथ परांडे के मार्गदर्शन में बम बनाने का प्रशिक्षण लेने का भी दावा किया. 2006 में लक्ष्मण गुंडय्या राजकोंडावर के आवास पर एक जोरदार विस्फोट हुआ था, जिसमें उनके बेटे और उनके बेटे के दोस्त की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे. बाद में इस विस्फोट को एक बड़ी साजिश से जोड़ा गया जिसमें 2003 और 2004 में जालना, पूर्णा और परभणी में मस्जिदों में हुए विस्फोट शामिल थे. शिंदे का दावा है कि यह धमाके उन्हीं लोगों के समूह ने किए थे जिनके साथ उन्होंने प्रशिक्षण लिया था. शिंदे के निवेदन के बाद अदालत ने मामले को लेकर सीबीआई और अन्य आरोपियों से जवाब तलब किया था.
शिंदे द्वारा हलफनामे में किए गए सभी दावें सीबीआई की जांच और महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते द्वारा इसी मामले में पहले की गई जांच के बाद अदालत में जमा रिपोर्ट से मेल खाते हैं. और फिर भी सीबीआई ने मामले में अभियुक्तों के साथ जो सुनवाई में जांच एजेंसी से सहमत थे, शिंदे को एक गवाह बनाने का विरोध किया, यह दावा करते हुए कि उनकी दलील न तो कानून के अनुसार है और न ही तथ्यों के." सीबीआई का तर्क मुख्य रूप से इस बात पर आधारित है कि शिंदे ने धमाकों के बाद पिछले 16 वर्षों से जांच एजेंसियों से कोई संपर्क नहीं किया. सीबीआई ने यह भी दावा किया कि चल रहे मुकदमे में शिंदे की कोई भूमिका नहीं है.
अदालत में किए गए सीबीआई के दावे विरोधाभासी थे. एक तरफ एजेंसी ने अदालत में पेश की हालिया रिपोर्ट में तर्क दिया था कि वे उस व्यक्ति की पहचान और ठिकाने का पता नहीं लगा पाए जिसने प्रशिक्षण दिया और धमाकों के लिए धन उपलब्ध कराया. नतीजतन सीबीआई ने 31 दिसंबर 2020 को मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. शिंदे के हलफनामे देने से पहले यह बात सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई थी कि मामला बंद कर दिया गया था. सीबीआई ने अपनी बात दोहराई कि जब भी अपराध में शामिल प्रोफेसर देव सहित किसी भी व्यक्ति की पहचान के बारे में कोई नया, ताजा, उपयोगी और निश्चित सुराग प्राप्त होगा तो मामले को फिर से खोलकर जांच की जा सकती है.
वहीं दूसरी तरफ सीबीआई अदालत से शिंदे के आवेदन को खारिज करने के लिए कह रही थी, जिसमें न केवल उस व्यक्ति की पहचान हो रही थी गई जिसने प्रशिक्षण दिया था, बल्कि विहिप के मुंबई कार्यालय में रवि देव के साथ बैठक का विस्तृत विवरण भी दिया था. शिंदे ने मुझे दावे के साथ बताया किया कि रवि देव वही व्यक्ति है जिसे सीबीआई प्रोफ़ेसर देव के नाम से जानती है. अपने हलफनामे में उन्होंने प्रशिक्षण के समय उनके साथी रहे राकेश धवाडे का भी नाम लिया, जिसे सीबीआई पहले ही मामले की चार्जशीट में शामिल कर चुकी है और जिस पर 2008 के मालेगांव बम धमाके के मामले में मुकदमे चल रहा है.
अदालत में सीबीआई की रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य परांडे को मामले में आरोपी बनाने से रोकना था. अगर वह आरोपी बनते तो वह संघ परिवार के सबसे वरिष्ठ पदाधिकारियों में से एक होते जिन पर आतंकवाद से जुड़े मामले पर जांच की तरवार लटकी होती. सीबीआई ने कहा कि, "जांच के दौरान सीबीआई द्वारा पूछताछ किए गए किसी भी गवाह ने परांडे का नाम नहीं लिया. और न ही जांच में उनकी संलिप्तता सामने आई है." इसे एक अच्छा रणनीतिक झूठ बताने वाले उस समय सेवा में मौजूद एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि मिलिंद परांडे का नाम महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई धमाकों की जांच में सामने आया था. महाराष्ट्र पुलिस के एक पूर्व महानिरीक्षक एसएम मुश्रीफ ने अपनी किताब हू किल्ड करकरे में नांदेड़ बम धमाकों की महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई जांच का वर्णन किया है. मुश्रीफ लिखते हैं कि एटीएस ने धमाकों की जांच करते समय मर्चेंट नेवी के पूर्व कप्तान संतकुमार भाटे को ढूंढ निकाला और भाटे ने अप्रैल मई 2006 में एटीएस को दो बयान दर्ज कराए. भाटे ने अपने बयानों में बताया कि परांडे ने उन्हें संघ के कई कार्यकर्ताओं को जिलेटिन की छड़ियों को इस्तेमाल करना सिखाने के लिए कहा. भाटे ने यह भी बताया कि परांडे उन्हें एक अन्य प्रशिक्षण शिविर में ले गए जहां दो पूर्व सैनिकों और एक पूर्व खुफिया ब्यूरो अधिकारी संघ के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर रहे थे.
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