हैदराबाद की शानदार विरासत को मिटा देगी उस्मानिया अस्पताल को ढहा देने की मुख्यमंत्री केसीआर की सनक

17 अगस्त 2020
नूह सीलम/ एएफपी/ गैटी इमेजिस
नूह सीलम/ एएफपी/ गैटी इमेजिस

15 जुलाई को हैदराबाद के 95 साल पुराने उस्मानिया जनरल अस्पताल के एक वार्ड में बारिश का पानी भर गया. देखते ही देखते सोशल मीडिया में अस्पताल स्टाफ के परिसर से पानी उलीचने वाले और तैरते सुरक्षा उपकरणों के वीडियो शेयर होने लगे. राज्य प्रतिक्रिया दल ने आकर पानी में डूबे वार्ड के 30 मरीजों को दूसरे माले के वार्ड में शिफ्ट किया तो पहले से ही खचाखच भरे इस अस्पताल में भीड़ और बढ़ गई.

पुराने हैदराबाद में उस्मानिया अस्पताल सहित कुल तीन अस्पताल हैं जबकि इस इलाके में हैदराबाद की तकरीबन आधी आबादी का बसेरा है. यह इलाका नए हैदराबाद से ज्यादा गरीब और आबादी के हिसाब से अधिक घना है और इसलिए महामारी से निपटने में तेलंगाना सरकार की विफलता यहां स्पष्ट दिखाई देती है. इसके बावजूद 25 जुलाई को राज्य सरकार ने बताया कि वह विधायकों से उस्मानिया जनरल अस्पताल को गिरा देने के विषय में परामर्श कर रही है.

यह अस्पताल ऐतिहासिक है और पुराने शहर के महत्वपूर्ण भवनों में से एक है. मैं दुनिया भर में रही हूं और फिलहाल न्यूयॉर्क में बसी हूं लेकिन मैं हर साल हैदराबाद आती हूं. जब भी मैं हैदराबाद आती हूं तो मुझे इस बात का भरोसा रहता है कि मूसी नदी के किनारे बने राजसी उस्मानिया जनरल अस्पताल की ऊंची मीनारें मेरे स्वागत में खड़ी होंगी. अस्पताल की तरह हैदराबाद के कई महत्वपूर्ण स्मारक, शहर के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान के शासन काल में बने थे. निजामी शासन ने हैदराबाद में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. इस शहर की गलियां हिंद-अरब वास्तुकला की नुमाइश हैं और शहर को अलग पहचान देती हैं. जैसे-जैसे निजाम का इतिहास भुलाया जा रहा है वैसे-वैसे साफ होता जा रहा है कि बीती सदी ने इस विरासत पर रहम नहीं किया.

उस्मानिया अस्पताल को गिराने की तेलंगाना सरकार की कोशिश, उस चलन का हिस्सा है जिसमें हैदराबाद को वास्तुकला की दृष्टि से आधुनिक बनाने के प्रयासों में उसकी समृद्ध विरासत और इतिहास को मिटाया जा रहा है. सरकार ने बार-बार दवा किया है कि शहर को आधुनिक शक्ल देने से विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा. 2016 में हैदराबाद नगर निगम चुनावों में जीत के बाद राज्य के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने घोषणा की थी कि वह हैदराबाद की आधारभूत संरचना के लिए निवेश लाएंगे ताकि हैदराबाद “सही मायने में वैश्विक शहर” बन सके. हैदराबाद के लिए राव की योजना के केंद्र में यही विचार है. लेकिन ऐसा करते हुए सरकार को शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान के मिट जाने की परवाह नहीं है.

इससे पहले 7 जुलाई को राव ने आधी रात को बिना किसी पूर्व जानकारी के 132 साल पुराने सैफाबाद महल को ढहा दिया. गिराई गई इमारतें कमजोर नहीं थीं लेकिन इन्हें शहर की ताकतवर रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन लॉबी की खुशामद के लिए जमींदोज कर दिया गया.

साराह खान ट्रैवल जर्नलिस्ट हैं और न्यू यॉर्क में रहती हैं.

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