"कोरोना से राज्य अकेले लड़ रहे हैं, केंद्र सरकार नहीं कर रही अतिरिक्त मदद", केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक

कोविड-19 महामारी ज्यादातर राज्य सरकारों की वित्तीय रीढ़ तोड़ रही है, जो बढ़ते खर्च और राजस्व को हो रहे नुकसान को झेल रही हैं. इस कठिन समय में केरल के अर्थशास्त्री वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने वरिष्ठ पत्रकार एंटो टी. जोसेफ को बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों को बजट राशि से अलग कोई धन आवंटित नहीं किया है और न ही उन्हें उधार लेने की अनुमति ही दी है. इसाक ने कहा कि केंद्र ने राज्यों को "महामारी से लड़ने के लिए कोई अतिरिक्त पैसा नहीं दिया है. यह निंदनीय है."

इसाक ने कहा कि महामारी के खिलाफ राज्यों का संघर्ष जीएसटी भुगतान करने में केंद्र की देरी से जटिल हो गया है. 2017 में जब पांच साल के लिए जीएसटी कानून लागू किया गया था तब जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण राजस्व में किसी भी नुकसान के लिए राज्यों को मदद करने के लिए उपकर की स्थापना की गई थी. इसाक ने बताया कि केरल सरकार इस मामले में केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की सोच रही है. वित्त मंत्री ने कहा कि वह इस बारे में अन्य वित्त मंत्रियों से समर्थन मांगेंगे.

एंटो टी. जोसेफ : राज्य सरकारों को वित्तीय रिजर्व में तेजी से हो रही कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. आपके आकलन से लॉकडाउन के कारण राजस्व में कितनी गिरावट हुई है?

थॉमस इसाक : लॉकडाउन के कारण हमारा राजस्व संकलन सामान्य का लगभग 20 प्रतिशत होगा. लॉकडाउन में कोई भी जीएसटी राजस्व नहीं होता है. हमने लॉटरी बंद कर दी है. केरल में शराब की दुकानें बंद हैं. मोटर वाहनों की बिक्री नहीं हो रही है और भूमि का लेनदेन लगभग शून्य है.

भले ही लॉकडाउन में ढील दी जाती है लेकिन मुझे उम्मीद है कि आने वाले तीन महीनों में राजस्व सामान्य का आधा रह जाएगा. पहला, लॉकडाउन चौंका देने वाला रहा है. दो, लॉकडाउन को ढीला करने का मतलब यह नहीं है कि चीजें सामान्य होने जा रही हैं. मुझे नहीं पता कि उन सभी छोटी कंपनियों का क्या होने वाला है जो बंद हो गई हैं. पर्यटन जैसे क्षेत्र अब जल्द ठीक होने वाले नहीं हैं.

राज्य सरकारों के पास अभी खर्च करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्हें विकास के अन्य खर्चों में कटौती करनी पड़ सकती है और स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ सकता है. चिकित्सा आपूर्ति के लिए मेरा बजट 400 करोड़ रुपए है, जिसमें शायद सामान्य परिस्थितियों में 100 करोड़ रुपए की और बढ़त की जा सकती है. लेकिन मैं पहले ही उपकरण, दवाओं और अन्य के लिए 600 करोड़ रुपए खर्च कर चुका हूं. इसने पहले महीने में ही पूरे बजट में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. हमारी सरकार कोविड रोगियों का मुफ्त उपचार करती है और वेंटिलेटर पर प्रति व्यक्ति 25000 रुपए तक खर्च करती है. संक्रमण की पुष्टि होने पर रोगी को आइसोलेशन में रखा जाता है. आपको व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट की आवश्यकता होती है जिसे स्वास्थ्य कर्मी हर 4 घंटे या इतने ही पर लगातार बदलते रहते हैं. यह खर्च का स्तर है. यह वास्तव में बहुत बड़ा है. यह असामान्य समय है और आप सामान्य स्वास्थ्य बजट पर निर्भर नहीं कर सकते.

एंटो टी. जोसेफ : अब तक केंद्र सरकार का योगदान क्या रहा है?

थॉमस इसाक : मुझे इसे इस तरह से कहना चाहिए कि केंद्र ने कोविड-19 के कारण कोई अतिरिक्त पैसा नहीं दिया है. एकदम शून्य. उन्होंने अब तक जो हमें दिया है वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निधि और जीएसटी बकाया जैसा बजट का पैसा है. उन्होंने मार्च अं​त में इसका भुगतान किया. अब राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष वितरित किया गया है. इसे कोविड के लिए भी खर्च किया जा सकता है. इनके अलावा जो भी बजट है उसमें महामारी से लड़ने के लिए बिल्कुल अतिरिक्त पैसा नहीं है. यह निंदनीय है. मैं सोच भी नहीं सकता कि लोग इस तरह से व्यवहार करते हैं.

एटीजे: राज्य सरकारों के सामने क्या विकल्प हैं?

थॉमस इसाक : खर्च में कटौती के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है जो कि भारत के कुछ सबसे अमीर राज्यों ने किया है. यह नुकसानदेह होगा. इस स्थिति में, हमें खर्च में कटौती नहीं करनी चाहिए और वास्तव में इसे बढ़ाना चाहिए. मंदी की हालत में आपने अधिकांश राज्यों का खर्च में कटौती करने का तमाशा देखा है. वे पागल हैं. वास्तव में, अतिरिक्त भुगतान कोविड-19 के लिए केंद्र के घोषित किए गए 1.7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का केवल 50 प्रतिशत है. बाकी सब बजट का पैसा है. केंद्र जो दे रही है यह केवल 50 प्रतिशत है. यह केवल 70000 से 75000 करोड़ रुपए है, जो उनके कुल खर्च का बहुत ही छोटा हिस्सा है.

सभी राज्य यही कर सकते हैं कि वह अपनी देनदारियों का व्यय करें और खर्च को बनाए रखें. अब, यदि हम पहली दो-तीन तिमाही में अपनी देनदारियों का आधा हिस्सा समाप्त कर लेते हैं तो फिर आप बाकी महीनों के लिए वेतन और अन्य खर्चों का क्या करेंगे? केंद्र राज्यों के साथ साझेदारी कायम करे, इसके अलावा कोई समाधान नहीं है. यह बहुत महत्वपूर्ण है.

फिर, जीएसटी मुआवजा उपकर दें. कानून के अनुसार, हमें पूरे जीएसटी उपकर का मुआवजा मिलना चाहिए. यह अपरिहार्य है. लेकिन केंद्र इसे स्थगित कर रहा है. कानून बहुत स्पष्ट है. जब राज्यों को धन की आवश्यकता होती है तो इस महत्वपूर्ण मोड़ में देरी करने के बजाय, केंद्र राज्यों को अतिरिक्त उधार लेने या स्वयं धन उधार लेने की अनुमति दे सकता है और इसे जीएसटी उपकर निधि में उपलब्ध करा सकता है. पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसी का तो वादा किया था. धन बहुत महत्वपूर्ण है. मैं उनके (केन्द्र के) रवैये को समझने में असफल रहा हूं. यह बहुत नौकरशाहीपूर्ण और आक्रामक है. वे राज्यों से दूरी बना रहे हैं.

दूसरा, केंद्रीय राजस्व कम हो रहा है और इसलिए केंद्र से स्थानांतरण भी कम हो रहा है. इसलिए उन्हें राज्यों को ज्यादा उधार लेने की शक्ति देनी चाहिए. उन्हें जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) पर राजकोषीय घाटे की मौजूदा तीन प्रतिशत की सीमा का विस्तार करते हुए एक प्रतिशत अधिक की अनुमति देनी चाहिए.

यह पूरी दुनिया में किया जा रहा है. अमेरिकी प्रोत्साहन पैकेज जीडीपी का दस प्रतिशत है. निश्चित रूप से, उनका राजकोषीय घाटा इतना अधिक होने जा रहा है. यदि आप इसे इस वर्ष करते हैं, तो हम अगले तीन वर्षों में इसे धीरे-धीरे नीचे ला सकते हैं. लोग इसे समझते हैं.

एटीजे: क्या आपने इन मुद्दों के बारे में अन्य राज्यों से बात की है? तमिल नाडु ने भी छूट की मांग की है.

थॉमस इसाक : मैं सभी राज्य वित्त मंत्रियों को इस विषय पर एक वेबिनार में शामिल होने के लिए लिख रहा हूं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद अप्रैल के तीसरे सप्ताह में हम इसकी मेजबानी कर रहे हैं. हम प्रमुख अर्थशास्त्रियों, शिक्षाविदों, नौकरशाहों और पत्रकारों को दो दिवसीय नॉन-स्टॉप लाइव स्ट्रीमिंग में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित करेंगे. प्रत्येक सत्र में पांच या लगभग इतने ही प्रतिभागियों के साथ बातचीत करने की कुछ सीमाएं होंगी. फिर चैट मोड पर एक दर्जन लोगों को प्रश्न पूछने और उनका जवाब देने की अनुमति हो सकती है. हमारा विचार है कि जनता का ध्यान आकर्षित किया जाए और राष्ट्रीय मुख्यधारा की बहस शुरू की जाए. जनता को यह बताना है कि जो चल रहा है वह मूर्खतापूर्ण है.

एटीजे: क्या आप इसे जीएसटी परिषद में उठाने की योजना बना रहे हैं?

थॉमस इसाक : 23 मार्च को समाप्त हुए संसद सत्र के तुरंत बाद जीएसटी मुआवजे पर चर्चा करने के लिए परिषद को मिलना था. बेशक, अब केवल वीडियोकॉनफ्रेंसिंग के जरिए ही ऐसा हो सकता है, साथ मिलकर बैठकें नहीं हो सकती हैं. लेकिन उनकी तरफ से कोई घोषणा सामने नहीं आई है.

यह एक प्रमुख मुद्दा होगा. हमारे पास अनुच्छेद 131 के तहत इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जो राज्य और केंद्र के बीच विवादों से संबंधित अनुच्छेद है. वेबिनार का एक उद्देश्य अन्य राज्य वित्त मंत्रियों के बातचीत के लिए साथ आने को सुनिश्चित करना है.

एटीजे: केरल उन राज्यों में शामिल है जो राजस्व में भारी गिरावट का सामना कर रहे हैं. आप कैसे इसका प्रबंध कर रहे हैं?

थॉमस इसाक : केरल में हमने अपनी सारी देनदारियों को इस मोर्चे पर लगा दिया है. हम 6000 करोड़ रुपए की पहली किश्त ले रहे हैं और विशु त्योहार के तुरंत बाद एक और 6000 करोड़ रुपए लेंगे. हमने एसएलआर बांड के रूप में आरबीआई से उधार लिया है. केरल एसएलआर बॉन्ड के जरिए 25000 करोड़ रुपए उधार लेने का हकदार है. यह सुविधा हर राज्य के लिए उपलब्ध है. दो किश्तों में से हमने पात्र निधि का लगभग आधा प्राप्त किया है.


एंटो टी जोसेफ मुंबई के एक वरिष्ठ पत्रकार और ब्रिटिश शेवनिंग स्कॉलर हैं. उन्होंने लेखक, संपादक और स्तंभकार के रूप में डीएनए, इकोनॉमिक टाइम्स, द गार्डियन (यूके) और डेक्कन क्रॉनिकल ग्रुप के साथ काम किया है.