परिसर में हो रहे सीएए विरोधी प्रदर्शनों का दमन करते विश्वविद्यालय

03 फ़रवरी 2020
16 दिसंबर को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई के सैकड़ों छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ और जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. तीन दिन बाद टिस प्रशासन ने परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया.
प्रतीक चोड़गे / हिंदुस्तान टाइम्स / गैटी इमेजिस
16 दिसंबर को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई के सैकड़ों छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ और जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. तीन दिन बाद टिस प्रशासन ने परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया.
प्रतीक चोड़गे / हिंदुस्तान टाइम्स / गैटी इमेजिस

20 दिसंबर को  प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे देश भर के छात्रों से लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने की अपील की. मोदी ने छात्रों से आग्रह किया कि वे "अपनी जिम्मेदारियों और कीमती समय को समझें और उन संस्थानों के महत्व को भी समझें जिनमें वे पढ़ रहे हैं." मोदी झारखंड में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे. मोदी ने कहा, "छात्रों को यह भी समझने की जरूरत है कि बुद्धिजीवियों की आड़ में उन्हें कुछ राजनीतिक दलों और तथाकथित 'शहरी नक्सलियों' को राजनीतिक लाभ लेने के लिए अपने कंधे पर बंदूक रखकर नहीं चलाने देनी चाहिए." उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार "छात्रों द्वारा उठाए गए हर मुद्दे को स्वीकार करती है."

जब मोदी यह कह रहे थे त​ब दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए का विरोध कर रहे छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के पांच दिन बीत चुके थे. मोदी के भाषण के दिन उत्तर प्रदेश पुलिस राज्य भर में सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों का हिंसक दमन कर रही थी. पुलिसिया कार्रवाई में 18 लोग मारे गए और हजारों को हिरासत में लिया गया. इन दो विश्वविद्यालयों में हुई पुलिसिया कार्रवाई और उत्तर प्रदेश में कई शहरों और कस्बों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता के बाद देश भर के कई कॉलेजों में सीएए विरोधी प्रदर्शन होने शुरू हो गए. इस बीच  भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व ने एक बयान दिया कि विरोध करने वालों को गलत सूचना दी गई और उन्हें निहित स्वार्थों के कारण उकसाया गया है. जामिया में पुलिस की कार्रवाई के एक दिन बाद गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, "कुछ दल अफवाहें फैला रहे हैं और अपने राजनीतिक हितों के लिए हिंसा भड़का रहे हैं" और छात्रों को विरोध करने से पहले कानून का अध्ययन करने को कहा. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि छात्रों का विरोध "जिहादियों, माओवादियों, अलगाववादियों" द्वारा उकसाया गया है.

जैसे-जैसे देशव्यापी विरोध बढ़ा बीजेपी ने छात्र प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने की अपनी रणनीति तीव्र कर दी और प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए सुरक्षा बल का इस्तेमाल बढ़ा दिया. छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों को खत्म करने के बीजेपी के प्रयासों को छात्रों और उनके संबंधित विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच झड़पों में देखा जा सकता है. 29 दिसंबर को मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों को लेकर बीजेपी की स्थिति को स्पष्ट किया. "शिक्षा मंत्री के रूप में मैं बार-बार युवाओं से अपील कर रहा हूं कि वे शिक्षण संस्थानों को राजनीति के अड्डों में न बदलें. जो लोग राजनीति करना चाहते हैं उन्हें करने दें.'' पोखरियाल ने छात्रों को चेतावनी दी कि "मोदीजी की सरकार इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी."

पिछले दो महीनों में देश भर के कई विश्वविद्यालयों के प्रशासन ने विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दी है. इन विश्वविद्यालयों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की या विवादास्पद कानून पर केंद्र के रुख का समर्थन किया.

 

निलीना एम एस करवां की स्टाफ राइटर हैं. उनसे nileenams@protonmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

Keywords: Citizenship (Amendment) Act National Register of Citizens Jamia Millia Islamia Aligarh Muslim University student protest Ambedkar University
कमेंट