प्रतिभा सिंह मंडी, हिमाचल प्रदेश से लोकसभा सांसद और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष हैं. वह पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश इलेक्शन कमेटी की बैठक के लिए दिल्ली दौरे पर थी जब उन्होंने कारवां की पत्रकार से आगामी प्रदेश विधानसभा चुनावों पर बात की. उन्होंने बागवानों-किसानों की समस्याओं और बेरोजगारी जैसे राज्य के कुछ बड़े मुद्दों के बारे में बताया. हिमाचल में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी हाई कमान और चुने जाने वाले विधायक करेंगे. नीचे प्रस्तुत है उनके साक्षत्कार का संपादित रूप :
अंकिता - प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? क्या आप इस पद की दावेदारी करेंगी?
प्रतिभा सिंह - जहां तक मुख्यमंत्री की बात है इस पर मैं कुछ नहीं कह सकती. जब पार्टी चुनाव जीत जाएगी उसके बाद हाई कमान के निर्देशों पर पार्टी मुख्यमंत्री के नाम पर विचार करेगी, जो हमारे विधायक जीत कर आएंगे वे तय करेंगे कि वे किसके साथ हैं, उसके बाद ही मुख्यमंत्री का नाम सामने आएगा.
अंकिता - 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ही गुलाम नबी आजाद जैसे पुराने नेताओं का पार्टी छोड़ना और आनंद शर्मा का प्रदेश इलेक्शन कमेटी से इस्तीफा देना, चुनावों को कैसे प्रभावित करेगा? संगठन के अंदर चल रहे आपसी मतभेद की वजह क्या है?
प्रतिभा सिंह - उन्होंने (आजाद) पार्टी क्यों छोड़ी यह सिर्फ वही जानते हैं. शायद उनको लगा हो कि उनकी सुनवाई नहीं हुई या उनको नजरअंदाज किया गया है. वह एक बड़े नेता रहे हैं और बड़े नेताओं के इस तरह जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. आनंद शर्मा ने इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी से इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि उनके और राज्य के नेताओं में एक तरह की मिसकम्युनिकेशन रहा. इसके अलावा उन्हें कोई बड़ी नाराजगी नहीं थी. वह अभी भी चुनावों को लेकर होने वाली मीटिंग में शामिल हो रहे हैं. इन दोनों ही बातों का चुनावों के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
अंकिता - आप पार्टी राज्य में जोर शोर से प्रचार में लगी हुई है? कितना, किस तरह का नुकसान करेगी?
प्रतिभा सिंह - मुझे नहीं लगता कि आम आदमी पार्टी का हिमाचल में कोई खास आधार है. कहीं किसी एकाध सीट पर वह हजार या बारह सौ वोटों का फर्क डाल सकती है लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं.
अंकिता - हिमाचल प्रदेश चुनावों में आपके मुद्दे क्या रहेंगे?
प्रतिभा सिंह - कुछ बहुत बड़े मुद्दे जो हमारे सामने है वे हैं : महंगाई, बेरोजगारी और जिस तरह इस सरकार ने लोगों की तकलीफों को नजरअंदाज किया है, चाहे वे हमारे किसान हों, चाहे वे बागवान हों, चाहे ओल्ड पेंशन स्कीम वाले लोग हों, जिनके घर में आय का कोई और साधन नहीं और जो केवल पेंशन पर निर्भर हैं, सभी वर्तमान सरकार की बेरुखी से परेशान हैं. पेंशन स्कीम, बागवान, युवा वर्ग कितने बड़े मुद्दे हैं. नरेन्द्र मोदी, जिन्होंने एक साल में दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी, न ही उन्होंने रोजगार दिया और न ही हिमाचल प्रदेश में तीन बार दौरा करने पर अपने भाषण में कहीं भी बेरोजगारी की बात की और न ही महंगाई की बात की. हिमाचल प्रदेश में हाल में ही पुलिस की भर्तियां होनी थीं जिसमें बहुत से बच्चों ने आवेदन पत्र भरा था, पर दुख की बात यह है कि इस सरकार ने कह कर इन भारतीयों को टाल दिया कि पेपर लीक हुआ है. लेकिन वास्तव में पेपर लीक नहीं हुआ है, पेपर में घोटाला हुआ है. जिसमें इनके डीजी पुलिस, आईजी, एसपी सारे जितने भी बड़ी रैंक के ऑफिसर थे, सभी शामिल थे. और सभी ने पेपर बेचा है. इस घोटाले में अफसरों ने लाखों करोड़ों रुपए कमाए हैं. और जब मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग की गई तो टाल दिया गया. उसी दौरान प्रधानमंत्री भी हिमाचल प्रदेश आए थे. हमने यह मुद्दा उनके सामने भी रखवाया लेकिन प्रधानमंत्री जी ने न ही इसका कोई जिक्र किया, न बात की और न ही इसप र कोई आदेश दिया.
इसी तरह से अग्निपथ स्कीम है. दो सालों से कोविड-19 की वजह से सेना में भर्ती नहीं हो पाई इसलिए हमारे युवा दुखी थे. लेकिन इस अग्निपथ योजना से सभी को बहुत निराशा हुई और पूरे देश में युवाओं ने प्रदर्शन किया, सड़के जाम कर दीं, गाड़ियां जला दीं क्योंकि उनके अंदर योजना को लेकर रोष था, गुस्सा था.
हिमाचल में या तो लोग किसान हैं या बागवान हैं. किसान की यहां बहुत सी समस्याएं रही हैं. सेब की बागवानी करने वाले बागवानों ने सरकार से आवेदन किया कि सड़कों की हालत बहुत खराब है उन्हें उनका माल मंडी तक पहुंचाने में बहुत दिक्कत आती है लेकिन इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. सरकार ने फर्टिलाइजर, खाद और स्प्रे पर लगाए गए भारी भरकम टैक्स लगाया हुआ है. यहां कभी-कभी प्राकृतिक आपदा भी आ जाती है. बहुत ओलावृष्टि हो गई, ज्यादा बारिश हो गई या बेहद कम बारिश हो गई उससे भी फसल को नुकसान होता है और उस पर भी जो रही सही कसर थी वह सरकार ने पूरी कर दी. इसलिए, बागवान भी नाराज हैं, किसान भी नाराज हैं.
अंकिता - ओल्ड पेंशन स्कीम आप किस तरह से लागू करेंगे?
प्रतिभा सिंह - इस पर हमने बड़े अर्थशास्त्रियों से सलाह लेकर इसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया है. कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इसे लागू किया है और हिमाचल में भी हम इसे लागू करेंगे.
अंकिता - हाल ही में हिमाचल में यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई और कांग्रेस के बीच आपसी मतभेद सामने आए हैं, आप यह टकराव कैसे सुलझाएंगी?
प्रतिभा सिंह - जहां तक एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस की बात है यह सभी फ्रिंटीएल आर्गेनाईजेशन हैं. पार्टी के लिए मजबूती से काम करते हैं. अगर इनसे जुड़े लोग चुनाव में पार्टी से टिकट चाहते हैं तो उसके लिए एक प्रोसेस है, अगर वे पार्टी को नजरअंदाज करके काम करेंगे तो वह गलत है. लेकिन हम उनकी मांगों को भी सुनते है, विचार करते है.
अंकिता - परिवारवाद को लेकर आप क्या कहेंगी? मीडिया में इसे लेकर फिर से एक लंबी बहस छिड़ गई है.
प्रतिभा सिंह - ऐसे कितने सारे बीजेपी के नेताओं के नाम बता सकती हूं जिन्होंने अपने बच्चों को आगे किया है. अगर कोई व्यक्ति चुनाव जीत कर आता है तब आप परिवारवाद का इल्जाम नहीं लगा सकते. अगर मैं अपने बेटे विक्रमादित्य की बात करूं तो वह भी तो चुन कर आया है. 17 हलकों के लोगों ने मुझे वोट दिए हैं तब जाकर मैं सांसद बनी हूं. यह परिवारवाद की बात नहीं है बल्कि यह लोगों की पसंद की बात है कि वे किसको चुनते हैं.
अंकिता - हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे इलाके है जहां जाना बेहद कठिन होता है. बर्फबारी में खासकर वे शहरों से कट जाते है?
प्रतिभा सिंह - हिमाचल में कुछ ट्राइबल इलाके थे जहां भारी बर्फबारी के कारण लोग पहुंच नहीं पाते थे और लोगों को छह महीने तक इंतजार करना पड़ता था. लेकिन रोहतांग टनल से अब वहां पहुंचना आसान हो गया है. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही इस पर तेजी से कम शुरू हो गया था. लेकिन दुख इस बात का है कि जिस आधारशिला पर सोनिया गांधी, वीरभद्र सिंह और धूमल साहब के नाम लिखे गए थे मोदी के उदघाटन करने के समय वे उखाड़ कर फेंक दिए गए और नाम भी रोहतांग टनल से बदल कर अटल टनल रखा दिया गया.
अंकिता - भारत जोड़ो यात्रा से आपकी पार्टी कितना असर डाल सकेगी भारतीय राजनीति पर?
प्रतिभा सिंह - इस यात्रा का उद्देश्य पैदल यात्रा करके लोगों से सीधे तौर पर जुड़ना है. और इसका एक अच्छा संदेश लोगों के बीच जाएगा.